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भारत की थोक महंगाई मई में बढ़कर 15 महीने के उच्चतम स्तर पहुंची - Wholesale inflation in May

Wholesale inflation in May- भारत की खुदरा मुद्रास्फीति दर मई में थोड़ी कम होकर 4.75 फीसदी हो गई, जिसमें आंशिक रूप से ईंधन की कीमतों में गिरावट का योगदान रहा, हालांकि खाद्य कीमतें ऊंची बनी रहीं. पढ़ें पूरी खबर...

Wholesale inflation in May
(प्रतीकात्मक फोटो) (IANS Photo)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 14, 2024, 12:30 PM IST

नई दिल्ली:शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मई में भारत की थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति में 2.61 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इसका मुख्य कारण फूड आइटम्स हैं. मई के आंकड़े अर्थशास्त्रियों के अपेक्षित 2.5 फीसदी बढ़ोतरी से अधिक है. अप्रैल में वर्ष-दर-वर्ष 1.26 फीसदी की वृद्धि से भी अधिक थे. यह फरवरी 2023 के बाद से पिछले 15 महीनों में सबसे अधिक है.

फूड आइटम्स की कीमतों में वार्षिक आधार पर 7.4 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि अप्रैल में इसमें 5.52 फीसदी की वृद्धि हुई थी, जबकि सब्जियों की कीमतों में वार्षिक आधार पर 32.42 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि पिछले महीने इसमें 27.94 फीसदी की वृद्धि हुई थी. मई महीने में बढ़ी हुई मुद्रास्फीति मुख्य रूप से कच्चे पेट्रोलियम और नेचुरल गैस, खनिज तेलों, खाद्य पदार्थों, खाद्य उत्पादों के विनिर्माण आदि की कीमतों में वृद्धि के कारण है.

अप्रैल में WPI 13 महीने के उच्चतम स्तर 1.26 फीसदी पर आया और मार्च में यह 0.53 फीसदी पर आया. थोक मूल्य सूचकांक या WPI उन वस्तुओं की कीमतों में बदलाव को मापता है जिन्हें थोक व्यापारी अन्य कंपनियों को बेचते हैं और उनके साथ थोक में व्यापार करते हैं. CPI के विपरीत जो उपभोक्ताओं द्वारा खरीदी गई वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को ट्रैक करता है, WPI खुदरा कीमतों से पहले फ़ैक्टरी गेट कीमतों को ट्रैक करता है.

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