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'ड्रैगन' से निपटने की तैयारी, चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी को हाईटेक बना रही वायुसेना

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Published : Dec 27, 2019, 5:50 PM IST

Updated : Dec 27, 2019, 9:08 PM IST

भारत-चीन सीमा से सटी चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी को मजबूत एयरबेस बनाने के लिए भारतीय वायुसेना पिछले कई सालों से काम रही है. इसी कड़ी में आज विंग कमांडर शुभम के नेतृत्व वाली टीम दो अलग-अलग मॉडल के मल्टीपरपज विमानों के साथ हवाई पट्टी पर उतरी. पिछले साल भी वायुसेना ने 'गगन शक्ति' नाम से हवाई पट्टी पर तीन दिवसीय अभ्यास किया था.

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चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी.

उत्तरकाशी: भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर बार-बार तनाव पैदा होता रहता है. जिसके कारण भारत सरकार अपनी सीमाएं मजबूत करने की दिशा में हर रोज नये काम कर रही है. भारतीय सीमा पर सुरक्षा को लेकर उत्तराखंड बॉर्डर को बेहद संवेदनशील माना जाता है. इसके लिए भारतीय वायुसेना ने चिन्यालीसौड़ की हवाईपट्टी पर अभ्यास तेज कर दिया है. इसी कड़ी में भारतीय वायुसेना की टीम हेलीकॉप्टर से चिन्यालीसौड़ पहुंचा, जहां उन्होंने हवाई पट्टी और अन्य व्यवस्थाओं का जायजा लिया.

'ड्रैगन' से निपटने की तैयारी.

चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी को मजबूत एयरबेस बनाने के लिए भारतीय वायुसेना पिछले कई सालों से काम रही है. पिछले साल भी एयरफोर्स ने 'गगन शक्ति' नाम से हवाई पट्टी पर तीन दिवसीय अभ्यास किया था. इसके बाद इस साल चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर 52 सीटर मल्टी परपज विमान की लैंडिंग करवाई गई. साथ ही डोनियर डीओ 228 विमान की भी इस पट्टी पर सफल लैंडिंग हुई. विंग कमांडर शुभम के नेतृत्व वाली टीम दो अलग-अलग मॉडल के मल्टीपरपज विमानों के साथ हवाई पट्टी पर उतरी.

पढ़ें-धनोल्टी: देर रात गहरी खाई में गिरी कार, दो की मौत, एक घायल

भारत-चीन सीमा से सटी चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ ही आपदा के हालात में राहत बचाव अभियान चलाने के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है. ये हवाई पट्टी की दूरी भारत-तिब्बत अंतरराष्ट्रीय सीमा से करीब 125 किमी है. भारतीय वायु सेना लगातार इस हवाई पट्टी पर अपने विमानों व हेलीकॉप्टरों की ट्रायल लैंडिंग व टेक ऑफ का अभ्यास करती रहती है.

वहीं, भारतीय वायुसेना के प्रयोगों से यही लगता है कि वायुसेना इस हवाई पट्टी को एक महत्वपूर्ण एयरबेस बनाने की तैयारी में है. जिससे कि किसी भी युद्ध और आपातकालीन स्थिति में इसका प्रयोग किया जा सके. वायुसेना इस हवाई पट्टी पर लड़ाकू विमान के साथ ही मालवाहक विमानों की लैंडिंग भी करवा चुकी है.

उत्तरकाशी: भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर बार-बार तनाव पैदा होता रहता है. जिसके कारण भारत सरकार अपनी सीमाएं मजबूत करने की दिशा में हर रोज नये काम कर रही है. भारतीय सीमा पर सुरक्षा को लेकर उत्तराखंड बॉर्डर को बेहद संवेदनशील माना जाता है. इसके लिए भारतीय वायुसेना ने चिन्यालीसौड़ की हवाईपट्टी पर अभ्यास तेज कर दिया है. इसी कड़ी में भारतीय वायुसेना की टीम हेलीकॉप्टर से चिन्यालीसौड़ पहुंचा, जहां उन्होंने हवाई पट्टी और अन्य व्यवस्थाओं का जायजा लिया.

