नई दिल्ली: अगर आपको पास कार या बाइक हो, तो फिर पेट्रोल या डीजल खरीदने के लिए आपका आना-जाना पेट्रोल पंप पर लगा ही रहता होगा. जब आप गाड़ी में पेट्रोल-डीजल भरवाने के लिए जाते हैं तो पेट्रोल पंप का कर्मचारी आपको मशीन में जीरो देखने को कहता है. उसके कहने पर आप तुरंत जीरो देखने लगते हैं और पेट्रोल भरवा लेते हैं.
साथ ही जीरो देखकर संतुष्ट भी हो जाते हैं. आपको लगता है कि आपने गाड़ी की टंकी में पूरे पैसा का पेट्रोल-डीजल भरवा लिया है. हालांकि, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. दरअसल, खेल जीरो वाले मीटर में नहीं, बल्कि एक ऐसी जगह से खेला जाता है, जहां न तो आपकी नजर होती और न आपको उसका ख्याल होता है और आपकी जेल आराम से कट जाती है.
ईंधन की प्योरिटी से जुड़ा है खेल
बता दें कि पेट्रोल पंप की मशीनों में अलग-अलग सेक्शंस में आपको कितने रुपये का पेट्रोल भरा गया और कितनी मात्रा में पेट्रोल भरा गया. इस तरह का डेटा दिखाया जाता है. ऐसे में आपकी नजर सिर्फ इस पर रहती है कि आपने कितने का पेट्रोल खरीदा और आप मशीन में मौजूद उसकी स्क्रीन को देख भी नहीं पाते हैं, जहां ईंधन की डेंसिटी होती है. दरअसल, यह खेल पैसों से ज्यादा ईंधन की प्योरिटी से जुड़ा होता है.
अगर आप पेट्रोल पंप पर फ्यूल के खेल पर गौर करें तो आपको पता चलेगा कि इस गोरखधंधे में गड़बड़ी वहां होती है, जहां पर ग्राहक की नजर तो छोड़िए , उसको इसका ख्याल तक नहीं आता. आपने अक्सर देखा होगा कि जब आप पेट्रोल पंप पर जाते हैं तो वहां मौजूद कर्मी आपसे कभी भी डेंसिटी देखने के लिए नहीं कहेगा, क्योंकि डेंसिटी से ईंधन की मिलावट का पता चलता है.