नई दिल्ली:राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से ब्रिक्स सदस्य देशों को वैश्विक आरक्षित मुद्रा के रूप में अमेरिकी डॉलर के स्थान पर अन्य मुद्राओं को लाने के खिलाफ चेतावनी दी. साथ ही 100 फीसदी टैरिफ लगाने की अपनी धमकी को दोहराया, जो उन्होंने नवंबर में अमेरिकी चुनाव जीतने के बाद जारी की थी.
ट्रंप की चेतावनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथसोशल पर एक पोस्ट में ट्रंप ने कहा कि हमें इन दुश्मन देशों से यह प्रतिबद्धता चाहिए कि वे न तो नई ब्रिक्स मुद्रा बनाएंगे, न ही शक्तिशाली अमेरिकी डॉलर की जगह किसी अन्य मुद्रा का समर्थन करेंगे, अन्यथा उन्हें 100 फीसदी टैरिफ का सामना करना पड़ेगा. आगे कहा कि वे किसी दूसरे बेवकूफ देश को ढूंढ़ सकते हैं. इस बात की कोई संभावना नहीं है कि ब्रिक्स अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में या कहीं और अमेरिकी डॉलर की जगह ले लेगा, और जो भी देश ऐसा करने की कोशिश करेगा, उसे टैरिफ को नमस्ते और अमेरिका को अलविदा कह देना चाहिए!
ब्रिक्स के सदस्य ब्रिक्स के सदस्य देशों में ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका , मिस्र, इथियोपिया, ईरान, इंडोनेशिया और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं. इस समूह की कोई साझा मुद्रा नहीं है, लेकिन यूक्रेन में युद्ध के कारण रूस पर कई पश्चिमी देशों द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद इस पर चर्चा तेज हो गई है.
भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए खतरा? ट्रंप की टैरिफ धमकियां भारत के लिए विशेष रूप से चिंताजनक हैं, जो अमेरिका के साथ मजबूत व्यापारिक संबंध बनाए रखता है. अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जिसका द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 24 में 120 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है. अमेरिका को भारत का निर्यात पोर्टफोलियो विविध है, जिसमें कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स, इंजीनियरिंग सामान और आईटी सेवाएं शामिल हैं. डॉलर को कमजोर करने वाले देशों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने के ट्रंप के वादे से भारतीय निर्यातकों की लागत बढ़ सकती है, जिससे उनके उत्पाद अमेरिकी बाजार में कम प्रतिस्पर्धी हो सकते हैं.