गुवाहाटी: ऐसे समय में जब राज्य में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) को लेकर उबाल है, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि असम में 'सीएए' का कोई महत्व नहीं है. गुरुवार को दिसपुर के लोक सेवा भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में सीएए के मुद्दे पर पत्रकारों के एक सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि असम के मामले में 'सीएए' अप्रासंगिक है.
यह कहते हुए कि नए लागू सीएए नियमों के तहत असम में भारतीय नागरिकता के लिए सबसे कम आवेदन आएंगे, मुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग 1 जनवरी 2014 से पहले आए थे, वे पोर्टल पर नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं. लेकिन असम के मामले में यह अलग है. मुख्यमंत्री ने कहा कि पोर्टल लॉन्च हुए कई दिन हो गए हैं, लेकिन असम से एक भी आवेदन नहीं आया है, उन्होंने कहा कि हम भावनाओं से नहीं बल्कि विवेक से बात करेंगे.
असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि असम में 'सीएए' के लिए आवेदन करने वालों की संख्या सबसे कम होगी. मुख्यमंत्री ने यह कहते हुए कि पोर्टल अब खुला है, हर कोई देख सकता है कि कितने लोगों ने आवेदन किया है. असम के मामले में यह कानून पूरी तरह महत्वहीन है.
पत्रकारों के एक सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि नागरिकता देना केंद्र सरकार की गरिमा का मामला है. कानून कहता है कि 2014 से पहले आने वालों की जानकारी देनी होगी. असम में अगर किसी ने एनआरसी के लिए आवेदन नहीं किया है तो इसका मतलब ही यह है कि वह व्यक्ति 2014 से पहले नहीं आया है.
सीएम ने सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों पर भी कटाक्ष किया और कहा कि 45 दिनों के बाद जब नागरिकता के लिए आवेदन प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी, तो 2019 सीएए आंदोलन के दौरान 5 शहीदों की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाब देना होगा.