30 की उम्र के बाद बहुत सी महिलाओं में मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएं नजर आती हैं . चिकित्सकों का कहना है यह बहुत आम बात है तथा सही देखभाल और समय पर इलाज से इन समस्याओं को नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन कई बार समस्याओं की अनदेखी करने , इलाज में देरी करने या सही इलाज के अभाव में यह समस्याएं महिलाओं की परेशानियों का काफी ज्यादा बढ़ा भी सकती है.
30 की उम्र के बाद बढ़ सकती हैं मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएं, जरूरी है समय पर जांच व इलाज
मासिक धर्म हर महिला के जीवन का एक सामान्य और प्राकृतिक हिस्सा है. हालांकि, 30 की उम्र के बाद, महिलाओं के शरीर में कई हार्मोनल और शारीरिक बदलाव होते हैं, जो मासिक धर्म से जुड़ी कुछ समस्याओं को जन्म दे सकते हैं. इन समस्याओं का असर ना केवल उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी इसका प्रभाव देखने को मिलता है. वहीं इसके कारण कई बार उनकी दैनिक दिनचर्या, कामकाज, और सामाजिक जीवन भी प्रभावित होने लगते हैं. हालांकि जानकार मानते हैं कि थोड़ी सी देखभाल, स्वास्थ्य को लेकर सचेत रहने तथा स्वस्थ आहार व जीवन शैली अपनाने से इस प्रकार की समस्याओं से काफी हर तक राहत पाई जा सकती है.
30 की उम्र के बाद आमतौर पर होने वाली समस्याएं
बेंगलुरु की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ जयंती के वाडेकर बताती हैं कि 30 की आयु के बाद महिलाओं में मासिक चक्र से जुड़ी कई सामान्य समस्याएं होना बहुत आम है. दरअसल यह वह दौर होता है जब उनके शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं. उस पर कई बार कुछ स्वास्थ्य समस्याओं के अलावा खाने पीने, सोने-जागने, जरूरी मात्रा में आराम ना करने या तनाव सहित कई कारणों से शरीर में संबंधित हार्मोन का स्तर घटने या बढ़ने लगता है. जो उनमें पीरियड से जुड़ी कई समस्याओं के होने या बढ़ने का कारण बन सकता है.
वह बताती हैं कि इन समस्याओं का महिलाओं के ना सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ सकता है. वहीं कई बार इन समस्याओं के कारण महिलाएं अपनी दैनिक दिनचर्या को ठीक से नहीं निभा पाती हैं. इससे ना सिर्फ उनका व्यक्तिगत बल्कि कई बार पेशेवर जीवन भी प्रभावित हो सकता है.
कौन सी समस्याएं कर सकती हैं परेशान
वह बताती हैं कि अनियमित मासिक धर्म या मासिक धर्म में ज्यादा रक्तस्राव होने के कारण कई बार महिलाओं में एनीमिया या खून की कमी हो सकता है. वहीं लगातार दर्द और पीएमएस के कारण मानसिक तनाव, चिड़चिड़ापन और अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं. 30 की आयु के बाद आमतौर पर मासिक धर्म से जुड़ी जिन-जिन समस्याओं का सामना महिलाओं को करना पड़ सकता है उनमें से कुछ मुख्य इस प्रकार हैं.
अनियमित मासिक धर्म: 30 की उम्र के बाद, महिलाओं के मासिक धर्म का चक्र अक्सर अनियमित हो सकता है. यानी इस दौरान मासिक धर्म का समय, रक्तस्राव की मात्रा और उसकी अवधि में परिवर्तन हो सकता है. कई बार इसके लिए पेरिमेनोपॉज भी जिम्मेदार हो सकता है. पेरिमेनोपॉज यानी रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) से पहले की अवस्था.
मासिक धर्म में अत्यधिक रक्तस्राव: इस उम्र के बाद कुछ महिलाएं अत्यधिक रक्तस्राव की समस्या का सामना करती हैं, जिसे मेनोरेजिया कहा जाता है. यह समस्या आमतौर पर हार्मोनल असंतुलन, गर्भाशय की फाइब्रॉइड्स, या एंडोमेट्रियोसिस जैसी बीमारियों के कारण हो सकती है.
दर्दनाक मासिक धर्म (डिसमेनोरिया):इस स्थिति में महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक दर्द होता है. यह दर्द पेट के निचले हिस्से में, पीठ में, और कभी-कभी पैरों तक महसूस हो सकता है. 30 की उम्र के बाद, यह समस्या अधिक गंभीर हो सकती है और सामान्य कामकाज में बाधा डाल सकती है.
पीएमएस (प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम):यह समस्या मासिक धर्म शुरू होने से कुछ दिन पहले होती है, जिसमें महिलाओं को मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन, थकान, सिरदर्द, और सूजन जैसी समस्याएं महसूस होती हैं. यह स्थिति हार्मोनल असंतुलन के कारण होती है, और 30 की उम्र के बाद इसके लक्षण बढ़ सकते हैं.