क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और अस्थमा एक रेस्पिरेटरी डिजीज है, जिसे आमतौर पर सांस की समस्या के रूप में जाना जाता है. यह एक नॉन कम्युनिकेबल डिजीज है. आजकल अलग-अलग कारणों से हर उम्र के लोगों में यह बीमारी हो रही है. इस बीमारी से पीड़ित लोगों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. अस्थमा के कई लक्षण सिर्फ बड़े लोगों में ही नहीं बल्कि छोटे बच्चों में भी देखे जाते हैं.
अस्थमा कैसी बीमारी है?
Chronic Obstructive Pulmonary Disease (COPD) और अस्थमा फेफड़ों से रिलेटेड एक डिजीज है, जिसमें हवा के रास्ते में सूजन हो जाती है और रेस्पिरेटरी इंफेक्शन हो जाता है. नतीजतन, मरीज को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. WHO ने चिंता वयक्त करते हुए अनुमान लगाया है कि (COPD) और अस्थमा साल 2030 तक वैश्विक स्तर पर मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण बन सकता है, क्योंकि लगातार इस बीमारी के मरीजों में इजाफा हो रहा है. आंकड़ों के मुताबिक, Chronic Obstructive Pulmonary Disease (COPD) और अस्थमा जैसी बीमारी के चलते हर वर्ष दुनियाभर में लाखों लोगों की जान जा रही है.
Asthma एक ऐसी समस्या है जो 6 महीने के बच्चे से लेकर बुजुर्ग व्यक्ति तक को हो सकती है. अस्थमा के लिए हेरिडिटी, हेल्थ प्रोब्लेम्स, एलर्जी, इंफेक्शन, मौसम में बदलाव और प्रदूषण आदि जैसे कई फैक्टर्स जिम्मेदार हो सकते हैं. अधिकांश मामलों में बच्चों में अस्थमा के लिए जेनेटिक फैक्टर्स भी जिम्मेदार होते हैं. हेरिडिटी के अलावा, कभी-कभी शारीरिक परिस्थितियां और एनवायरमेंटल फैक्टर्स भी अस्थमा के लिए जिम्मेदार होते हैं. वहीं, अस्थमा कुछ शारीरिक बीमारियों, जानवरों के संपर्क में आने, एलर्जी, इंफेक्शन और कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव के कारण हो सकता है. इसके अलावा प्रदूषण को भी अस्थमा के बढ़ने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है.
वैज्ञानिकों ने की बड़ी खोज
इस बीच अस्थमा और COPD मरीजों के लिए राहत भरी खबर सामने आई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वैज्ञानिकों की टीम को इस बीमारी के इलाज के लिए एक बड़ी सफलता मिली है. दरअसल, वैज्ञानिकों की टीम ने एक ऐसा कारगर इंजेक्शन खोज निकाला है, जो अबतक दी जाने वाली स्टेरॉयड की दवाओं से ना केवल कहीं ज्यादा इफेक्टिव है, बल्कि इसकी मदद से आगे के इलाज की जरूरत को भी 30 फीसदी तक कम किया जा सकता है.