नई दिल्ली: मद्रास हाई कोर्ट ने हाल ही में एक पुलिसकर्मी को दाढ़ी रखने पर मिली सजा को रद्द कर दिया. मामले में हाई कोर्ट की मदुरै पीठ ने कहा कि कांस्टेबल अब्दुल खादर इब्राहिम को दाढ़ी रखने के लिए मिली सजा हैरान करवे वाली और असंगत थी. सुनवाई को दौरान जस्टिस एल विक्टोरिया गौरी ने कहा कि बेशक पुलिस बल को सख्त अनुशासन की आवश्यकता होती है, लेकिन इसके लिए अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को उनके धार्मिक अनुष्ठानों पूरा करने से दंडित नहीं किया जाना चाहिए.
इस दौरान कोर्ट ने भारत में धर्मों और रीति-रिवाजों की समृद्ध विविधता का सम्मान करने के महत्व पर भी जोर दिया. बता दें कि इब्राहिम 6 साल पहले मक्का-मदीना हज के 31 दिनों की छुट्टी ली थी. इसके बाद में उन्होंने पैर में इंफेक्शन का हवाला देते हुए छुट्टी बढ़ाने की अपील की. इस बीच तमिलनाडु पुलिस ने उन्हें नोटिस जारी कर दिया और कहा कि उन्होंने छुट्टियों के ड्यूटी पर रिपोर्ट नहीं किया. इतना ही नहीं उन्होंने मद्रास पुलिस के नियमों के खिलाफ दाढ़ी भी बढ़ा ली.
इतना ही नहीं मदुरै शहर के पुलिस आयुक्त ने तीन साल के लिए इब्राहिम की वेतन वृद्धि पर रोक लगाने का आदेश दिया. हालांकि, बाद में पुलिस आयुक्त ने इस फैसले को संशोधित किया और सजा को तीन साल से कम करके दो साल कर दिया. इसके बाद इब्राहिम ने इस आदेश के खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत एक रिट याचिका दायर की, जिसमें हाई कोर्ट से मदुरै शहर के पुलिस आयुक्त की ओर से जारी दंड आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया गया.
भले ही मद्रास हाई कोर्ट ने कांस्टेबल अब्दुल खादर इब्राहिम को मिली सजा को रद्द कर दिया हो, लेकिन सवाल यह है कि आखिर पुलिस और सेना में दाढ़ी-मूंछ को लेकर क्या नियम हैं. क्या सेना और पुलिसकर्मियों दाड़ी-मूंछ रख सकते हैं या नहीं, तो चलिए अब आपको बताते हैं कि सेना और पुलिस में दाढ़ी-मूंछ रखने को लेकर क्या नियम हैं.