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दिल्ली की डॉक्टर नीरजा भटला, रामदरश मिश्र और सुरिंदर वसल को पद्मश्री सम्मान - PADMA SHRI AWARD 2025

नीरज भटला को सर्वाइकल कैंसर के क्षेत्र में काम करने के लिए पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया है.

पद्मश्री से सम्मानित
पद्मश्री से सम्मानित (Etv Bharat)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 25, 2025, 10:56 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली एम्स के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की पूर्व प्रमुख प्रोफेसर नीरज भटला को सर्वाइकल कैंसर के क्षेत्र में काम करने के लिए पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया है. शनिवार शाम को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर घोषित की गई पद्म पुरस्कारों की सूची में डॉ. नीरज भटला का नाम भी शामिल है.

बता दें कि 65 वर्षीय डॉक्टर नीरज भटला तीन साल पहले ही दिल्ली एम्स से सेवानिवृत हुई हैं. एक कुशल स्त्री रोग विशेषज्ञ के रूप में उन्होंने मुख्य रूप से महिलाओं में पाए जाने वाले सर्वाइकल यानी गर्भाशय कैंसर के लिए उल्लेखनीय कार्य किया. नीरजा भटला ने गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का पता लगाने, रोकथाम और प्रबंधन पर विशेष ध्यान देते हुए महिलाओं को इससे बचाव के प्रति जागरूक करते हुए उनको स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

एम्स की पूर्व प्रोफेसर नीरजा भटला को पद्मश्री (ETV BHARAT)

एम्स में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने भारत में गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की रोकथाम पर कई शोध परियोजनाओं का नेतृत्व करना जारी रखा, जिसमें कम संसाधन वाली सेटिंग्स में स्क्रीनिंग, एचपीवी महामारी विज्ञान, किफायती एचपीवी परीक्षण और टीकों पर परीक्षण शामिल हैं. गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की जांच, प्रबंधन और एचपीवी टीकाकरण के लिए संसाधन-आधारित दिशानिर्देश बनाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

अंतर्राष्ट्रीय स्त्री रोग और प्रसूति संघ (एफ़आईजीओ) की अध्यक्ष के रूप में उनके नेतृत्व में स्त्री रोग कैंसर प्रबंधन ऐप विकसित किया गया. एम्स के डॉक्टरों ने बताया कि उनका काम गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की रोकथाम के प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर सराहा गया है. एक प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर में अपने अग्रणी कार्य के लिए जानी जाती हैं.

सुरिंदर कुमार वसल को भी पद्मश्री (ETV BHARAT)

सुरिंदर कुमार वसल को भी पद्मश्री:सुरिंदर कुमार वसल एक भारतीय आनुवंशिकीविद् और पादप प्रजनक हैं, जिन्हें उच्च प्रोटीन सामग्री वाली मक्का की किस्म विकसित करने में उनके योगदान के लिए जाना जाता है. उनका जन्म 12 अप्रैल 1938 को भारतीय राज्य पंजाब के अमृतसर में हुआ था और उन्होंने आनुवंशिकी और पादप प्रजनन में पीएचडी प्राप्त की थी. उन्होंने 1970 के दशक में मक्का के प्रोटीन समृद्ध रूप को विकसित करने के लिए 35 वर्षों तक जैव रसायनज्ञ इवेंजेलिना विलेगास के साथ काम किया.

गुणवत्ता प्रोटीन मक्का कम पोषक तत्व वाले मकई में प्रोटीन मिलाकर बनाया जाता है और आज चीन, मैक्सिको, मध्य अमेरिका के कुछ हिस्सों और अफ्रीका में प्रचलित है. कुपोषण को कम करने में इसकी भूमिका के कारण इसे "चमत्कारी मक्का" के रूप में जाना जाता है. मक्का के पोषण मूल्य में सुधार के अलावा, इसकी उत्पादकता भी बढ़ाई गई. उन्हें मेक्सिको में अंतर्राष्ट्रीय मक्का और गेहूं सुधार केंद्र में गुणवत्ता प्रोटीन मक्का के विकास के लिए 2000 में संयुक्त रूप से विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया. अब, इसी कार्य के लिए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. वसल राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी के निर्वाचित फेलो हैं. वह दिल्ली के वसंत विहार में रहते हैं.

साहित्यकार रामदरश मिश्र को भी पद्मश्री (ETV BHARAT)

साहित्यकार एवं शिक्षाविद् रामदरश मिश्र को भी पद्मश्री:हिंदी साहित्य की सभी विधाओं में लेखन करने वाले 101 वर्षीय साहित्यकार प्रोफेसर रामदरश मिश्र का भी पद्मश्री के लिए नाम है. अभी नवंबर माह में ही डीयू के खालसा कॉलेज द्वारा उनकी जन्मशताब्दी मनाई गई थी. रामदास मिश्रा ने उपन्यास, कहानी, कविता सहित हिंदी साहित्य की सभी विधाओं में महत्वपूर्ण लेखन कार्य किया है.

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