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उत्तरकाशी आपदाः 'मौत' के चुंगल से कैसे बच निकले थे राजेंद्र चौहान, सुनिए आपबीती... - उत्तरकाशी न्यूज

उत्तरकाशी के मोरी तहसील के आराकोट बंगाण क्षेत्र में बीते 18 अगस्त को आई जलप्रलय को चालक राजेंद्र सिंह चौहान ने अपनी आंखों से देखा था. जलप्रलय के दौरान वो वाहन के अंदर सो रहे थे. सैलाब ने उनकी गाड़ी को धकेलकर किनारे पहुंचा दिया था. जिससे उनकी और चाचा की जान बची थी. उन्होंने बताया कि विकासनगर के तिमली के तीन लोग उनके सामने ही बह गए थे. जिनका अभी कुछ पता नहीं चल पाया है.

rajendra singh chauhan
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Published : Aug 28, 2019, 6:40 PM IST

उत्तरकाशीः बीते 18 अगस्त को आराकोट बंगाण क्षेत्र के कोठीगाड़ में आई जलप्रलय को याद कर हर कोई सिहर जाता है. इस जलप्रलय में कई लोग काल-कलवित हो गए थे. कई लोग अभी भी लापता हैं. इसी कड़ी में एक युवक ऐसे भी हैं, जो इस जलप्रलय की चपेट में आने-आने से बल-बाल बचे थे. पीड़ित युवक ने बताया कि वो काफी खुशनसीब हैं. जो इस आपदा से बच निकले हैं. उन्होंने इस खौफनाक मंजर को करीब से देखा था. वहीं, इस भयावह आपदा से निकलने के बाद उन्होंने आपबीती बताई है.

आपदा पीड़ित राजेंद्र सिंह चौहान ने बताई आपबीती.

गौर हो कि, बीते 18 अगस्त को मोरी तहसील के आराकोट बंगाण क्षेत्र के टिकोची, माकुड़ी, डगोली, किराणु, मौंड़ा, गोकुल, दूचाणू समेत अन्य गांवों में बादल फटने की घटना हुई थी. जिससे भारी तबाही मची थी. माकुड़ी में कई मकान जमींदोज गए. जिसमें कुछ लोग जिंदा दफन हो गए. वहीं, माकुड़ी नदी के उफान पर आने से टिकोची कस्बे में सैलाब आ गया. जिससे कई वाहन बह गए. आपदा से माकुड़ी और आराकोट में कई लोग काल-कलवित हो गए. साथ ही अभी भी कई लोग लापता हैं.

ये भी पढ़ेंः हिमाचल-उत्तराखंड के बीच बसे इस गांव में जलप्रलय से मचा हाहाकार, रोजी-रोटी को तरस रहे ग्रामीण

इस खौफनाक मंजर का सामना कर चुके आपदा पीड़ितों में टिकोची के चालक राजेंद्र चौहान भी शामिल थे. जिन्हें आपदा ग्रस्त क्षेत्र से रेस्क्यू कर दून अस्पताल पहुंचाया गया था. जहां पर उनका इलाज चला. जिसके बाद वो स्वस्थ होकर वापस लौट आए हैं. इसी कड़ी में चालक राजेंद्र सिंह अपनी गाड़ी की स्थिति देखने टिकोची के नगवाड़ा पहुंचे. इस दौरान आपदा से हुए तबाही को लेकर उनकी आंखों में आपदा का दर्द साफ दिखाई दिया.

चालक राजेंद्र सिंह ने बताया कि 18 अगस्त को वो अपनी यूटिलिटी गाड़ी में अपने चाचा के साथ सोए हुए थे. तभी रात को अचानक एक आवाज आई. जिससे उनकी नींद टूटी. जब तक कुछ समझ पाते, तब तक जलप्रलय से आए मलबे और बोल्डरों ने गाड़ी को दूसरी ओर फेंक दिया. गनीमत रही की उनकी गाड़ी सैलाब में नहीं बही. बल्कि, सैलाब ने धकेलकर पहाड़ी में पहुंचा दिया था. जिससे वो बच गए. इस दौरान सैलाब में भारी मलबा और बोल्डर बह रहा था.

