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खरना आज, व्रती शुक्रवार को प्रातःकालीन अर्घ्य के बाद करेंगी पारण

लोक आस्था का महापर्व छठ के रंग में माहौल पूरी तरह से भक्तिमय हो चुका है. आज खरना है.

CHHATH PUJA 2024
खरना का प्रसाद (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : 5 hours ago

पटनाः नहाय-खाय के साथ मंगलवार को लोक आस्था का महापर्व छठ व्रत भारत सहित दुनिया भर में मनाया गया. नहाय खाय के बाद बुधवार (छठ पर्व का दूसरा दिन) को छठ व्रती खरना करेंगी. सूर्यास्त के बाद शांत माहौल में व्रती खरना पूजन करेंगी. इसके बाद स्वयं प्रसाद ग्रहण करेंगी.

छठ पर्व (ETV Bharat)

इसके बाद दोस्तों और घर-परिवार के लोगों के बीच खरना का प्रसाद वितरित किया जायेगा. इसमें व्रती दिन भर निराहार (उपवास) रहेंगी और खरना पूजन के बाद ही प्रसाद ग्रहण करेंगी. इसके बाद व्रती दूसरे दिन करीबन 36 घंटे बाद प्रातःकालीन अर्घ्य के बाद घर में छठ का डाला खोलकर ही पारण करेंगी. प्रसाद पकाने से लेकर व्रती द्वारा ग्रहण करने की पूरी विधि को खरना कहा जाता है.

छठ पर्व (Getty Images)

खरना का प्रसादः खरना के दिन शाम में प्रसाद तैयार किया जाता है. मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी की आग में प्रसाद तैयार किया जाता है. मिट्टी का चूल्हा नहीं होने की स्थिति पर लोग ईंट के चूल्हे पर प्रसाद तैयार करते हैं. इसके विकल्प में आज के समय में गैस स्टोव पर प्रसाद पकाया जाता है. प्रसाद के रूप में अरवा चावल, गाय का दूध दूध, गुड़ और मेवा की मदद से खीर और विशेष प्रकार की पूड़ी तैयार किया जाता है. पूड़ी को खपड़ी (मिट्टी का तवा) पर पकाया जाता है. प्रसाद में कुछ लोग खीर की जगह मीठा चावल भी चढ़ाते हैं.

खरना का बाद 36 घंटे व्रती रहती हैं निर्जला
चार दिवसीय छठ महापर्व में स्वच्छता का काफी ख्याल रखा जाता है. इसक कार्य में वे लोग भी दिल खोलकर सहयोग करते हैं, जिनके यहां छठ नहीं होता है. कई जगहों पर दूसरे धर्म और पंथ के लिए भी काफी आदर के साथ सहयोग करते हैं. वहीं, खरना करने के लिए शांत और एकांत माहौल जरूरी है.

छठ पर्व (IANS)

खरना के दौरान पूजन स्थल पर सिर्फ व्रती ही रहती हैं. एक से ज्यादा व्रती भी एक साथ एक ही जगह पर खरना करती हैं. खरना का प्रसाद व्रती पहले छठी मैया को अर्पित करेंगी, फिर स्वयं ग्रहण करती हैं. मान्यता के अनुसार खरना के समय व्रती के कान में किसी भी प्रकार का कोई शोर-शराबे की आवाज नहीं जानी चाहिए. अगर ऐसा होता है तो व्रती ने उस छन तक जितना प्रसाद ग्रहण किया है, उसके बाद अगले 36 घंटे तक कुछ भी ग्रहण नहीं करेंगी. ज्यादातर व्रती अपने पूजा घर में या नदी के किनारे खरना करती हैं.

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