पुरोला: स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने को लेकर सरकार भले ही लाख दावे कर रही हो लेकिन, इन दावों की जमीनी हकीकत बिल्कुल उलट है. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पुरोला में एक्स-रे मशीन तो है लेकिन टेक्नीशियन नहीं है. ऐसे में आए दिन सीएचसी पहुंचने वाले मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही.
बता दें कि मोरी तथा पुरोला विकासखंड में मात्र एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है. जहां उपकरणों के अभाव में स्वास्थ्य सेवाएं दम तोड़ता नजर आ रही है. लगभग डेढ़ लाख की आबादी को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवाने वाला ये अस्पताल अब खुद बुनियादी उपकरणों के अभाव में खुद बीमार पड़ा हुआ है.
इतना ही नहीं पिछले 8 सालों से यहां अल्ट्रासाउंड मशीन खराब पड़ी है, जबकि इसके लिए डॉक्टर नियुक्त है. ऐसे में खासकर गर्भवती महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उनको अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए नौगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जाना पड़ता है और जिसके लिए उन्हें मीलों का सफर तय करना पड़ता है. वहीं, 3 ब्लॉकों पर एक अल्ट्रासाउंड मशीन होने से लोगों को कई दिनों का लंबा इंतजार करना पड़ता है. जिससे आए दिन अपनी बारी के इंतजार में मरीजों के बीच नोक झोंक होना सामान्य सी बात हो गई.
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वहीं, बीते कई सालों के स्थानीय लोग स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है. उधर, नेताओं को चुनाव के समय ही स्वास्थ्य सेवाओं का मुद्दा याद आता है और जिसपर खूब राजनीति भी होती है. लेकिन चुनाव जीतने के बाद नेता पलटकर भी इस सरकारी अस्पताल की ओर नहीं देखते. साथ ही स्वास्थ्य महकमा भी इस अस्पताल की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा.