टिहरी: हमेशा चर्चाओं में रहने वाले एशिया के एकमात्र टिहरी हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज के अधिकारियों पर एक बार फिर गंभीर आरोप लगे हैं. इस बार मामला कॉलेज में कर्मचारियों की नियुक्ति से जुड़ा है. कॉलेज में फर्जी तरीके कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है, जिसका खुलासा आरटीआई (सूचना के अधिकार) के तहत मांगी गई जानकारी में हुआ है.
आरटीआई कार्यकर्ता संदीप कुमार ने टिहरी हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज से नियुक्तियों से संबंधित कुछ जानकारियां मांगी थी. टिहरी हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज की तरफ से जो जानकारी दी गई, उसके हिसाब से जितेंद्र पाल सिंह पुंडीर पर्सनल पीए डायरेक्टर, हितेंद्र सिंह इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग में तकनीकी सहायक, हरेंद्र सिंह, सोहनलाल पेटवाल कॉलेज में तकनीकी सहायक के पद पर कार्यरत हैं.
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संदीप कुमार ने बताया कि उन्हें आरटीआई के जरिए जो जानकारी मिली उसके हिसाब से सोहनलाल पेटवाल की उम्र नियुक्ति के दौरान ज्यादा थी. बावजूद इसके हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज के निदेशक जीएस तोमर ने अपने हस्ताक्षर कर पेटवाल को नौकरी दी. वहीं हरेंद्र और हितेंद्र सिंह के अनुभव प्रमाण पत्र नहीं थे. बावजूद इसके उन्हें नियुक्ति की गई है, जबकि इस पोस्ट के लिए ये जरूरी था. पर्सनल पीए डायरेक्टर के लिए कॉलेज प्रशासन में विज्ञप्ति ही जारी नहीं थी, ये विज्ञप्ति बैक डोर से की गई थी.
बता दें कि इन अवैध नियुक्तियों को लेकर बीते दिनों कुछ कर्मचारियों ने करीब एक महीने तक धरना-प्रदर्शन किया था. तब कॉलेज के नए कार्यवाहक निदेशक डॉक्टर केके मीर ने प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों को आश्वासन दिया था कि एक महीने में अवैध नियुक्तियों की जांच कर कार्रवाई की जाएगी. जांच के दौरान उनका वेतन निर्गत नहीं किया जाएगा, लेकिन कई महीने बीत जाने के बाद भी इन अवैध नियुक्तियों के खिलाफ कोई जांच नहीं हुई और उनका वेतन भी निर्गत किया गया.
संदीप कुमार का कहना है कि हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज के निदेशक फर्जीवाड़ा करके अवैध नियुक्तियां कर रहे हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. हालांकि सरकार ने एक साल पहले कार्यवाहक निदेशक को हटाकर पूर्व डीएम टिहरी को हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज का प्रशासक नियुक्त किया था.
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संदीप कुमार ने बताया कि उन्होंने हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रशासक डीएम को भी अवैध नियुक्तियों की जांच को लेकर एक प्रार्थना पत्र दिया था. इस मामले का संज्ञान लेते हुए टिहरी डीएम ने एसडीएम को जांच अधिकारी नियुक्त करते हुए जांच के निर्देश दिए थे, लेकिन एक साल बाद भी जांच आगे नहीं बढ़ पाई है.
संदीप कुमार ने बताया ने कि हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित भारत सरकार की (TEQIP-|||) तकनीकी शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए (तकनीकी शिक्षा गुणात्मक सुधार कार्यक्रम ||| ) के माध्यम से की गई थी, जिसमें सरकार द्वारा विधिवत पद सृजित एवं स्वीकृत किए गए थे. अब विश्व बैंक का यह प्रोजेक्ट 42 महीने बाद खत्म हो गया है. विश्व बैंक का प्रोजेक्ट खत्म होने के बाद हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज से संबंधित नियम स्वत: ही खत्म हो गए. विश्व बैंक का नियम कहता है कि जब प्रोजेक्ट खत्म हो जाता है तो उसके नियम भी स्वत: ही खत्म हो जाते हैं. इस प्रोजेक्ट में काम कर रहे उपरोक्त चार कर्मचारी जिनको स्थाई नियुक्ति दे दी गई है वह मान्य नहीं हैं.
संदीप कुमार ने बताया कि टीएचडीसी के सीएमडी ने तत्कालीन राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर स्पष्ट किया था कि सरकार ने संस्थान को चलाने के जो भी नियम बनाए हैं, वह सभी नियम गलत हैं और उन्होंने राज्यपाल और मुख्यमंत्री से पत्र लिखकर आग्रह भी किया था कि हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज को नियमानुसार अनुबंध के अनुसार संचालित करने दिया जाए, लेकिन उस पत्र का सरकार ने कोई संज्ञान नहीं लिया, जिससे सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं.
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संदीप कुमार के अनुसार उत्तराखंड हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी इस संस्थान में 16 लोगों को नियुक्त माना है और लगभग 15 बार से अधिक न्यायालय ने इनको सही माना है. इसके बावजूद हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज ने कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हुए वरिष्ठ प्रवक्ता डॉक्टर एके सिंह को किसी प्रकार का कोई लाभ नहीं दिया. डॉक्टर एके सिंह को अभी तक डेढ़ साल का वेतन नहीं दिया गया. एके सिंह लगातार अपने वेतन की मांग कर रहे हैं. लेकिन उनका वेतन न देकर कॉलेज प्रशासन उन्हें मानसिक तौर पर प्रताड़ित कर रहा है. एके सिंह ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर उनसे वेतन की मांग की है, साथ ही हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज में चल रही गड़बड़ियों को लेकर जांच की मांग की है.
संदीप कुमार का आरोप है कि टिहरी हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज में कई अनियमितताएं चल रही हैं. इसकी शिकायत उन्होंने कई बार प्रशासन से भी की है. लेकिन आजतक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. वहीं टिहरी के प्रभारी जिलाधिकारी नमामि बंसल ने कहा कि डायरेक्टर द्वारा इसमें जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई है. जांच कमेटी से जांच रिपोर्ट मंगा कर आगे की कार्रवाई की जाएगी.