ये भी पढ़ेंः भारी बारिश के बाद बह गया पुल, जान जोखिम में डाल गदेरा पार करने को मजबूर बच्चे

उन्होंने बताया कि उनके चाचा के पैर में गाड़ी का स्टेयरिंग चुभ गया था. किसी प्रकार उन्होंने जैक की मदद से चाचा के पैर में चुभे स्टेयरिंग को निकाला. जिसके बाद वो सुरक्षित स्थान के लिए भागे थे. पीड़ित चौहान ने बताया कि उस समय टिकोची में चार गाड़ियों में चालक और परिचालक बैठे हुए थे. जिसमें एक की मौत हो गई. इसके अलावा एक गाड़ी में विकासनगर के तिमली के तीन लोग सवार थे. जिनका अभीतक कुछ पता नहीं चल सका है.

उत्तरकाशीः बीते 18 अगस्त को आराकोट बंगाण क्षेत्र के कोठीगाड़ में आई जलप्रलय को याद कर हर कोई सिहर जाता है. इस जलप्रलय में कई लोग काल-कलवित हो गए थे. कई लोग अभी भी लापता हैं. इसी कड़ी में एक युवक ऐसे भी हैं, जो इस जलप्रलय की चपेट में आने-आने से बल-बाल बचे थे. पीड़ित युवक ने बताया कि वो काफी खुशनसीब हैं. जो इस आपदा से बच निकले हैं. उन्होंने इस खौफनाक मंजर को करीब से देखा था. वहीं, इस भयावह आपदा से निकलने के बाद उन्होंने आपबीती बताई है.

आपदा पीड़ित राजेंद्र सिंह चौहान ने बताई आपबीती.

गौर हो कि, बीते 18 अगस्त को मोरी तहसील के आराकोट बंगाण क्षेत्र के टिकोची, माकुड़ी, डगोली, किराणु, मौंड़ा, गोकुल, दूचाणू समेत अन्य गांवों में बादल फटने की घटना हुई थी. जिससे भारी तबाही मची थी. माकुड़ी में कई मकान जमींदोज गए. जिसमें कुछ लोग जिंदा दफन हो गए. वहीं, माकुड़ी नदी के उफान पर आने से टिकोची कस्बे में सैलाब आ गया. जिससे कई वाहन बह गए. आपदा से माकुड़ी और आराकोट में कई लोग काल-कलवित हो गए. साथ ही अभी भी कई लोग लापता हैं.

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इस खौफनाक मंजर का सामना कर चुके आपदा पीड़ितों में टिकोची के चालक राजेंद्र चौहान भी शामिल थे. जिन्हें आपदा ग्रस्त क्षेत्र से रेस्क्यू कर दून अस्पताल पहुंचाया गया था. जहां पर उनका इलाज चला. जिसके बाद वो स्वस्थ होकर वापस लौट आए हैं. इसी कड़ी में चालक राजेंद्र सिंह अपनी गाड़ी की स्थिति देखने टिकोची के नगवाड़ा पहुंचे. इस दौरान आपदा से हुए तबाही को लेकर उनकी आंखों में आपदा का दर्द साफ दिखाई दिया.

चालक राजेंद्र सिंह ने बताया कि 18 अगस्त को वो अपनी यूटिलिटी गाड़ी में अपने चाचा के साथ सोए हुए थे. तभी रात को अचानक एक आवाज आई. जिससे उनकी नींद टूटी. जब तक कुछ समझ पाते, तब तक जलप्रलय से आए मलबे और बोल्डरों ने गाड़ी को दूसरी ओर फेंक दिया. गनीमत रही की उनकी गाड़ी सैलाब में नहीं बही. बल्कि, सैलाब ने धकेलकर पहाड़ी में पहुंचा दिया था. जिससे वो बच गए. इस दौरान सैलाब में भारी मलबा और बोल्डर बह रहा था.

