हैदराबाद: बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर विरोध-प्रदर्शन के बीच पीएम शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है. इसके साथ ही उन्होंने देश भी छोड़ दिया है. सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने देश की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि आपकी जो मांगें हैं उसे हम पूरा करेंगे. देश में अमन-चैन वापस लाएंगे. उन्होंने अपील करते हुए कहा कि तोड़फोड़-आगजनी मारपीट से दूर रहिए. हिंसा से कुछ नहीं मिलेगा.
इस बीच चलिए जानते हैं कि इस तरह की हिंसा इससे पहले कहां-कहां हुई और किन देशों में तख्तापलट हुआ...
2024 बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी प्रदर्शन: बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन शेख हसीना के लिए जी का जंजाल बन गया. इस प्रदर्शन में कई लोगों की मौतें हुई हैं. आज सोमवार को प्रधानमंत्री शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद के साथ-साथ देश भी छोड़ दिया है. इससे पहले भी देश में कई बार तख्तापलट की कोशिशें हुई हैं.
(फिलीपींस) 22 से 25 फरवरी1986: 1986 में राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस को उखाड़ फेंकने के बाद से फिलीपींस में एक दर्जन से अधिक तख्तापलट की कोशिशें हुईं. फरवरी 1986 मार्कोस के रक्षा सचिव जुआन पोंस एनरिले और सैन्य उप प्रमुख जनरल फिदेल रामोस के नेतृत्व में विद्रोहियों का एक छोटा समूह मार्कोस से अलग हो गया, जिससे एक विद्रोह शुरू हो गया. विद्रोहियों को सजा के तौर पर 20 पुश अप दिए गए. जनवरी 1987 में मार्कोस के समर्थक 300 सैनिकों ने मनीला के 7 निजी टीवी चैनलों पर कब्जा कर लिया और सरकार के सामने आत्मसमर्पण करने से पहले दो दिनों तक उस पर कब्जा किए रहे. अगस्त 1987 में कर्नल ग्रेगोरियो ग्रिंगो होनासन के नेतृत्व में विद्रोही अधिकारियों ने सैन्य तख्तापलट की कोशिश के तहत सेना मुख्यालय पर कब्जा कर लिया था. 18 घंटे के बाद विद्रोहियों को हराने से पहले 53 लोगों की मौत हुई थी.
जनवरी 2001 में रक्षा सचिव ऑरलैंडो मर्काडो, सशस्त्र बलों के प्रमुख जनरल एंजेलो रेयेस और शीर्ष सैन्य और पुलिस अधिकारियों ने राष्ट्रपति जोसेफ एस्ट्राडा से समर्थन वापस ले लिया था. इसके साथ ही उप-राष्ट्रपति ग्लोरिया मैकापगल अरोयो को सत्ता में लाने में मदद की.
2011 अरब स्प्रिंग:साल 2011 में अरब स्प्रिंग में लोगों के बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बीच ट्यूनीशिया, मिस्र, लीबिया और यमन की चार सरकारों को गिरा दिया था. दिसंबर 2010 में शुरू हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों ने ट्यूनीशिया को हिलाकर रख दिया. 2011 की शुरुआत में विद्रोह और अशांति की एक लहर उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व में अरबी भाषी देशों में फैल गई थी.
14.01.2011 ट्यूनीशिया:ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति जीन अल-अबिदीन बेन अली कई सप्ताह तक चले बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बाद अपने देश से भाग गए थे. जिसके परिणामस्वरूप दुनिया की सबसे दमनकारी सरकारों में से एक अरब सरकार पर लोगों की जीत हुई थी. जिसके बाद बेन अली ने सऊदी अरब में शरण ली.
07.12.2012 मिस्र: हजारों लोगों ने सेना द्वारा लगाए गए कांटेदार तार की बाड़ को तोड़कर राष्ट्रपति भवन की ओर मार्च किया था. इसके साथ हा मुर्सी को पद छोड़ने के लिए कहा था.
22.02.2014 यूक्रेन:यूक्रेन सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने यूक्रेनी राजधानी कीव के पास राष्ट्रपति विक्टर एफ. यानुकोविच के आवासीय परिसर पर कब्जा कर लिया था. यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच ने कई महीनों के राजनीतिक संकट और विरोध को समाप्त करने के लिए देश के विपक्ष के साथ एक समझौते पर पहुंचने के ठीक बाद कीव से भागकर दुनिया को चौंका दिया था.
मेझीहिर्या में राष्ट्रपति निवास: प्रदर्शनकारियों ने यानुकोविच निवास पर पूरा कब्जा कर लिया था. इसके साथ ही आलीशान संपत्ति को आम जनता और मीडिया के लिए खोल दिया था. आगंतुकों ने मैदान में चहलकदमी की, बड़े आकार के बाथटब की प्रशंसा की और थोड़ा गोल्फ भी खेला. यह महंगा आवास अक्सर प्रदर्शनकारियों के लिए निराशा का स्रोत रहा है, जो इसके वित्तपोषण पर सवाल उठाते हैं और आर्थिक संकट के बीच इसके निर्माण को अनुचित पाते हैं.