श्रीनगर:जम्मूकश्मीर के कुलगाम जिले में एक गांव में बादल फटने से नाबालिग लड़के की मौत हो गई, जबकि बांदीपोरा और शोपियां जिलों में दो और बादल फटने की घटनाएं हुईं, लेकिन कोई जनहानि नहीं हुई. अधिकारियों ने बताया कि आज सुबह कुलगाम जिले के दमहाल हंजीपोरा के पनवार्ड गांव में बादल फटने की घटना हुई, जिसमें 14 वर्षीय लड़के मुख्तार अहमद चौहान की मौत हो गई, जबकि एक अन्य घायल हो गया. इस प्राकृतिक आपदा में दो गायें भी मर गईं. अधिकारियों ने बताया कि स्थानीय लोगों की मदद से जिला प्रशासन ने अन्य को बचाकर सुरक्षित क्षेत्रों में पहुंचा दिया.
अधिकारियों ने बताया कि बांदीपोरा के दर्दपोरा गांव में बादल फटने की घटना से स्थानीय दर्दपोरा नाले में अचानक बाढ़ आ गई. शोपियां के नौगाम इलाके में भी बादल फटने की घटना हुई, जिससे निवासियों में भय व्याप्त हो गया. हालांकि, इन दोनों प्राकृतिक आपदाओं में किसी की जान नहीं गई.
कुलगाम में बादल फटा (ETV Bharat) अधिकारियों ने बताया कि लगातार बारिश और हवाओं के कारण बारामूला शहर में कई पेड़ उखड़ गए, जिससे बारामूला में एसएसपी कार्यालय की ओर जाने वाला यातायात बाधित हो गया. हालांकि, अधिकारी तुरंत हरकत में आए और उखड़े हुए पेड़ों और शाखाओं को हटाकर यातायात बहाल कर दिया.
जलवायु परिवर्तन के कारण कश्मीर घाटी में बादल फटने की घटना
पर्यावरण विशेषज्ञों ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण कश्मीर घाटी में बादल फटने, भूस्खलन और अचानक बाढ़ सहित ये चरम मौसम परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं. पिछले सप्ताह गांदेरबल जिले के कंगन इलाके में एक गांव में बादल फटने से करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ और स्थानीय निवासियों को विस्थापित होना पड़ा.
यातायात पुलिस ने दी सलाह
मामले में यातायात पुलिस ने कहा कि घाटी में लगातार बारिश के बावजूद जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों ओर से यातायात चल रहा है, जबकि मुगल रोड भी यातायात के लिए खुला है. यात्रियों को ट्रैफिक पुलिस द्वारा जारी यातायात सलाह का पालन करने, लेन अनुशासन का पालन करने, ओवरटेक करने से जाम लगने की सलाह दी गई है.
भूस्खलन की चेतावनी
गौरतलब है कि कश्मीर घाटी में गुरुवार सुबह से मध्यम से भारी बारिश हो रही है, जिससे लंबे समय से चली आ रही गर्मी से राहत मिली है. मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि जम्मू-कश्मीर में तीव्र और भारी बारिश के कारण अगले पांच दिनों के दौरान बाढ़, भूस्खलन, मिट्टी धंसने और संवेदनशील स्थानों पर पत्थर गिरने की संभावना है. विभाग ने कहा कि निचले इलाकों में जलभराव और नदियों और झरनों में जल स्तर में वृद्धि होगी.
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