वाशिंगटनः भारत में इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई करने वाले बड़ी संख्या में छात्रों का सपना होता है कि वो अमेरिकी नागरिकता हासिल करे. लेकिन, अमेरिका ने नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शपथ ग्रहण लेने के बाद उनके सपनों पर पानी फेर दिया. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में जन्मसिद्ध नागरिकता को समाप्त करने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिया. ट्रंप के इस आदेश के कुछ ही घंटों बाद, नागरिक अधिकार और आव्रजन समूहों के गठबंधन ने इसे चुनौती देते हुए मुकदमा दायर किया.
क्या है नया नियमः सोमवार रात को संघीय एजेंसियों को निर्देश देते हुए आदेश पारित किया कि वे अमेरिकी धरती पर जन्मे उन बच्चों को अमेरिकी नागरिकता की मान्यता देने से इनकार करें, जिनके माता-पिता अवैध रूप से या अस्थायी वीजा पर देश में हैं. जब तक कि उनमें से एक माता-पिता अमेरिकी नागरिक या वैध स्थायी निवासी न हों. इसमें कहा गया है कि इन परिस्थितियों में पैदा हुए बच्चे हस्ताक्षर के 30 दिनों के बाद से पासपोर्ट सहित अमेरिकी नागरिकता के लिए पात्र नहीं होंगे. यह आदेश, जो लंबे समय से चली आ रही कानूनी सहमति का खंडन करता है कि संविधान का 14वां संशोधन जन्मसिद्ध नागरिकता की गारंटी देता है, ने तत्काल प्रतिक्रिया उत्पन्न की है.
नये कानून को चुनौतीः अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन (एसीएलयू) और अन्य संगठनों ने आव्रजन अधिकार समूहों की ओर से न्यू हैम्पशायर में संघीय अदालत में 17-पृष्ठ का मुकदमा दायर किया है. जिसमें तर्क दिया गया है कि यह आदेश असंवैधानिक और अवैध है. मुकदमे में कहा गया है, "यह आदेश उनके बच्चों से नागरिकता के अनमोल खजाने को छीनने का प्रयास करता है, तथा उन्हें जीवन भर के लिए बहिष्कृत कर दिए जाने तथा उस एकमात्र देश से निर्वासित किए जाने के भय से डराता है, जिसे वे जानते हैं."न्यायालय से कार्यकारी आदेश को गैरकानूनी घोषित करने और इसके प्रवर्तन को रोकने के लिए अस्थायी और स्थायी निषेधाज्ञा जारी करने की मांग की.