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शिवालयों में पहुंचे कांवड़िये, बम भोले के जयकारों के गूंज उठा गंगोत्री धाम - Kawad

शिवभक्त गंगा जल लेकर सोमवार की रात्रि तक शिवमंदिरों में पहुंच गए. जिनका लोगों ने जोरदार स्वागत किया.

शिवालयों में पहुंचे कांवड़िये.
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Published : Jul 30, 2019, 10:32 AM IST

Updated : Jul 30, 2019, 11:22 AM IST

उत्तरकाशी: सोमवार देर रात उत्तरकाशी के स्थानीय कांवड़ियों का शिवालयों में पहुंचना शुरू हो गया है. इस दौरान कांवड़ियों का लोगों ने जोरदार स्वागत किया.कावंड़ यात्रा के आखिरी दिन और रात गंगोत्री धाम जय भोले के जयकारों से गूंजता रहा. वहीं, उत्तरकाशी के भटवाड़ी सहित अन्य ब्लॉकों से कई गांव से ग्रामीण डाक कांवड़ लेने गंगोत्री धाम पहुंचे थे. जिसके बाद जल भर कर देर रात अपने शिवालयों की ओर रवाना हुए.

शिवालयों में पहुंचे कांवड़िये

गौर हो कि शिवभक्त गंगा जल लेकर सोमवार की रात्रि तक शिवमंदिरों में पहुंच गए. शिव भक्त मंगलवार को अपराह्न 2.45 मिनट से जलाभिषेक करना शुरू करेंगे. देश के विभिन्न प्रदेशों के कांवड़ यात्री वर्षों से गंगोत्री और गौमुख से डाक कांवड़ लेने की परंपरा को निभा रहे हैं तो वहीं अब स्थानीय डाक कांवड़ भी अतीत की इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं. उत्तरकाशी जनपद भटवाड़ी ब्लॉक के लगभग सभी गांव के युवा अपने शिवालयों के लिए डाक कांवड़ लेने गंगोत्री धाम पहुंचते हैं.

पढ़ें-उत्तराखंड सरकार को बड़ा झटका, लालढांग-चिल्लरखाल मोटरमार्ग पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

उसके बाद 5 से 12 घंटे लगातार चलने के बाद अपने शिवालयों में पहुंचते हैं. जिसके बाद शिव भक्त अपने शिवालयों में अपने अराध्य को जल चढ़ाते हैं. उनके पहुंचे पर स्थानीय ग्रामीण उनका भव्य स्वागत किया जाता है.

उत्तरकाशी: सोमवार देर रात उत्तरकाशी के स्थानीय कांवड़ियों का शिवालयों में पहुंचना शुरू हो गया है. इस दौरान कांवड़ियों का लोगों ने जोरदार स्वागत किया.कावंड़ यात्रा के आखिरी दिन और रात गंगोत्री धाम जय भोले के जयकारों से गूंजता रहा. वहीं, उत्तरकाशी के भटवाड़ी सहित अन्य ब्लॉकों से कई गांव से ग्रामीण डाक कांवड़ लेने गंगोत्री धाम पहुंचे थे. जिसके बाद जल भर कर देर रात अपने शिवालयों की ओर रवाना हुए.

शिवालयों में पहुंचे कांवड़िये

गौर हो कि शिवभक्त गंगा जल लेकर सोमवार की रात्रि तक शिवमंदिरों में पहुंच गए. शिव भक्त मंगलवार को अपराह्न 2.45 मिनट से जलाभिषेक करना शुरू करेंगे. देश के विभिन्न प्रदेशों के कांवड़ यात्री वर्षों से गंगोत्री और गौमुख से डाक कांवड़ लेने की परंपरा को निभा रहे हैं तो वहीं अब स्थानीय डाक कांवड़ भी अतीत की इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं. उत्तरकाशी जनपद भटवाड़ी ब्लॉक के लगभग सभी गांव के युवा अपने शिवालयों के लिए डाक कांवड़ लेने गंगोत्री धाम पहुंचते हैं.

पढ़ें-उत्तराखंड सरकार को बड़ा झटका, लालढांग-चिल्लरखाल मोटरमार्ग पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

उसके बाद 5 से 12 घंटे लगातार चलने के बाद अपने शिवालयों में पहुंचते हैं. जिसके बाद शिव भक्त अपने शिवालयों में अपने अराध्य को जल चढ़ाते हैं. उनके पहुंचे पर स्थानीय ग्रामीण उनका भव्य स्वागत किया जाता है.

Intro:सोमवार देर रात उत्तरकाशी के स्थानीय हजारों भोले डाक कावंड़ लेकर अपने- अपने गांव के शिवालयों के लिए रवाना हुए। भोले पूरी रात पैदल दौड़ते हुए अपने-अपने गांव के शिवालयों मे पहुंचेंगे। उसके बाद अपराह्न 2.45 पर शिवालयों में जल चढ़ना शुरू होगा। ग्रामीण भी भोलो का जोरदार स्वागत करते हैं। उत्तरकाशी। भारत की एक अद्भुत और हिंदुत्ववादी आस्था की अलग ही पहचान इस वर्ष की कावंड़ यात्रा के आखिरी दिन और रात गंगोत्री धाम जय भोले के जयकारों से गूंजता रहा। साथ ही उत्तरकाशी के भटवाड़ी सहित अन्य ब्लॉकों से कई गांव के ग्रामीण डाक कावंड़ लेने गंगोत्री पहुंचे और उसके बाद जल भर कर देर रात अपने शिवालयों की और रवाना हुए। भोले मंगलवार को अपराह्न 2.45 मिनिट से जलाभिषेक शुरू करेंगे।


Body:वीओ-1, देश के विभिन्न प्रदेशों के भोले वर्षों से गंगोत्री और गौमुख से डाक कावंड़ ले जाने की परंपरा को निभा रहे हैं। तो वहीं अब स्थानीय डाक कावंड़ की परंपरा भी अपने चरम पर है।इसमें भटवाड़ी ब्लॉक के लगभग सभी गांव के युवा अपने शिवालयों के लिए डाक कावंड़ लेने गंगोत्री धाम पहुंचते हैं। उसके बाद 5 से 12 घंटे के समय के बीच गांव की दूरी को गंगा जल के साथ देर रात दौड़ते और चलते हैं। यह भोले अपने गांव के शिवालयों में जाकर जल चढ़ाते हैं। साथ ही ग्रामीण भी लोकल भोलो का जोरदार स्वागत करते हैं।


Conclusion:वीओ-2, सोमवार सुबह से गंगोत्री धाम पूर्णतः भोलेमय हो गया।जहां देखो भोलो के विभिन्न रूप देखने को मिल रहे थे। गंगोत्री धाम के पुरोहितों के अनुसार भगवान शिव को सावन की शिवरात्रि का जल अपराह्न 2.45 से जलाभिषेक शुरू होगा। उस समय को ध्यान में रखते हुए स्थानीय भोले डाक कावंड़ लेकर सोमवार देर रात अपने समय के अनुसार रवाना होते हैं। साथ ही पुराणों के अनुसार अश्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्त करते हैं। बाईट- स्थानीय भोले।
Last Updated : Jul 30, 2019, 11:22 AM IST
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