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उन्होंने बताया कि उनके चाचा के पैर में गाड़ी का स्टेयरिंग चुभ गया था. किसी प्रकार उन्होंने जैक की मदद से चाचा के पैर में चुभे स्टेयरिंग को निकाला. जिसके बाद वो सुरक्षित स्थान के लिए भागे थे. पीड़ित चौहान ने बताया कि उस समय टिकोची में चार गाड़ियों में चालक और परिचालक बैठे हुए थे. जिसमें एक की मौत हो गई. इसके अलावा एक गाड़ी में विकासनगर के तिमली के तीन लोग सवार थे. जिनका अभीतक कुछ पता नहीं चल सका है.

Intro:बीती 18 अगस्त को आई जलप्रलय को चालक राजेन्द्र सिंह ने अपनी आँखों से देखा। वह खुद काल के गाल से बाहर निकले थे। राजेन्द्र सिंह ने बताया कि विकासनगर की तिमली घाटी के तीन लोंगो का अभी कुछ पता नहीं है। उत्तरकाशी। बीती 18 अगस्त को आराकोट बंगाण क्षेत्र के कोटिगाड़ में आई जलप्रलय को याद कर हर कोई सिहर उठ रहा है। वहीं इस जलप्रलय में बाल-बाल बचे चालक राजेन्द्र सिंह चौहान बताते हैं कि एक आवाज हुई,नींद टूटी,तो सामने जब तक मलबा और बोल्डर नजर आए। तो तब तक वह गाड़ी के साथ कहीं दूर पटक दिए थे। चौहान ने बताया कि उनके अलावा अन्य गाड़ियों में एक गाड़ी में विकासनगर की तिमली घाटी के तीन लोग थे। जिनका कुछ पता नहीं लग पाया। किसी प्रकार गाड़ी से अपने चाचा को निकालकर वह सुरक्षित स्थान पर भागे थे। Body:वीओ-1, टिकोची के चालक राजेन्द्र सिंह चौहान की जैसे ही देहरादून अस्पताल से छुट्टी हुई। तो वह रविवार को सीधा टिकोची अपनी गाड़ी की स्तिथि देखने पहुंचा। चौहान ने बताया कि 18 अगस्त को वह अपनी यूटिलिटी में गाड़ी के चालक अपने चाचा के साथ सोया हुआ था। अचानक एक आवाज हुई,तो नींद टूटी। जब तक कुछ समझ पाते,तो जलप्रलय में बह रहा मलबा और बोल्डरों ने गाड़ी को दूसरी और फेंक दिया। यह अच्छी किसमत रही कि गाड़ी खाई में जाने की बजाय पहाड़ी की और गई। वहीं मलबा और बोल्डर खाई की और बहने लगे। Conclusion:वीओ-2, आपदा प्रभावित राजेन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि उसके चाचा के पैर में गाड़ी का स्टेयरिंग चुभ गया था। किसी प्रकार राजेन्द्र ने जैक के माध्यम से अपने चाचा के पैर में चुभे स्टेयरिंग को निकाला और उसके बाद 18 अगस्त के शाम 4 बजे सुरक्षित स्थान के लिए रवाना हुए। चौहान ने बताया कि उस समय टिकोची मे चार गाड़ियों में चालक और परिचालक बैठे हुए थे। जिसमें एक कि मौत हो गई। तो वहीं एक गाड़ी में बैठे तीन लोगों का कुछ पता नहीं लग पाया है। कहा कि अस्पताल से छुट्टी मिलते ही वह सीधा टिकोची के लिए रवाना हुआ। बाइट- राजेन्द्र सिंह चौहान,आपदा प्रभावित।
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