नई दिल्ली: वैश्विक श्रम बाजार में व्यवधानों और चौथी औद्योगिक क्रांति के प्रभावों के बीच, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में भारत के कार्यबल के लिए आने वाले महत्वपूर्ण बदलावों को स्वीकार किया गया है. संसद में सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश होने के बाद मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने भारत के बढ़ते कार्यबल को समायोजित करने के लिए 2030 तक गैर-कृषि क्षेत्र में सालाना लगभग 78.5 लाख नौकरियां पैदा करने की आवश्यकता पर जोर दिया.
सर्वेक्षण में मौजूदा योजनाओं जैसे उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) को बढ़ाने के अवसरों पर भी प्रकाश डाला गया है, जिससे पांच वर्षों में 60 लाख नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है, और मित्र टेक्सटाइल योजना, जिससे 20 लाख नौकरियां पैदा होने का अनुमान है. साथ ही इन योजनाओं को लागू करने में सुधार के महत्व पर भी जोर दिया गया है.
आर्थिक सर्वेक्षण भविष्य के कार्य गतिशीलता में प्रमुख व्यवधान के रूप में एआई के विकास की ओर इशारा करता है. इसमें भारत के लिए जोखिम और अवसरों की पहचान की गई है. क्योंकि बीपीओ जैसे क्षेत्रों में जनरेटिव एआई से अगले दशक में नौकरियों में कमी आ सकती है. एआई के व्यापक उपयोग से अगले वर्षों में उत्पादकता बढ़ सकती है. सर्वेक्षण से पता चलता है कि भारत की आबादी की तकनीक को अपनाने की तत्परता के साथ, सक्रिय सरकारी और उद्योग हस्तक्षेप, भारत को एआई युग में अग्रणी बना सकते हैं.
सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश करने के दौरान मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि ईपीएफओ नामांकन में बड़ी वृद्धि हुई है. वार्षिक शुद्ध पेरोल वृद्धि वित्त वर्ष 2019 में 61.1 लाख से दोगुनी होकर वित्त वर्ष 2024 में 131.5 लाख हो गई, जिसके परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2024 में शुद्ध पेरोल में 1.3 करोड़ की वृद्धि हुई. इसके इलावा ईपीएफओ ने मई 2024 में 19.5 लाख की शुद्ध वृद्धि दर्ज की, जो अप्रैल 2018 के बाद से सबसे अधिक है.
एआई का सकारात्मक प्रभाव
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत अगले दशक में अपने जनसांख्यिकीय लाभांश का फायदा उठाकर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है. जबकि एआई के विकास से वार्षिक उत्पादकता वृद्धि में लगभग 0.3 प्रतिशत अंकों की मामूली कमी आने की उम्मीद है. वहीं, एआई को अधिक से अधिक अपनाने से स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा में महत्वपूर्ण प्रगति की संभावना है, जिससे देश में मानव पूंजी में काफी वृद्धि हो सकती है.
फ्लेक्सी वर्कर
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 5.4 मिलियन औपचारिक अनुबंध कर्मचारी या फ्लेक्सी कर्मचारी संगठित अनुबंध या अस्थायी स्टाफिंग कंपनियों के माध्यम से कार्यरत हैं. ये कंपनियां वेतन या मजदूरी का समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के साथ-साथ अपने अनुबंध कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा और चिकित्सा बीमा भी प्रदान करती हैं. अस्थायी नौकरी के बावजूद इन श्रमिकों को पूर्ण सामाजिक सुरक्षा लाभ प्राप्त होते हैं, औसत अनुबंध अवधि बढ़ती जा रही है, और 2023 में 75 प्रतिशत से अधिक अनुबंध छह महीने से अधिक समय तक चलने वाले रहे.