अयोध्या: रामनगरी अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन कार्यशाला स्थल रामसेवकपुरम को देवालय का रूप दिया जा रहा है. यहां पर दक्षिण भारत की परंपरा पर आधारित भगवान शिव के मंदिर की स्थापना की गई है. 5 सितंबर को मंदिर में शिवलिंग की स्थापना की जाएगी.
इसमें विश्व हिंदू परिषद, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्टी, संत धर्माचार्य शामिल होंगे. वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस आयोजन में शामिल होने के लिए पहुंच सकते है. जिसको लेकर रामसेवकपुरम परिसर में तैयारियां शुरू हो गई हैं.
दक्षिण भारत की परंपरा पर आधारित अयोध्या का यह पहला शिव मंदिर होगा, जिसमें स्थापित होने वाला शिवलिंग भी दक्षिण भारत से लाया जा रहा है. इस पूरे आयोजन को दक्षिण भारत की एक समिति के द्वारा किया जा रहा है. जिसके कुछ सदस्य अयोध्या पहुंच गए हैं.
आयोजन को लेकर एक बड़ा पंडाल लगाया जा रहा है. आयोजक समिति के द्वारा बताया गया कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के द्वारा स्वीकृति मिलने के बाद रामसेवक पुरम में शिव मंदिर को तैयार किया गया है. इस मंदिर में एक पुजारी की नियुक्ति भी की जाएगी. जो यहां की व्यवस्थाओं की देखरेख करेगा.
विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने बताया कि कारसेवकों के आंदोलन में रामसेवकपुरम का विशेष स्थान रहा है. 2001 में राम मंदिर निर्माण के संकल्प को लेकर 100 दिवसीय महायज्ञ का आयोजन किया गया था, जिसमें पूरे देश से लाखों राम भक्त अयोध्या पहुंचे थे. सभी भक्तों ने आहुति डाली थी.
इस स्थान पर आने वाले सभी राम भक्तों के रुकने की व्यवस्था, भोजन की व्यवस्था बनाई गई थी. इसके साथ ही एक सभा का आयोजन भी किया गया था. यह स्थान पहले से ही देव स्थान के रूप में माना जाता था. इस स्थान पर मंदिर निर्माण की कार्यशाला भी लंबे समय तक चली, जहां पर रामलला की मूर्ति का भी निर्माण किया गया. अब इस स्थान पर दर्शन के लिए बड़ी संख्या में दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं.
ये भी पढ़ेंःरामलला की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकारों को मिला पारिश्रमिक, तीनों को दिए गए 75 -75 लाख रुपए