हैदराबाद :विलुप्त हो रहे गौरैया के संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 20 मार्च को मनाया जाने वाला विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है. विश्व गौरैया दिवस शहरी परिवेश में घरेलू गौरैया और अन्य सामान्य पक्षियों व उनकी आबादी के लिए खतरों के बारे में लोगों के बीच जानकारी बढ़ाने के लिए मनाया जाने वाला दिन है. यह इको-सिस एक्शन फाउंडेशन (फ्रांस) और दुनिया भर के कई अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से नेचर फॉरएवर सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय पहल है.
गौरैया की संख्या कम होने के पीछे कई कारण हैं. कृषि के सेक्टर में रासायनिक खाद व कीटनाशक का अत्यधिक उपयोग, आज के समय में पक्के मकानों के डिजाइन में पशु-पक्षियों के जगह नहीं होना मुख्य माना जाता है. शहरी ही ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के साथ-साथ आवासों के आसपास रहने गौरैया के अनुकूल पेड़-पौधौं की संख्या घट रही है. कई महानगरों में मकानों के आसपास पक्षियों को रोकने के लिए जाल, कटीले कीलों का उपयोग किया जा रहा है.
विश्व गौरैया दिवस का इतिहास
गौरैया की मनमोहक चहचहाहट परिचित और आरामदायक हो सकती है, लेकिन इन छोटे पक्षियों को दुनिया भर में लगातार कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. विश्व गौरैया दिवस उनकी दुर्दशा की एक महत्वपूर्ण याद दिलाता है और उनकी सुरक्षा के लिए कार्रवाई का आह्वान करता है. आइए इस महत्वपूर्ण दिन के इतिहास के बार में जानें
- 2009: भारत के संरक्षणवादी डॉ. मोहम्मद दिलावर ने शहरी क्षेत्रों में गौरैया की आबादी में भारी गिरावट देखी. उनके गायब होने के बारे में चिंतित होकर, उन्होंने जागरूकता बढ़ाने और कार्रवाई के लिए प्रेरित करने के लिए एक समर्पित दिन की कल्पना की.
- 2010: फ्रांस में इको-सिस एक्शन फाउंडेशन के सहयोग से 20 मार्च को पहला विश्व गौरैया दिवस आयोजित किया गया. यह तिथि कई क्षेत्रों में पक्षियों की नवीनीकृत गतिविधि और आशावादी शुरुआत का समय दर्शाती है.