हैदराबाद:डायबिटीज बीमारी एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है. जिसमें शरीर के रक्त में ग्लूकोज का स्तर बहुत अधिक बढ़ जाता है. जिसे हाई डायबिटीज कहा जाता है. जबकि कई बार ग्लूकोज का स्तर अचानक कम होने पर मरीज लो डायबिटीज का शिकार हो जाता है यानी शरीर के रक्त में ग्लूकोज का स्तर बहुत कम हो जाता है.
इसके अलावा इंसुलिन की कमी, परिवार में किसी व्यक्ति का डायबिटिक होना, बढ़ती उम्र, हाई केलोस्ट्रोल लेवल, एक्सरसाइज ना करने की आदत, हारमोंस का असंतुलित होने के कारण लोग डायबिटीज की चपेट में आ जाते हैं. इसी प्रकार हाई ब्लड प्रेशर, खानपान की गलत आदतों के कारण कई बार व्यक्ति डायबिटीज की चपेट में आ जाता है. इसके अलावा लाइफस्टाइल में बदलाव और अत्यधिक फास्ट फूड का सेवन भी डायबिटीज का मुख्य कारण माना गया है.
डायबिटीज से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ सकती है.
जयपुर के वरिष्ठ डायबिटीज विशेषज्ञ डॉक्टर विजय कपूर (Dr Vijay Kapoor Diabetologist ) का कहना है कि आमतौर पर दो तरह की डायबिटीज मरीजों में देखने को मिलती है. इसमें सबसे पहले आती है टाइप 1 डायबिटीज."डॉक्टर कपूर का कहना है कि टाइप 1 डायबिटीज छोटे बच्चों में देखने को मिलती है और यह डायबिटीज अनुवांशिक मानी जाती है. जबकि टाइप 2 डायबिटीज के मामले वयस्क या फिर बुजुर्ग लोगों में देखने को मिलती है", लेकिन पिछले कुछ समय से टाइप 2 डायबिटीज के मामले छोटे बच्चों में भी देखने को मिले हैं जो काफी घातक हैं. आंकड़ों की बात करें तो 10 में से 1 व्यक्ति डायबिटीज पीड़ित है. अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में डायबिटीज से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ सकती है.
डायबिटीज टाइप 2 कैसी बीमारी है?
डायबिटीज एक आम बीमारी है जो हर उम्र के लोगों को प्रभावित करती है. डायबिटीज के कई प्रकार हैं. लेकिन, टाइप 2 सबसे आम है. जिनके परिवार में मधुमेह का इतिहास रहा है और जो लोग अधिक वजन वाले हैं, विशेष रूप से केंद्रीय मोटापे (Central Obesity) से पीड़ित हैं, उन्हें विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए. प्रीडायबिटीज केवल मधुमेह का अग्रदूत नहीं है. यह उच्च रक्तचाप, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और मोटापे के जोखिम को भी बढ़ाता है, जो सामूहिक रूप से हृदय रोगों के जोखिम को बढ़ाता है.
किसे रहता है ज्यादा खतरा?
टाइप 2 डायबिटीज उन लोगों में भी विकसित होने की संभावना रहती है, जो लोग सकता है जो ज्याद वजन या मोटापे से ग्रस्त नहीं हैं. यह बूढ़े और जवान लोगों में ज्यादा आम है. टाइप 2 डायबिटीज में पारिवारिक इतिहास और जीन की भूमिका भी अहम होती है. कम एक्टिव, खराब आहार और कमर के आसपास शरीर का ज्यादा वजन इस बीमारी के होने की संभावना को बढ़ा देता है.
टाइप 2 डायबिटीज विकसित होने की आपकी संभावना रिस्क फैक्टर्स के कॉम्बिनेशन पर निर्भर करती है. हालांकि आप पारिवारिक इतिहास, आयु, नस्ल या जातीयता से संबंधित जोखिम कारकों को नहीं बदल सकते हैं, लेकिन आप स्वस्थ वजन बनाए रखने और शारीरिक रूप से सक्रिय रहने से कुछ जोखिम कारकों से बचने में सक्षम हो सकते हैं...
इस खबर के माध्यम से टाइप 2 डायबिटीज के रिस्क फैक्टर्स के बारे में पढ़ें, और देखें कि कौन से आप पर लागू होते हैं. इसके साथ ही उन जोखिम को पहचानकर इसे कैसे विकसित होने से रेकने, इसके भी उपाय के बारे में जानें...
टाइप 2 मधुमेह के जोखिम कारक क्या हैं?
टाइप 2 मधुमेह किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है. आपको किसी भी उम्र में, यहां तक कि बचपन में भी टाइप 2 मधुमेह हो सकता है. यदि आप अधिक वजन वाले या मोटापे से ग्रस्त हैं. आपकी आयु 35 वर्ष या उससे अधिक है, तो आपको टाइप 2 मधुमेह होने की अधिक संभावना है. बच्चों और किशोरों को भी टाइप 2 मधुमेह हो सकता है, लेकिन व्यक्ति की उम्र बढ़ने के साथ जोखिम बढ़ जाता है.
मधुमेह का पारिवारिक इतिहास है
अफ्रीकी अमेरिकी, अमेरिकी भारतीय, एशियाई अमेरिकी, हिस्पैनिक या लैटिनो या प्रशांत द्वीपवासी हैं. शारीरिक सीमाओं, गतिहीन जीवनशैली या लंबे समय तक बैठे रहने की आवश्यकता वाली नौकरी के कारण शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं हैं.
प्रीडायबिटीज क्या है?
प्री-डायबिटीज स्वास्थ्य संबंधी एक अवस्था है, जिसके लिए कोई एक कारण या कारक जिम्मेदार नहीं होता है. मानव शरीर में ब्लड सुगर का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है तो ऐसी स्थिति को प्रीडायबिटीज कहा जाता है अर्थात डायबिटीज से पहले की स्थिति है. डायबिटीज मरीजों के मामले में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है. रोग के कारण, बचाव व निदान के बारे में लोगों जागरूक करना है.