त्रिची (तमिलनाडु): साल 2006 में एशिया के प्रमुख खेल स्थल पर लिंग परीक्षण में कथित रूप से विफल होने के बाद तमिलनाडु की खिलाड़ी शांति सौंदराजन से उनका पदक छीन लिया गया. 800 मीटर की दौड़ में रजत पदक जीतने के बाद उनकी खुशी घर लौटने तक नहीं टिकी थी. ऐसे ही घटना अब पेरिस ओलंपिक 2024 में विनेश फोगाट के पास हुई है. वही ऐसा कुछ 18 साल पहले भी हुआ था. इस सारी उलझन से पहले तमिलनाडु सरकार ने 10 लाख रुपये के पुरस्कार की घोषणा की थी.
शांति को मुख्यमंत्री करुणानिधि से मिला था समर्थन
शांति मुख्यमंत्री करुणानिधि से मिलने मुख्य सचिवालय आ रही थीं. अधिकारियों ने मुख्यमंत्री करुणानिधि को उनके अयोग्य होने की जानकारी दी. पदक न होने पर पुरस्कार राशि किसी ऐसे व्यक्ति को देना? जब सवाल उठा, तो करुणानिधि ने शांति को व्यक्तिगत रूप से बुलाया और उपहार दिया. 18 साल बाद इतिहास की ऐसी घटना फिर से घटी है.
ऐसे में थूथुकुडी की सांसद कनिमोझी ने कुछ दिन पहले अल्जीरियाई मुक्केबाज इमान खलीफ के समर्थन में अपने इंस्टाग्राम पेज पर पोस्ट किया था. पोस्ट में उन्होंने लिखा, 'जो महिलाएं हमेशा आगे रहती हैं उनके नारीत्व पर हमेशा सवाल उठाए जाएंगे. यही बात हमारी एथलीट संथी और अब इमान खलीफ पर भी लागू होती है. आपकी ताकत और दृढ़ संकल्प हम सभी को प्रेरित करता है'.
शांति सौंदराजन से ईटीवी से की खास बातचीत
इसके बाद ईटीवी भारत ने एशियाई एथलीट शांति सौंदराजन से संपर्क किया और उनसे इस बारे में बातचीत की हैं. उन्होंने कहा, 'मैंने 2006 में दोहा में आयोजित एशियाई खेलों में 800 मीटर दौड़ में रजत पदक जीता था. वह मेरी आखिरी प्रतियोगिता थी. लिंग विवाद से जुड़ा प्रयोग विश्व मंच पर गलत कामों का उदाहरण है. लिंग परीक्षण जैसे चिकित्सा प्रयोग नहीं किए जाने चाहिए. मैं इसे महिलाओं के खिलाफ हमले के रूप में देखती हूं'.
उन्होंने आगे कहा, 'अगर इस तरह की चीजें जारी रहीं, तो यह संदिग्ध होगा कि भविष्य में कई महिलाएं खेल उद्योग में प्रवेश करेंगी या नहीं. इसके बाद कोई भी यह नहीं सोचता कि महिलाओं पर इसका क्या असर पड़ता है और वे लिंग विवाद पर हमला करते रहते हैं. हालांकि, पुरुषों के लिए ऐसा कोई परीक्षण नहीं किया जाता है'.