केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को संसद में केंद्रीय बजट 2025-26 पेश किया. उन्होंने कृषि और किसानों के लिए कई बड़ी घोषणाएं कीं. इंद्र शेखर सिंह ने इस पर अपने विचार रखे. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा-
इंद्र शेखर सिंह ने कहा कि, यह देखकर खुशी हुई कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट में 'कृषि को विकास का पहला इंजन' बताया. भारतीय कृषि ग्रामीण ऋण से लेकर घटती आय तक कई व्यवस्थागत मुद्दों से जूझ रही है, इसलिए यह देखकर अच्छा लगा कि मंत्री के भाषण में कृषि को पहला स्थान मिला.
भाषण के दौरान सरकार की मंशा और 2025-2026 के लिए कृषि योजना और भी स्पष्ट हो गई. वित्त मंत्री ने कुछ नए कार्यक्रम पेश किए और पिछले कार्यक्रमों को अतिरिक्त वित्तीय सहायता भी दी. कुल मिलाकर सरकार के विजन के अनुसार आगे बढ़ना है.
उन्होंने आगे कहा कि, नए कार्यक्रमों की सूची में सबसे पहले प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना थी, जिसमें सबसे कम उत्पादकता, मध्यम फसल तीव्रता और कम ऋण मापदंडों वाले 100 जिलों पर ध्यान केंद्रित करने की योजना है. इसका मतलब यह है कि, सरकार उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी जो अभी भी हरित क्रांति तकनीक से जुड़े नहीं हैं. आमतौर पर दूरदराज के इलाकों में कम उत्पादन होता है और ग्रामीण ऋण का कम उपयोग होता है.
इसमें वर्षा आधारित क्षेत्र भी शामिल होंगे, जहां हरित क्रांति तकनीक मौजूद है, लेकिन पर्यावरण या जल संबंधी मुद्दों के कारण खेतों की पूरी क्षमता का दोहन नहीं हो पा रहा है. सरकार सिंचाई बढ़ाने, दीर्घावधि और अल्पावधि ऋण की उपलब्धता को सुगम बनाने और साथ ही टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के संयोजन के माध्यम से कृषि उत्पादकता को बढ़ाना चाहती है. इसके माध्यम से हमारी सरकार 1.7 करोड़ किसानों तक पहुंचने की योजना बना रही है.
इंद्र शेखर सिंह ने कहा कि, वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तावित कृषि में दूसरा प्रमुख विकास विषय 'ग्रामीण समृद्धि और लचीलापन बनाना' था. इस विषय के तहत वित्त मंत्री ने जोर दिया कि "देश में प्रवासन एक विकल्प बनना चाहिए, लेकिन एक आवश्यकता नहीं." इस विकास विषय के लिए सरकार ने कौशल, निवेश, कृषि में नई वैश्विक तकनीकों को किसानों के खेतों तक लाने के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण का प्रस्ताव दिया है.
पहले चरण में इस योजना में 100 जिले शामिल किए जाएंगे. कृषि अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए बहुपक्षीय बैंकों की मदद से वित्त का सृजन किया जाएगा. सरकार ने नए खाद्य रुझानों को ध्यान में रखते हुए बिहार में मखाना बोर्ड बनाने का फैसला किया है. यह नया निकाय मखाना के उत्पादन, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन और विपणन को बेहतर बनाने में मदद करेगा. एफपीओ के बैनर तले उत्पादकों को संगठित करने के लिए विशेष आह्वान किया गया है और एक बार संगठित होने के बाद सरकार उत्पादकों को प्रशिक्षण और विपणन सहायता प्रदान करने की उम्मीद करती है.
इंद्र शेखर सिंह ने कहा कि, किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के लिए ऋण सीमा बढ़ाने के संदर्भ में एक और बड़ी घोषणा की गई है. संशोधित ब्याज अनुदान योजना के तहत किसान, मछुआरे और डेयरी किसान अपने केसीसी के माध्यम से 5 लाख का ऋण ले सकते हैं. यह वृद्धि किसानों को अतिरिक्त ऋण लाइनें देकर उन्हें कर्ज से बाहर निकालने में मदद करने के लिए की जा सकती है. अनियमित मौसम किसानों के मुनाफे को खा रहा है और अतिरिक्त दो लाख उन्हें एक और मौसम में बुवाई और उगाने में मदद कर सकते हैं, जिससे उन्हें कर्ज से बचने का एक और मौका मिल सकता है. ऐसा लगता है कि सरकार का इरादा यही है.
वित्त मंत्री ने सब्जियों की कीमतों में उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए सब्जियों और फलों के लिए एक व्यापक कार्यक्रम की घोषणा की. कार्यक्रम का उद्देश्य आपूर्ति श्रृंखला रसद, प्रसंस्करण और किसानों के लिए पारिश्रमिक मूल्य की प्रणाली को कवर करते हुए सब्जी उत्पादन पारिस्थितिकी तंत्र को फिर से मजबूत करना है. एक बार फिर एफपीओ और सहकारी समितियां इस कार्यक्रम को पूरा करने के लिए प्रमुख आयोजन समूह हैं.
इंद्र शेखर सिंह ने आगे बताया कि, खाद्य संप्रभुता और खाद्य तेलों तथा दालों में आत्मनिर्भरता के मुद्दे से निपटने के लिए, वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार दालों की आपूर्ति और उत्पादन को मजबूत करने के लिए छह साल का मिशन शुरू करेगी. कार्यक्रम अरहर, उड़द आदि पर केंद्रित होगा. वित्त मंत्री ने देश को आश्वासन दिया है कि केंद्रीय एजेंसियां अगले चार सालों में किसानों से अधिकतम तीन दालें खरीदेंगी. यह सुनिश्चित करने के लिए एक अच्छा कदम होगा कि किसानों तक उचित मूल्य पहुंचे और देश में दालों की पर्याप्त आपूर्ति हो, ताकि कीमतों में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित किया जा सके.
अंतिम प्रमुख घोषणा उच्च उपज वाले बीजों पर राष्ट्रीय मिशन के कार्यान्वयन की थी, जिसका उद्देश्य बीज की गुणवत्ता और कृषि बीज प्रणालियों में सुधार के लिए किसानों के साथ काम करना था. वित्त मंत्री ने कहा कि जुलाई से 100 नई बीज किस्में जारी की गई हैं और जल्द ही और भी जारी की जाएंगी.
जब देश में कृषि उत्पादन का समर्थन करने की बात आती है, तो वित्त मंत्री शायद रासायनिक उर्वरकों की कीमतों की अत्यधिक अप्रत्याशित स्थिति पर नज़र रख रहे थे. पिछले कुछ वर्षों से वैश्विक उर्वरकों की कीमतें स्थिर से कुछ भी नहीं हैं. देश के कुछ क्षेत्रों में फसलों के लिए समय पर रासायनिक खाद नहीं मिल पाती है, इसलिए सरकार ने असम में यूरिया उत्पादन संयंत्र की घोषणा की है. ऐसा शायद इसलिए किया गया है ताकि पूर्वोत्तर राज्यों को उनकी ज़रूरतों के लिए पर्याप्त यूरिया मिल सके.
इंद्र शेखर सिंह ने कहा कि, बजट से सबसे बड़ी बात यह है कि केसीसी सीमा में वृद्धि की गई है और प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना नामक नया कार्यक्रम है, जिसका अगर कुशलतापूर्वक क्रियान्वयन किया जाए तो ग्रामीण क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. इससे मोदी सरकार को कृषि क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं से उबरने में मदद मिलेगी.
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