'ड्रैगन' से निपटने की तैयारी.

चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी को मजबूत एयरबेस बनाने के लिए भारतीय वायुसेना पिछले कई सालों से काम रही है. पिछले साल भी एयरफोर्स ने 'गगन शक्ति' नाम से हवाई पट्टी पर तीन दिवसीय अभ्यास किया था. इसके बाद इस साल चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर 52 सीटर मल्टी परपज विमान की लैंडिंग करवाई गई. साथ ही डोनियर डीओ 228 विमान की भी इस पट्टी पर सफल लैंडिंग हुई. विंग कमांडर शुभम के नेतृत्व वाली टीम दो अलग-अलग मॉडल के मल्टीपरपज विमानों के साथ हवाई पट्टी पर उतरी.

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भारत-चीन सीमा से सटी चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ ही आपदा के हालात में राहत बचाव अभियान चलाने के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है. ये हवाई पट्टी की दूरी भारत-तिब्बत अंतरराष्ट्रीय सीमा से करीब 125 किमी है. भारतीय वायु सेना लगातार इस हवाई पट्टी पर अपने विमानों व हेलीकॉप्टरों की ट्रायल लैंडिंग व टेक ऑफ का अभ्यास करती रहती है.

वहीं, भारतीय वायुसेना के प्रयोगों से यही लगता है कि वायुसेना इस हवाई पट्टी को एक महत्वपूर्ण एयरबेस बनाने की तैयारी में है. जिससे कि किसी भी युद्ध और आपातकालीन स्थिति में इसका प्रयोग किया जा सके. वायुसेना इस हवाई पट्टी पर लड़ाकू विमान के साथ ही मालवाहक विमानों की लैंडिंग भी करवा चुकी है.

Intro:उत्तरकाशी। चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर भारतीय वायु सेना का प्रयोग लगातार जारी है। गत दो वर्षो से भारतीय वायु सेना चिन्याली हवाई पट्टी पर अभ्यास कर रही है। गत वर्ष भी एयर फोर्स ने गगन शक्ति नाम से हवाई पट्टी पर तीन दिवसीय अभ्यास किया था। तो वहीं इस वर्ष भी वायु सेना की और से चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर 52 सीटर मल्टी परपज विमान की लैंडिंग करवाई गई। साथ ही डोनियर डीओ 228 विमान की भी सफल लेंडिंग करवाई गई। जिससे कि वायु सेना के अधिकारी खासे उत्साहित किये गए। Body:वीओ-1, चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी को एक मजबूत एयर बेस बनाने के क्रम में भारतीय वायु सेना की टीम एक बार फिर चिन्यालीसौड़ पहुंची। वायु सेना के अधिकारियों ने हवाई पट्टी में अभ्यास से पहले हेलीकॉप्टर से रेकी की और उसके बाद अपने मल्टी परपज और लड़ाकू विमानों की लैंडिंग चिन्याली हवाई पट्टी में करवाई। 52 मल्टी परपज विमान की लैंडिंग से वायु सेना के अधिकारी खासे उत्साहित दिखे। क्योंकि इस प्रकार के विमान की लैंडिंग कभी भी किसी भी परिस्थिति में अहम साबित हो सकती है। Conclusion:वीओ-2, चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी की बात करें,तो इसकी दूरी भारत तिब्बत अंतरराष्ट्रीय सीमा से करीब 125 किमी है। वहीं भारतीय वायु सेना के प्रयोगों से यही लगता है कि वायु सेना इस हवाई पट्टी को एक महत्वपूर्ण एयर बेस बनाने की तैयारी में है। जिससे कि किसी भी युद्ध और आपातकालीन स्थिति में इसका सही प्रयोग हो सके। साथ ही वायु सेना इस हवाई पट्टी पर लड़ाकू विमान सहित मालवाहक विमानों की लैंडिंग करवा चुका है।
Last Updated : Dec 27, 2019, 9:08 PM IST
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