ढाका :चटगांव की एक अदालत ने आज कड़ी सुरक्षा के बीच हुई सुनवाई के बाद पूर्व इस्कॉन नेता चिन्मय कृष्ण दास को ज़मानत देने से इनकार कर दिया. द डेली स्टार ने इस खबर की पुष्टि की है. मेट्रोपॉलिटन पब्लिक प्रॉसिक्यूटर एडवोकेट मोफ़िज़ुर हक भुइयां के अनुसार, चटगांव मेट्रोपॉलिटन सेशन जज मोहम्मद सैफुल इस्लाम ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के लगभग 30 मिनट बाद जमानत अनुरोध को ठुकरा दिया.
इससे द डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व इस्कॉन पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत पर गुरुवार को होने वाली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के ग्यारह वकील भाग लेंगे. अधिवक्ता अपूर्व कुमार भट्टाचार्य के नेतृत्व में, कानूनी टीम बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने के आरोपों के परिणामस्वरूप देशद्रोह के मामले में चिन्मय का बचाव करेगी. डेली स्टार से बात करते हुए, वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने कहा कि हम ऐनजीबी ओइक्या परिषद के बैनर तले चटगांव आए हैं, और हम चिन्मय की जमानत के लिए अदालत में मुकदमा दायर करेंगे.
मुझे चिन्मय से वकालतनामा पहले ही मिल चुका है. मैं सुप्रीम कोर्ट और चटगांव बार एसोसिएशन दोनों का सदस्य हूं. इसलिए मुझे केस चलाने के लिए किसी स्थानीय वकील से अनुमति की आवश्यकता नहीं है. इससे पहले 3 दिसंबर, 2024 को चटगांव अदालत ने जमानत की सुनवाई के लिए 2 जनवरी की तारीख तय की थी क्योंकि अभियोजन पक्ष ने समय याचिका दायर की थी और चिन्मय का प्रतिनिधित्व करने के लिए कोई वकील नहीं था.
बांग्लादेश में अशांति चिन्मय कृष्ण दास के खिलाफ 25 अक्टूबर को चटगांव में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा फहराने के आरोप में दर्ज किए गए राजद्रोह के आरोपों से उपजी है. 25 नवंबर को उनकी गिरफ्तारी ने विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया, जिसकी परिणति 27 नवंबर को चटगांव कोर्ट बिल्डिंग के बाहर उनके अनुयायियों और कानून प्रवर्तन के बीच हिंसक झड़पों में हुई, जिसके परिणामस्वरूप एक वकील की मौत हो गई.