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बच्चों का बस्ता हल्का करने की अनोखी पहल, हाथ में तख्ती लेकर छेड़ा अभियान

बच्चों का स्कूली बैग का वजन कम करने की मांग को लेकर यहां के एक समाजसेवी ने अनोखी पहल की है. वे हाथों में तख्ती लेकर 'बच्चों का बस्ता हल्का करो' स्लोगन लिखकर जागरुकता कर रहे हैं.

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Published : Jun 22, 2019, 1:17 PM IST

स्कूली बैग

टिहरीः स्कूली बच्चों के बैग का बोझ कम करने के लिए नरेंद्रनगर में रहने वाले एक समाजसेवी ने अनोखी पहल शुरू की है. सत्य सिंह रावत बाजार में हाथों में तख्ती लेकर लोगों को जागरुक कर रहे हैं. उन्होंने हाथ में जो तख्ती पकड़ी है उस पर 'बच्चों का बस्ता हल्का करो' लिखा हुआ है.

बस्ता हल्का करने की अनोखी पहल समाजसेवी ने शुरू की.

समाजसेवी सत्य सिंह रावत का कहना है कि स्कूली बच्चों के बस्ते के वजन को कम किया जाना चाहिए. क्योंकि, बच्चों की रीड की हड्डी में वजन बढ़ने के कारण उनकी शारीरिक वृद्धि नहीं हो पा रही है एवं उनके व्यवहार में चिड़चिड़ापन दिखाई दे रहा है.

उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों को होमवर्क अधिक दिए जाने के कारण बच्चों के मानसिक संतुलन पर भी असर पड़ रहा है. बच्चों के बस्तों में अनावश्यक किताब कॉपी का वजन होने के कारण बच्चों में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है.

उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में कई माफिया तंत्र सक्रिय हैं. इसमें एक किताब माफिया भी हैं जो हर वर्ष नई नई किताबों को पाठ्यक्रम में लाते हैं जिनका बोझ मासूम बच्चों को उठाना पड़ता है.

रावत ने कहा कि बच्चों को स्कूली किताब कॉपियों एवं गृह कार्य के बोझ से निजात दिलाने के लिए उनके द्वारा यह जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. ताकि पांचवी क्लास तक के बच्चों के बस्तों का भार अन्यथा ना बढ़ाए जाए.

यह भी पढ़ेंः लिपुलेख दर्रे से भारत-चीन के बीच कम हो रहा स्थलीय व्यापार, कड़े व्यापारिक नियम बने वजह

वहीं, इस मामले में खंड शिक्षा अधिकारी नरेंद्र नगर ओम प्रकाश वर्मा ने बताया कि उनके द्वारा सभी प्राइवेट एवं सरकारी स्कूली संस्थाओं को निर्देशित किया गया है कि कक्षा एक से दो तक कोई भी होमवर्क बच्चों को न दिया जाए एवं कक्षा 3 से 2 घंटे प्रति सप्ताह का कार्य दिया जाए. बच्चों को एक्सट्रा होमवर्क भी ना दिया जाए.

खंड शिक्षा अधिकारी का कहना है कि कक्षा दो तक भाषा एवं गणित और कक्षा 3 से 5 में भाषा, गणित एवं पर्यावरण विज्ञान ये तीन विषय पढ़ाये जाएं.

उनका कहना है कि स्कूली बच्चों के बस्ते का वजन कक्षा अनुसार निर्धारित किया गया है, अगर इन नियमों का पालन किसी भी संस्था द्वारा नहीं किया जाएगा तो उसके ऊपर कार्रवाई की जाएगी.

टिहरीः स्कूली बच्चों के बैग का बोझ कम करने के लिए नरेंद्रनगर में रहने वाले एक समाजसेवी ने अनोखी पहल शुरू की है. सत्य सिंह रावत बाजार में हाथों में तख्ती लेकर लोगों को जागरुक कर रहे हैं. उन्होंने हाथ में जो तख्ती पकड़ी है उस पर 'बच्चों का बस्ता हल्का करो' लिखा हुआ है.

बस्ता हल्का करने की अनोखी पहल समाजसेवी ने शुरू की.

समाजसेवी सत्य सिंह रावत का कहना है कि स्कूली बच्चों के बस्ते के वजन को कम किया जाना चाहिए. क्योंकि, बच्चों की रीड की हड्डी में वजन बढ़ने के कारण उनकी शारीरिक वृद्धि नहीं हो पा रही है एवं उनके व्यवहार में चिड़चिड़ापन दिखाई दे रहा है.

उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों को होमवर्क अधिक दिए जाने के कारण बच्चों के मानसिक संतुलन पर भी असर पड़ रहा है. बच्चों के बस्तों में अनावश्यक किताब कॉपी का वजन होने के कारण बच्चों में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है.

उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में कई माफिया तंत्र सक्रिय हैं. इसमें एक किताब माफिया भी हैं जो हर वर्ष नई नई किताबों को पाठ्यक्रम में लाते हैं जिनका बोझ मासूम बच्चों को उठाना पड़ता है.

रावत ने कहा कि बच्चों को स्कूली किताब कॉपियों एवं गृह कार्य के बोझ से निजात दिलाने के लिए उनके द्वारा यह जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. ताकि पांचवी क्लास तक के बच्चों के बस्तों का भार अन्यथा ना बढ़ाए जाए.

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वहीं, इस मामले में खंड शिक्षा अधिकारी नरेंद्र नगर ओम प्रकाश वर्मा ने बताया कि उनके द्वारा सभी प्राइवेट एवं सरकारी स्कूली संस्थाओं को निर्देशित किया गया है कि कक्षा एक से दो तक कोई भी होमवर्क बच्चों को न दिया जाए एवं कक्षा 3 से 2 घंटे प्रति सप्ताह का कार्य दिया जाए. बच्चों को एक्सट्रा होमवर्क भी ना दिया जाए.

खंड शिक्षा अधिकारी का कहना है कि कक्षा दो तक भाषा एवं गणित और कक्षा 3 से 5 में भाषा, गणित एवं पर्यावरण विज्ञान ये तीन विषय पढ़ाये जाएं.

उनका कहना है कि स्कूली बच्चों के बस्ते का वजन कक्षा अनुसार निर्धारित किया गया है, अगर इन नियमों का पालन किसी भी संस्था द्वारा नहीं किया जाएगा तो उसके ऊपर कार्रवाई की जाएगी.

Intro:'''बच्चों का बस्ता हल्का करो '''''
स्कूली बच्चों का दर्द महसूस करते हुए अकेले ही निकल पड़े हैं समाजसेवी सत्य सिंह रावत जी
नरेंद्र नगर मार्केट में समाजसेवी सत्य सिंह रावत जी अपने हाथों में एक तकती लिए जन जागरूकता अभियान के लिए अकेले ही निकल पड़े हैं जिसमें लिखा था की'' बच्चों का बस्ता हल्का करो''
सत्य सिंह रावत जी द्वारा जनता को जागरुक किया गया कि स्कूली बच्चों के बस्ते के वजन को कम किया जाए जिस कारण बच्चों की रीड की हड्डी मैं वजन बढ़ने के कारण उनकी शारीरिक वृद्धि नहीं हो पा रही है एवं उनके व्यवहार में चिड़चिड़ापन दिखाई दे रहा है उनके द्वारा बताया गया छोटे बच्चों को गृह कार्य अधिक दिए जाने के कारण बच्चों के मानसिक संतुलन में भी असर पड़ रहा है बच्चों के बस्तों में अनावश्यक किताब कॉपी का वजन होने के कारण बच्चों में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में कहीं माफिया तंत्र सक्रिय है इसमें एक किताब माफिया भी है जो हर वर्ष नई नई किताबों को पाठ्यक्रम में लाता है है जिनका बोज मासूम बच्चों को उठाना पड़ता है। बच्चों को स्कूली किताब कॉपियों एवं गृह कार्य के बोझ से निजात दिलाने के लिए उनके द्वारा यह जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है
Body:पांचवी क्लास तक के बच्चों के बस्तों के भार को अन्यथा ना बढ़ाए जाएConclusion:इसी प्रकरण में खंड शिक्षा अधिकारी नरेंद्र नगर द्वारा बताया गया कि उनके द्वारा सभी प्राइवेट एवं सरकारी स्कूली संस्थाओं को निर्देशित किया गया है की कक्षा एक से कक्षा दो तक कोई भी ग्रह कार्य बच्चों को ना दिया जाए एवं कक्षा 3 से 2 घंटे प्रति सप्ताह का कार्य दिया जाए विद्यार्थी को अतिरिक्त ग्रह कार्य ना दिया जाए।
कक्षा दो तक भाषा एवं गणित तथा कक्षा 3 से 5 में भाषा, गणित एवं पर्यावरण विज्ञान यह तीन विषय की पढ़ाई जाए।
खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा बताया गया स्कूली बच्चों के बस्ते का वजन कक्षा अनुसार निर्धारित किया गया है अगर इन नियमों का पालन किसी भी संस्था द्वारा नहीं किया जाएगा तो उसके ऊपर कार्यवाही की जाए
नरेंद्र नगर ,हिमांशु जोशी
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