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शिक्षकों की कमी से बच्चों के भविष्य पर मंडरा रहा खतरा, ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी

घनसाली में शिक्षक की कमी से सरकारी विद्यालयों में बच्चों के भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है.

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Published : Feb 17, 2020, 7:08 PM IST

टिहरी: जिल के घनसाली में शिक्षा व्यवस्था लचर है. सरकारी विद्यालय में शिक्षकों की कमी से 135 बच्चों की शिक्षा पर ग्रहण लगा है. शिक्षक की तैनाती न होने से अभिभावकों में रोष है. जिसको लेकर अभिभावक जिलाधिकारी से मिले और शिक्षकों की तैनाती की मांग की. वहीं अभिभावकों ने कहा कि बच्चों की शिक्षा अधर में है. शिक्षकों की तैनाती नहीं होने पर वे जिलाधिकारी कार्यालय के सामने धरना देंगे.

शिक्षकों को लेकर जिलाधिकारी से मिले ग्रामीण.

ये भी पढ़ें :श्रीनगर जल विद्युत परियोजना की डीएसबी में किया जा रहा छेद, दूर होगी पानी की किल्लत

विकासखंड घनसाली का राजकीय प्राथमिक विद्यालय कोट थाती कठूड़ और बूढ़ा केदार है. जहां सरकार के दावों की पोल खुलकर सामने आ रही है, क्योंकि जिस स्कूल में कम से कम आधा दर्जन अध्यापक होने चाहिए, उस स्कूल में पिछले 4 सालों से केवल 2 ही अध्यापक तैनात हैं. सभी पद खाली होने की वजह से 2 ही अध्यापकों को स्कूल के सारे कार्य देखने पड़ रहे हैं.

शिक्षकों की कमी के चलते बच्चों की पढ़ाई पूरी नहीं हो पा रही है. परिणाम स्वरूप स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे 135 बच्चों की शिक्षा पर पूरी तरह ग्रहण लग चुका है. जिससे शिक्षा विभाग और सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं. सरकार ने बच्चों की शिक्षा पर करोड़ों रुपये खर्च किए हैं. इसके बावजूद भी शिक्षा का स्तर नहीं सुधर रहा है.

टिहरी: जिल के घनसाली में शिक्षा व्यवस्था लचर है. सरकारी विद्यालय में शिक्षकों की कमी से 135 बच्चों की शिक्षा पर ग्रहण लगा है. शिक्षक की तैनाती न होने से अभिभावकों में रोष है. जिसको लेकर अभिभावक जिलाधिकारी से मिले और शिक्षकों की तैनाती की मांग की. वहीं अभिभावकों ने कहा कि बच्चों की शिक्षा अधर में है. शिक्षकों की तैनाती नहीं होने पर वे जिलाधिकारी कार्यालय के सामने धरना देंगे.

शिक्षकों को लेकर जिलाधिकारी से मिले ग्रामीण.

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विकासखंड घनसाली का राजकीय प्राथमिक विद्यालय कोट थाती कठूड़ और बूढ़ा केदार है. जहां सरकार के दावों की पोल खुलकर सामने आ रही है, क्योंकि जिस स्कूल में कम से कम आधा दर्जन अध्यापक होने चाहिए, उस स्कूल में पिछले 4 सालों से केवल 2 ही अध्यापक तैनात हैं. सभी पद खाली होने की वजह से 2 ही अध्यापकों को स्कूल के सारे कार्य देखने पड़ रहे हैं.

शिक्षकों की कमी के चलते बच्चों की पढ़ाई पूरी नहीं हो पा रही है. परिणाम स्वरूप स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे 135 बच्चों की शिक्षा पर पूरी तरह ग्रहण लग चुका है. जिससे शिक्षा विभाग और सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं. सरकार ने बच्चों की शिक्षा पर करोड़ों रुपये खर्च किए हैं. इसके बावजूद भी शिक्षा का स्तर नहीं सुधर रहा है.

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