उत्तरकाशी: पहाड़ी क्षेत्र अपनी अलग संस्कृति के लिए पहचान रखता है, इसलिए यहां 12 महीनें मेले सहित कई धार्मिक अनुष्ठा आयोजित किए जाते हैं. आज भी पहाड़ों में मेले हो या कोई भी धार्मिक अनुष्ठा उसके पीछे कोई ना कोई राज छुपा रहता है. ऐसा ही उत्तरकाशी का एक गांव है, जहां भगवान जाख देवता और गुरु चौरंगी वीर का मेला आयोजित किया जाता है. इस मेले का मुख्य उद्देश्य धान की फसल को काटने के लिए आराध्य देवताओं से समय मांगना है.
ग्रामीणों ने देव डोलियों के साथ किया रांसो तांदी नृत्य: डुंडा ब्लॉक के गाजणा पट्टी के उडरी गांव में भगवान जाख देवता औऱ गुरु चौरंगीवीर का भव्य मेला आयोजित किया गया. ग्रामीणों ने अपने आराध्य देव डोलियों के साथ रांसो तांदी नृत्य कर गांव की खुशहाली की दुआ मांगी. साथ ही ग्रामीणों द्वारा अपने आराध्य देवताओं से धान की कटाई का दिन तय करने की मांग की गई. जिसके बाद देव पश्वों ने धान की फसल का समय दिया.
अवतरित पश्वा ने लोगों की सुनी समस्याएं: मेले में उडरी गांव सहित गाजणा पट्टी के कई ग्रामीण मौजूद रहे. पंचायत चौक पर विधिवत पूजा-अर्चना के बाद गांव के आराध्य जाख देवता व गुरू चौरंगी वीर को खुश किया गया. जिसके बाद जाख देवता व चौरंगी वीर के पश्वा अवतरित हुए और उन्होंने ग्रामीणों की समस्याएं सुनकर उनका निदान किया.
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ग्रामीण देव पश्वों से धान की कटाई का मांगा समय: स्थानीय निवासी प्रदीप पंवार और सुभाष रावत ने बताया कि उडरी गांव में पौराणिक काल से इस मेले का आयोजन किया जाता है. इसी बीच ग्रामीण अपने आराध्य देवताओं की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. उन्होंने बताया कि ग्रामीण देव पश्वों से धान की कटाई का दिन भी मांगते हैं.