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लॉकडाउन में घर लौटे टिहरी के बॉडी-बिल्डर महेश, अब गांव के लड़कों को बनाएंगे 'महाबली'

कोरोना ने दुनिया को अस्तव्यस्त करके रख दिया है. लोग अपने जमे-जमाए काम-धंधे छोड़कर अपने घरों को पलायन कर गए हैं. दिल्ली में रहने वाले बॉडी-बिल्डर महेश नेगी ने भी अपने घर टिहरी की राह पकड़ ली. महेश अब गांव के लड़कों को बॉडी-बिल्डिंग के गुर सिखाएंगे. हमारी खास रिपोर्ट...

टिहरी
टिहरी लौटे बॉडी बिल्डर महेश नेगी
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Published : Jul 2, 2020, 8:23 AM IST

Updated : Jul 6, 2020, 4:23 PM IST

टिहरी: कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया की तस्वीर बदल कर रख दी है. इस महामारी ने लाखों लोगों की जान ले ली और अब तक करोड़ों लोगों को अपनी चपेट में ले चुकी है. महामारी की वजह से पूरी दुनिया में लॉकडाउन किया गया. जिसकी वजह से कई लोगों का रोजगार, व्यापार ठप हो गया. वहीं, लाखों की संख्या में लोग अपनी बसी-बसायी दुनिया छोड़ घर लौटने को मजबूर हो गए. कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन की मार से उत्तराखंड भी अछूता नहीं है. लाखों की संख्या में प्रवासी देश-विदेश से काम धंधे छोड़कर अपने परिवार के साथ अपने गांव लौट गए. कुछ ऐसी ही कहानी है टिहरी निवासी महेश नेगी की जो दिल्ली में बॉडी-बिल्डिंग करते थे. लेकिन कोरोना के काल ने इन्हें भी अपने घर लौटने पर मजबूर कर दिया. अब महेश नेगी ने प्रदेश में ही रहने और यहां के युवाओं को तराशने का मन बना लिया है.

लॉकडाउन में दिल्ली छोड़ टिहरी लौटे महेश नेगी

पिछले 20 साल से बॉडी-बिल्डिंग के क्षेत्र में टिहरी और उत्तराखंड का नाम रोशन करने वाले पलास गांव निवासी महेश नेगी (38 वर्षीय) की जिंदगी को कोरोना महामारी ने बदलकर कर रख दिया है. बाॅडी-बिल्डिंग में कई चैंपियनशिप जीतने वाले महेश अब टिहरी में रहकर इस क्षेत्र में करियर बनाने वाले युवाओं की प्रतिभा को निखारना चाहते हैं. उनका मानना है कि इस क्षेत्र में करियर बनाने की असीम संभावना है. पहाड़ के युवाओं में भी टैंलेंट है, लेकिन उचित गाइडेंस और मंच न मिलने के कारण उनके सपनों को उड़ान नहीं मिल पाती है.

घर लौटे टिहरी के बॉडी-बिल्डर महेश

प्रशासन की मदद से फिटनेस प्रशिक्षण केंद्र खोलने की चाहत

महेश नेगी ने कहा कि यदि शासन-प्रशासन उन्हें सहयोग करे तो वह उत्तराखंड की प्रतिभाओं को तरासने के लिए तैयार हैं. महेश नेगी दिल्ली में पिछले बीस साल से बॉडी बिल्डिंग कर रहे थे. वह अब तक कई चैंपियनशिप अपने नाम कर चुके हैं. लाॅकडाउन के कारण वह बीते 20 मार्च से अपने पैतृक गांव में रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब तो उन्हें यहां की आबोहवा भा गई है. उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन मदद करें तो टिहरी में ही बॉडी-बिल्डिंग और फिटनेस का प्रशिक्षण केंद्र खोलकर युवाओं को दिशा दे सकते हैं. नेगी ने आहार और पोषण विशेषज्ञ व फिजियो विषय में डिप्लोमा किया हुआ है. उन्होंने कहा कि हर खेल में एक फिजियो की जरूरत होती है. ऐसे में इस क्षेत्र में भी करियर बनाने की असीम संभावना है.

ये भी पढ़ें: बेरोजगारों को स्वरोजगार से जोड़ने की कवायद तेज, युवाओं ने इन योजनाओं में दिखाई दिलचस्पी

युवाओं को तराशना चाहते हैं महेश नेगी

कोरोना की वजह से अब उनकी सोच में भी परिवर्तन आया है. वह चाहते हैं कि दिल्ली जाने के बजाए यहीं अपने गृह जनपद में रहकर युवाओं को तराशने का काम करें, लेकिन उनके सामने कई चुनौतियां हैं. कोरोना की वजह से बॉडी-बिल्डिंग चैंपियनशिप और शो भी फिलहाल कई महीनों से बंद हैं. तीन माह से उनकी आय भी बंद हो गई है. खुद की फिटनेस पर जितना खर्चा आता है, उसकी व्यवस्था करना मुश्किल हो गया है. एक बॉडी-बिल्डर को हर दिन भरपूर पौष्टिक आहार और एनर्जी ड्रिंक की जरूरत होती है. इस पर हर महीने दस हजार तक खर्चा आता है. प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रोफेशनल बॉडी-बिल्डर का आहार लेना है तो इसका खर्चा लाखों रुपए तक हो जाता है.

