नई दिल्ली:आज भारत में IPO का क्रेज देखने लायक है. दिग्गज निवेशकों से लेकर आम निवेशक तक सभी IPO के लिए आवेदन कर रहे हैं. इसे अवसर के रूप में लेते हुए कुछ निवेश बैंकिंग कंपनियां बहुत बड़ी धोखाधड़ी कर रही हैं. इसका क्या मतलब है?
बड़ा घोटाला
क्या आप अपनी कंपनी का पब्लिक इश्यू (IPO) लाने की योजना बना रहे हैं? कुछ निवेश बैंक आपकी कंपनी का मूल्य वास्तविक मूल्य से अधिक दिखाएंगे. फिर कंपनी पब्लिक इश्यू लाकर बड़ी मात्रा में फंड जुटा सकते हैं. इसके लिए निवेश बैंक को मदद के लिए कंपनी को एकत्रित फंड का आधा हिस्सा देना होता है.
चार्टर्ड अकाउंटेंट की मदद से
कुछ निवेश बैंकिंग फर्म चार्टर्ड अकाउंटेंट से संपर्क कर रही हैं. उनके माध्यम से उन्हें उन कंपनियों के प्रमोटरों के बारे में पता चलता है जो पब्लिक इश्यू के माध्यम से फंड जुटाने की सोच रहे हैं. बाद में, वे प्रमोटरों को आकर्षित करते हैं और उन्हें IPO के लाभों और अतिरिक्त लाभों के बारे में बताकर धोखा देने के लिए राजी करते हैं.
इन घटनाक्रमों पर नज़र रखने वाले सूत्रों का कहना है कि हमारे देश में एसएमई आईपीओ की बढ़ती लोकप्रियता का फायदा उठाने के लिए कुछ निवेश बैंकिंग फर्म इस गलत तरीके को अपना रही हैं. सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि यह 'अवैध व्यापार प्रणाली', जो पहले गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों तक सीमित थी, अब दूसरे राज्यों में भी फैल गई है.
कैसे करते हैं घोटाला?
आइए एक उदाहरण से जानते हैं कि आईपीओ में आने वाली कंपनी के प्रमोटर और बैंकर्स के बीच समझौते की प्रक्रिया कैसे होती है. मान लीजिए कि 100 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाने वाली किसी कंपनी की नेटवर्थ 500 करोड़ रुपये है. लेकिन निवेश बैंकिंग कंपनी कहती है कि उस कंपनी का मूल्य बढ़ाकर 1000 करोड़ रुपये या 2000 करोड़ रुपये कर दिया जाएगा.