हैदराबाद:अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी, 2025 को पदभार संभालने के लिए बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से अमेरिका के बाहर निकलने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसी ने कोविड-19 महामारी और अन्य अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संकटों को ठीक से नहीं संभाला है. अमेरिका WHO का प्रमुख सदस्य होने के साथ सबसे ज्यादा फंड भी देता था. अमेरिका के WHO से अलग होने से इस वैश्विक संगठन पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है.
ट्रंप के पिछले प्रशासन में भी अमेरिका कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और समझौतों से बाहर हुआ था. जिनके बारे में आज चर्चा करने जा रहे हैं.
ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (टीपीपी)
नवंबर 2016 में, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट से अमेरिका को बाहर निकालने का फैसला किया, जो कनाडा, जापान, ऑस्ट्रेलिया और आसियान देशों जैसे 12 प्रशांत रिम देशों को शामिल करने वाला एक बहुपक्षीय तरजीही व्यापार समझौता था. ट्रंप ने इसे अमेरिका के लिए 'बुरा सौदा' करार दिया था. अगर अमेरिका टीपीपी का हिस्सा बना रहता, तो समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 40 प्रतिशत साझा करते.
पेरिस जलवायु समझौता
जून 2017 में, अमेरिका ने 2015 के पेरिस जलवायु समझौते से खुद को अलग कर लिया, जिस पर 196 देशों ने हस्ताक्षर किए थे. हालांकि, तब ट्रंप प्रशासन ने आरोप लगाया था कि यह निष्पक्ष समझौता नहीं था. पेरिस जलवायु समझौते का दीर्घकालिक लक्ष्य वैश्विक तापमान में वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना था और आदर्श रूप से इसे 1.5 डिग्री से नीचे रखना था. ट्रंप प्रशासन के इस कदम का अमेरिका और दुनिया भर में जलवायु कार्यकर्ताओं ने विरोध किया था.
UNESCO
अक्टूबर 2017 में, अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) से बाहर निकलने के अपने फैसले की घोषणा की. अमेरिका ने इजराइल के साथ यूनेस्को को छोड़ दिया और यूएन एजेंसी पर इजराइल विरोधी भावना से प्रेरित होने का आरोप लगाया. अमेरिका ने यूनेस्को में 'मौलिक सुधार' की मांग की है जो सांस्कृतिक स्थलों और परंपराओं की रक्षा के लिए अपने विश्व धरोहर कार्यक्रम के लिए सबसे ज्यादा जानी जाती है.
प्रवास के लिए वैश्विक समझौता
दिसंबर 2017 में, ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका ने प्रवास के लिए वैश्विक समझौते के लिए प्रस्तावित संयुक्त राष्ट्र समझौते पर वार्ता से खुद को अलग करने की घोषणा की. यह दुनिया भर में सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित प्रवास के प्रबंधन पर अंतरराष्ट्रीय समझौता था.