नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2024-25 पेश करते हुए कहा कि सभी किसानों विशेषकर छोटे और सीमांत किसानों तथा समाज के वंचित वर्गों को उपलब्ध कराई जा रही ऋण सहायता उनकी आमदनी तथा कृषि की उत्पादकता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार मार्च 2024 तक देश में 7 करोड़ 75 लाख किसान क्रेडिट कार्ड खाते संचालित हो रहे हैं और इन पर 9.81 लाख करोड़ रुपये का ऋण अधिशेष है. 31 मार्च 2024 तक मत्स्य पालन कार्यों के लिए एक लाख 24 हजार किसान क्रेडिट कार्ड और पशु पालन गतिविधियों हेतु 44 लाख 40 हजार किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए थे.
संशोधित ब्याज सहायता योजना: वित्त वर्ष 2025 से संशोधित ब्याज सहायता योजना (एमआईएसएस) के अंतर्गत दावों और भुगतान करने में तेजी लाने के लिए आवश्यक प्रक्रिया किसान ऋण पोर्टल (केआरपी) के माध्यम से पूरी की जा रही है. जिसने योजना के कियान्वयन को गतिशील और अधिक प्रभावी बना दिया है. 31 दिसम्बर 2024 तक एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के दावों का निपटान किया जा चुका था.
वर्तमान में संशोधित ब्याज सहायता योजना-किसान क्रेडिट कार्ड के अंतर्गत किसान ऋण पोर्टल की सहायता से लगभग 5.9 करोड़ किसान लाभान्वित हो रहे हैं. छोटे और सीमांत किसानों की सहायता के लिए बैंकों को अपने समायोजित नेट बैंक क्रेडिट (एएनबीसी) अथवा ऑफ-बैलेंस शीट एक्सपोजर की क्रेडिट समतुल्य राशि, दोनों में जो भी अधिक हो, उसे कृषि सहित अन्य सभी प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को उपलब्ध कराना होगा. इन सभी उपायों ने गैर-संस्थागत ऋण स्रोतों पर किसानों की निर्भरता को 1950 में 90 प्रतिशत से घटाकर वित्त वर्ष 2022 में 25 प्रतिशत तक सीमित कर दिया है.
बुनियादी स्तर के ऋण: कृषि क्षेत्र में बुनियादी स्तर के ऋण (जीएलसी) ने 2014-15 से 2024-25 तक 12.98 प्रतिशत के सीएजीआर की प्रभावशाली बढ़ोत्तरी दर्शायी है. जीएलसी 2014-15 में 8.45 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 25 दशमलव 48 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. इस बीच, छोटे और सीमांत किसानों की हिस्सेदारी भी महत्वपूर्ण रूप से बढ़ी है और जो आंकड़ा 2014-15 में 3.46 लाख करोड़ रुपये (41 प्रतिशत) था, वह 2023-24 में 14.39 लाख करोड़ रुपये (57 प्रतिशत) तक पहुंच चुका था.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना : वित्त वर्ष 2024-25 में राज्य सरकारों और बीमा प्रदाताओं की हिस्सेदारी क्रमश: 24 तथा 15 प्रतिशत हो चुकी है, जबकि यह 2020-21 में 20 और 11 प्रतिशत थी. इसके अलावा, इन उपायों ने प्रीमियम की दरों में पहले के वर्षों की तुलना में 32 प्रतिशत की कमी सुनिश्चित की है.
इसके परिणामस्वरूप, वित्त वर्ष 2024 नामांकन कराने वाले किसानों की संख्या 4 करोड़ तक पहुंच गई जो 2023 में 3.17 करोड़ थी. यह संख्या 26 प्रतिशत की बढ़त दर्शाती है. वित्त वर्ष 2024 में बीमा के तहत कवर किया गया क्षेत्र 600 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुका है, जो 19 प्रतिशत की वृद्धि है, क्योंकि यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2023 में 500 लाख हेक्टेयर था.
पीएम-किसान और प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना: सरकार की योजनाएं जैसे किसानों को सीधे धनराशि अंतरित करने वाली पीएम-किसान तथा किसानों को पेंशन की सुविधा प्रदान करने वाली प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना सफलतापूर्वक किसानों की आमदनी बढ़ाने में अपना योगदान दे रही है. उनकी सामाजिक सुरक्षा भी सुनिश्चित कर रही हैं.
पीएम-किसान योजना के अंतर्गत 11 करोड़ से अधिक किसानों ने लाभ उठाया है और प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के अंतर्गत 23 लाख 61 हजार किसानों ने स्वयं का नामांकन कराया है. इन योजनाओं के अलावा कई अन्य प्रयास किए जा रहे हैं. ओएनओआरसी पहल के अंतर्गत ई-केवाईसी सुविधा और ई-एनडब्ल्यूआर वित्तीय व्यवस्था के लिए ऋण गांरटी योजना कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने में एतिहासिक भूमिका निभा रहे हैं.
खाद्य प्रबंधन: खाद्य सुरक्षा:आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार सरकार लोगों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. इस दिशा में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और लक्षित पीडीएस (टीपीडीएस), राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) 2013 तथा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम ग्रामीण आबादी का करीब 75 प्रतिशत और शहरी आबादी का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा कवर करता है. लोगों को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से मुफ्त में अनाज उपलब्ध कराया जाता है. 2011 की जनसंख्या के अनुसार यह संख्या 81 करोड़ 35 लाख तक हो सकती है. वास्तव में, देश की दो-तिहाई आबादी इस अध्ययन के अंतर्गत आती है और आमजनों को मुफ्त में अनाज प्राप्त होता है. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत मुफ्त खाद्यान्न नियमित रूप से 80 करोड़ लाभार्थियों को अतिरिक्त दिया जाता है. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मुफ्त अनाज की सुविधा का प्रावधान अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया है, जो पहली जनवरी 2024 से प्रभावी है. यह निर्णय सरकार के दृष्टिकोण, दीर्घावधि प्रतिबद्धता को दर्शाता है. साथ ही यह राष्ट्रीय खाद्य और पोषण सुरक्षा को भी उजागर करता है.