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दिव्यांग नहीं किसी से कम, दिव्य कला मेला में दिखाया हुनर का दम - DIVYA KALA MELA RAIPUR - DIVYA KALA MELA RAIPUR

DIVYA KALA MELA RAIPUR छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में दिव्य कला मेला लगा है. इसमें अपने शिल्प कला और उत्पाद को लेकर प्रदेश सहित देश के दिव्यांग पहुंचे हैं. ग्राहकों को भी यहां बिक रहे सामान पसंद आ रहे हैं.

DIVYA KALA MELA IN RAIPUR
दिव्यांगों के हुनर का दम (ETV Bharat)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 21, 2024, 6:09 PM IST

रायपुर दिव्य कला मेला में दिव्यांगों के हुनर का दम (ETV Bharat)

रायपुर:कहते हैं कि आदमी के हौसले बुलंद हो तो उसकी शारीरिक कमी का कोई असर उसके कामों में नहीं दिखता है. भले व्यक्ति दिव्यांग ही क्यों ना हो. इसका जीता जागता उदाहरण है रायपुर का दिव्य कला मेला. यहां देश के दिव्यांग छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में जुटे हुए हैं. यहां वे अपने शिल्प कौशल और उत्पादों को प्रदर्शित कर रहे हैं. वे न सिर्फ खुद आत्मनिर्भर हैं बल्कि दूसरों को भी सहारा दे रहे हैं.

रायपुर में दिव्य कला मेला:राजधानी रायपुर के बीटीआई ग्राउंड में दिव्य कला मेला का आयोजन किया गया है. इसमें प्रदेश सहित देश भर के दिव्यांग उद्यमी और कलाकार शामिल हुए हैं. इन दिव्यांगों में कोई बोल नहीं पाता है तो कोई सुन नहीं पाते हैं. कोई चलने में असमर्थ है, तो कोई मानसिक रूप से कमजोर है. लेकिन ये सभी एक मिसाल कायम कर रहे हैं. घरेलू उत्पाद हो या फिर माटी के बर्तन या अन्य कोई अन्य चीज. ऐसी कोई चीज नहीं है जो ये नहीं बना सकते.

दिव्यांग ने इशारों से अपने हुनर को किया बयां: एक दिव्यांग शबनम शेख सुन बोल नहीं सकती हैं. शबनम ने इशारे में बताया कि कैसे आज वे अपने पैरों पर खड़ी हैं. किस तरह उन्होंने काम शुरू किया और आज कहां पहुंची है. शबनम के इशारों को फरजाना बेगम ने शब्दों में बयां किया.

"आज जो आम लोग काम नहीं कर पाए, वह हैंडीक्राफ्ट लोग करके दिखा रहे हैं. आज जो लोग बोलते हैं, रोजगार नहीं है, आज हम दिव्यांग होते हुए भी अपना रोजगार संचालित कर रहे हैं. ऐसे में जो लोग रोजगार न होने की दलील देते हैं, उन्हें अपने हाथ के हुनर का इस्तेमाल कर रोजगार हासिल करना चाहिए. पिछले दो सालों से हम ये काम करते आ रहे हैं. हमारे साथ कई दिव्यांग जुड़े हुए हैं. आज इन उत्पादों को बेचकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं."-शबनम शेख, दिव्यांग

अलग अलग राज्यों से आए दिव्यांग: दिव्य कला मेला में आए मानसिक रूप से कमजोर दिव्यांगों ने कई प्रोडक्ट बनाए हैं. गोबर से बनी धूप और दीये को लेकर गुजरात से दिनयांग पचीगर पहुंचे हैं. उन्होंने बताया कि ''यह उत्पाद दिव्यांगों ने तैयार किया है.'' उत्तर प्रदेश के मेरठ से आए अखिलेश ने भी खादी के उत्पादों का स्टॉल लगा रखा है. उन्होंने कहा कि, "दिव्यांगों के द्वारा यह वस्त्र तैयार किए गए हैं. मेरे पास 20-30 कारीगर हैं, जो यह कपड़े तैयार करते हैं. इससे हमारी अच्छी इनकम हो जाती है."

अनोखी कलाकृति आकर्षण का केन्द्र:हीरा धृतलहरे भी दिव्य कला मेला में पहुंची हैं. वह एक दिव्यांग समूह का प्रतिनिधित्व करती हैं. लेकिन उनके पास एक ऐसा खास प्रोडक्ट है, जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है. उनकी पैरा से बनाई गई मनमोहक कलाकृतियां लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं. इस कलाकृति को बनाने में काफी मेहनत लगती है. पैरा से बनाने की वजह से लागत तो कम होती है लेकिन इसे बनाने में काफी लंबा समय और मेहनत लगती है. यही कारण है कि इसकी कीमत भी उसी के अनुसार तय होती है.

कला सीखने में लगता है थोड़ा वक्त: वहीं आकांक्षा इंस्टीट्यूट रायपुर से पहुंचे पंकज मौर्या ने बताया कि ''हमारे इंस्टिट्यूट में पढ़ने वाले दिव्यांग बच्चों ने माटी के दीये, बर्तन, हस्तकला से संबंधित कई चीजें तैयार की है. हमारे पास जो भी बच्चे हैं, वह मानसिक रूप से कमजोर हैं. उन्होंने यह सारी वस्तुएं तैयार की है."

प्रीति शर्मा भी दिव्य कला मेला में पहुंची हैं. प्रीति शर्मा ने बताया, "मेरे पास दिव्यांग बच्चे हैं, जो यह प्रोडक्ट तैयार करते हैं, हालांकि उन्हें सीखने में काफी मेहनत करनी पड़ती है. सामान्य लोगों से ज्यादा ध्यान दिव्यांगों को इन चीजों को बनाने में देना होता है. यही कारण है कि इन्हें सीखने में थोड़ा समय लगता है, हालांकि सीखने के बाद बेहतर काम करते हैं."

"यह एक अच्छी पहल है. दिव्यांगों के लिए एक अच्छा प्लेटफॉर्म दिया गया है. यहां सभी तरह के उत्पादों को एक जगह पर लाया गया है. यह काफी सुंदर उत्पाद हैं. ऐसे आयोजन होते रहने चाहिए."- उदय, ग्राहक

दिव्यांगों में दिखा उत्साह: इस दिव्य मेला के आयोजक का कहना है, "दिव्यांग उद्यमियों के शिल्प कौशल और उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए यह आयोजन किया गया है. इसमें प्रदेश सहित देश के अन्य राज्यों से दिव्यांग अपने उत्पादों को लेकर पहुंचे हैं. दिव्यांगों में काफी उत्साह का माहौल है. हालांकि अभी कारोबार ठंडा है. लेकिन उम्मीद है कि आने वाले समय में यह और बढ़ेगा."

दिव्य कला मेले के माध्यम से दिव्यागों को आत्मनिर्भर बनने का मौका मिल रहा है. यहां आए सभी लोगों ने इस तरह के आयोजन की तारीफ की है.

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