नई दिल्ली :रविवार को घोषित दिल्ली से लोकसभा उम्मीदवारों की कांग्रेस की सूची में जेएनयू छात्र संघ के पूर्व नेता कन्हैया कुमार की अप्रत्याशित एंट्री हुई. कन्हैया कुमार अब उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट पर भाजपा के मनोज तिवारी के खिलाफ मैदान में हैं, जहां से पार्टी प्रबंधक दिल्ली कांग्रेस प्रमुख अरविंदर सिंह लवली के नाम पर विचार कर रहे थे.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली स्क्रीनिंग कमेटी ने उत्तर पूर्व सीट के लिए केवल लवली का नाम भेजा था, लेकिन केंद्रीय चुनाव समिति ने कन्हैया कुमार को मैदान में उतारने का फैसला किया, जो उत्तर पूर्व सीट पर बिहार और यूपी की बड़ी आबादी को लुभाने में सक्षम होंगे.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, पूर्व पार्टी प्रमुख राहुल गांधी ने कन्हैया कुमार के नामांकन के पीछे भूमिका निभाई, जो पिछले वर्षों में उनके करीबी सहयोगी बन गए हैं. कन्हैया के साथ राहुल की जान-पहचान 2016 में तब शुरू हुई जब कांग्रेस नेता ने संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु की बरसी के मौके पर परिसर में एक कार्यक्रम में कथित तौर पर राष्ट्रविरोधी नारे लगाने के लिए जेएनयू छात्र संघ के नेता को गिरफ्तार करने के लिए केंद्र सरकार पर हमला किया.
बाद में, कन्हैया ने अमेठी सांसद से मुलाकात की और उनका समर्थन करने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया. कन्हैया कुमार 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सीपीआई में शामिल हो गए थे. उन्होंने अपने गृह राज्य बिहार की बेगुसराय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा. वह भाजपा के गिरिराज सिंह से मुकाबले में चुनाव हार गये.
राहुल के कहने पर 2021 में कांग्रेस में शामिल हुए कुमार के नाम पर पार्टी 2024 में बेगुसराय सीट के लिए भी विचार कर रही थी, लेकिन यह सीट इंडिया ब्लॉक के हिस्से के रूप में सीपीआई के पास चली गई. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, शामिल होने के तुरंत बाद, प्रबंधकों को कन्हैया की एक तेजतर्रार वक्ता होने की प्रतिभा का एहसास हुआ. उन्होंने उन्हें केंद्र सरकार पर निशाना साधने के लिए तैनात करना शुरू कर दिया.