दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन दोनों प्रशासनों ने भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी की हैं: एक्स्पर्ट्स - Professor Harsh V Pant - PROFESSOR HARSH V PANT

India US Relations: संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत की पूर्व राजदूत मीरा शंकर ने ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी से कहा कि डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन दोनों प्रशासनों ने भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी बनाने में मदद की है.

डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन की भारत के साझेदारी
डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन की भारत के साझेदारी (सांकेतिक तस्वीर)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 11, 2024, 7:14 PM IST

नई दिल्ली:जैसे-जैसे अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव नजदीक आ रहे हैं. वैसे-वैसे भारत इस बात पर बारीकी से नजर रख रहा है कि उम्मीदवारों की नीतियां उसके आर्थिक हितों या अमेरिका के साथ द्विपक्षीय संबंधों को किस तरह प्रभावित कर सकती हैं.

इसको लेकर संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत की पूर्व राजदूत मीरा शंकर ने कहा, "भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए अमेरिका में द्विदलीय सहमति है. डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन दोनों प्रशासनों ने समय के साथ भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी बनाने में मदद की है.

भारत पर नितियों का प्रभाव पड़ेगा
पूर्व अमेरिकी राजदूत ने ईटीवी भारत से कहा, "हम स्पष्ट रूप से दोनों उम्मीदवारों की अलग-अलग नीतियों से प्रभावित होंगे. उदाहरण के लिए, अमेरिका में सभी आयातों पर ट्रंप के प्रस्तावित 20 प्रतिशत टैरिफ का अमेरिका को हमारे निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. या वीजा पर उनकी प्रतिबंधात्मक नीति हमारी सॉफ्टवेयर और सेवा कंपनियों को प्रभावित कर सकती है. ट्रंप जलवायु परिवर्तन पर समझौते से भी बाहर निकल सकते हैं और यह ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के वैश्विक प्रयासों के लिए एक झटका होगा, भले ही वह मामूली हो."

उन्होंने बताया कि रणनीतिक स्तर पर दोनों उम्मीदवार चीन को रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखते हैं, लेकिन कमला हैरिस एशिया में बाइडेन के व्यवस्थित गठबंधन जारी रखने की संभावना है, जबकि ट्रंप अप्रत्याशित हो सकते हैं. यूक्रेन पर शंकर ने कहा, "ट्रंप सैन्य संघर्ष को समाप्त करने की कोशिश करेंगे, जबकि कमला यूक्रेन के लिए अमेरिकी समर्थन जारी रखने की संभावना है."

विदेश नीति और थिंक टैंक विशेषज्ञ लेखक प्रोफेसर हर्ष वी पंत ने कहा कि चुनावों का नतीजा चाहे जो भी हो, भारत और अमेरिका वैश्विक व्यवस्था, विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चुनौतियों का समाधान करने के लिए मिलकर काम करते रहेंगे रखेंगे.

चीन का फैक्टर डालेगा प्रभाव
प्रोफेसर पंत ने कहा, "अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में चीन का फैक्टर अमेरिका-भारत संबंधों पर प्रभाव डालना जारी रखेगा. भारत और अमेरिका दोनों के लिए एक वैश्विक इकाई के रूप में चीन कामैनेजमंट उनकी विदेश नीतियों में प्रेरक होगा."

प्रोफेसर हर्ष वी पंत ने कहा, "जैसे-जैसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन बदल रहा है, इससे यह सुनिश्चित होगा कि भारत और अमेरिका एक साथ काम करना जारी रखे, जैसा कि पिछले कुछ दशकों में विभिन्न प्रशासनों के दौरान, भारत और अमेरिका एक-दूसरे के करीब आते रहे हैं."

डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस की बहस
बुधवार को अमेरिकी चुनाव अभियान में डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस की पहली टेलीविजन बहस को लाखों दर्शकों ने देखा. 90 मिनट तक चली तीखी बहस में, रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों ने अर्थव्यवस्था, आव्रजन और गर्भपात सहित प्रमुख चुनावी मुद्दों पर अपने-अपने दावे किए.

ट्रंप के साथ हमेशा अनिश्चितता
यह पूछे जाने पर कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव भारत के अंतरराष्ट्रीय रुख की वैश्विक धारणा को आकार देने में क्या भूमिका निभाता है. इस पर प्रोफेसर पंत ने कहा, "ट्रंप के साथ हमेशा अनिश्चितता होती है और यह एक चुनौती बनी रहेगी क्योंकि यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि उनके पास कई मुद्दों पर एक विशेष दृष्टिकोण है या नहीं. इसलिए, अनिश्चितता भारत सहित अधिकांश देशों के लिए एक शून्य पैदा करती है. क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर भारत के लिए यह महत्वपूर्ण है कि अमेरिका इंडो-पैसिफिक में शामिल रहे और बाइडेन प्रशासन ने इसका पालन किया है."

उन्होंने कहा कि बाइडेन ने अमेरिकी गठबंधनों को पुनर्जीवित किया है और इंडो-पैसिफिक में नई साझेदारियां तैयार की हैं. ऐसे में यह संभावना है कि कमला हैरिस बाइडेन प्रशासन का हिस्सा थीं, इसलिए वे उन नीतियों को जारी रखें. भारत को उम्मीद होगी कि हैरिस बाइडेन द्वारा अपनाए गए दृष्टिकोण को अपनाएंगी और वे पहलू जहां भारत और अमेरिका करीब आते रहेंगे, वही रहेंगे.

क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता करनी होगी सुनिश्चित
प्रोफेसर पंत ने कहा कि ट्रंप के साथ अनिश्चितता की डिग्री एक महत्वपूर्ण फैक्टर होगा और भारत भविष्य के ट्रंप प्रशासन के साथ संबंधों को कैसे मैनेज करता है, यह इनमें से कई मुद्दों की दिशा निर्धारित करेगा. मोटे तौर पर, चाहे वह ट्रंप हो या कमला हैरिस, अमेरिका में इस बात को लेकर वास्तविक बहस चल रही है कि दुनिया में अमेरिका को क्या भूमिका निभानी चाहिए और अमेरिकी नीतियों पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है. इसलिए, भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि अगर वैश्विक वस्तुओं को प्रदान करना है और क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखना है, तो वह वैश्विक मामलों में बड़ी भूमिका निभाए",

रूस और यूक्रेन की हालिया यात्रा के बाद प्रधानमंत्री मोदी इस महीने अमेरिका की अपनी यात्रा की तैयारी कर रहे हैं, ऐसे में अमेरिका में उनके कार्यकाल के दौरान होने वाली कूटनीतिक गतिविधियों और जुड़ावों को लेकर उत्सुकता बढ़ रही है. अमेरिका में उनका दौरा अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से कुछ दिन पहले हो रहा है.

उनकी यात्रा के दौरान एक भव्य कार्यक्रम में भाग लेने के लिए 24,000 से अधिक भारतीय प्रवासियों ने उत्सुकता से पंजीकरण कराया है. भारत और अमेरिका के बीच मजबूत और बढ़ते रिश्ते हैं, जो व्यापार, रक्षा, प्रौद्योगिकी और शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग पर आधारित हैं. दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे वैश्विक मुद्दों पर मिलकर काम किया है. आपसी हितों और साझा मूल्यों के कारण उनके बीच रणनीतिक साझेदारी का विस्तार जारी है.

यह भी पढ़ें- कौन हैं भारत विरोधी इल्हान उमर? राहुल गांधी ने अमेरिका में जिनसे की मुलाकात, BJP ने किया घेराव

ABOUT THE AUTHOR

...view details