शानदार रहा है महेश का करियर, जीत चुके हैं कई खिताब

महेश नेगी की पढ़ाई दिल्ली में हुई है. यहीं पर उन्होंने बॉडी-बिल्डिंग का प्रशिक्षण लिया. पिता सुंदर सिंह आइटीबीपी में नौकरी करते थे, जिनका कुछ साल पूर्व ही निधन हो गया. उनकी दो बहनें है. महेश ने 2007 में दिल्ली में स्टेट बॉडी-बिल्डिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता. 2010 में फिर से इसी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया. 2010 में गोवा में नॉर्थ इंडिया बॉडी-बिल्डिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता. 2015 में क्लासिक बॉडी-बिल्डिंग चैंपियनशिप का खिताब मिला. 2018 में पानीपत में बॉडी-बिल्डिंग चैंपियनशिप में उन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त किया. 2018 में मिस्टर बोस बॉडी-बिल्डिंग चैंपियनशिप में प्रथम स्थान और 2019 में मिस्टर इंडिया क्लासिक का खिताब भी जीत चुके हैं.

टिहरी: कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया की तस्वीर बदल कर रख दी है. इस महामारी ने लाखों लोगों की जान ले ली और अब तक करोड़ों लोगों को अपनी चपेट में ले चुकी है. महामारी की वजह से पूरी दुनिया में लॉकडाउन किया गया. जिसकी वजह से कई लोगों का रोजगार, व्यापार ठप हो गया. वहीं, लाखों की संख्या में लोग अपनी बसी-बसायी दुनिया छोड़ घर लौटने को मजबूर हो गए. कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन की मार से उत्तराखंड भी अछूता नहीं है. लाखों की संख्या में प्रवासी देश-विदेश से काम धंधे छोड़कर अपने परिवार के साथ अपने गांव लौट गए. कुछ ऐसी ही कहानी है टिहरी निवासी महेश नेगी की जो दिल्ली में बॉडी-बिल्डिंग करते थे. लेकिन कोरोना के काल ने इन्हें भी अपने घर लौटने पर मजबूर कर दिया. अब महेश नेगी ने प्रदेश में ही रहने और यहां के युवाओं को तराशने का मन बना लिया है.

लॉकडाउन में दिल्ली छोड़ टिहरी लौटे महेश नेगी

पिछले 20 साल से बॉडी-बिल्डिंग के क्षेत्र में टिहरी और उत्तराखंड का नाम रोशन करने वाले पलास गांव निवासी महेश नेगी (38 वर्षीय) की जिंदगी को कोरोना महामारी ने बदलकर कर रख दिया है. बाॅडी-बिल्डिंग में कई चैंपियनशिप जीतने वाले महेश अब टिहरी में रहकर इस क्षेत्र में करियर बनाने वाले युवाओं की प्रतिभा को निखारना चाहते हैं. उनका मानना है कि इस क्षेत्र में करियर बनाने की असीम संभावना है. पहाड़ के युवाओं में भी टैंलेंट है, लेकिन उचित गाइडेंस और मंच न मिलने के कारण उनके सपनों को उड़ान नहीं मिल पाती है.

घर लौटे टिहरी के बॉडी-बिल्डर महेश

प्रशासन की मदद से फिटनेस प्रशिक्षण केंद्र खोलने की चाहत

महेश नेगी ने कहा कि यदि शासन-प्रशासन उन्हें सहयोग करे तो वह उत्तराखंड की प्रतिभाओं को तरासने के लिए तैयार हैं. महेश नेगी दिल्ली में पिछले बीस साल से बॉडी बिल्डिंग कर रहे थे. वह अब तक कई चैंपियनशिप अपने नाम कर चुके हैं. लाॅकडाउन के कारण वह बीते 20 मार्च से अपने पैतृक गांव में रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब तो उन्हें यहां की आबोहवा भा गई है. उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन मदद करें तो टिहरी में ही बॉडी-बिल्डिंग और फिटनेस का प्रशिक्षण केंद्र खोलकर युवाओं को दिशा दे सकते हैं. नेगी ने आहार और पोषण विशेषज्ञ व फिजियो विषय में डिप्लोमा किया हुआ है. उन्होंने कहा कि हर खेल में एक फिजियो की जरूरत होती है. ऐसे में इस क्षेत्र में भी करियर बनाने की असीम संभावना है.

ये भी पढ़ें: बेरोजगारों को स्वरोजगार से जोड़ने की कवायद तेज, युवाओं ने इन योजनाओं में दिखाई दिलचस्पी

युवाओं को तराशना चाहते हैं महेश नेगी

कोरोना की वजह से अब उनकी सोच में भी परिवर्तन आया है. वह चाहते हैं कि दिल्ली जाने के बजाए यहीं अपने गृह जनपद में रहकर युवाओं को तराशने का काम करें, लेकिन उनके सामने कई चुनौतियां हैं. कोरोना की वजह से बॉडी-बिल्डिंग चैंपियनशिप और शो भी फिलहाल कई महीनों से बंद हैं. तीन माह से उनकी आय भी बंद हो गई है. खुद की फिटनेस पर जितना खर्चा आता है, उसकी व्यवस्था करना मुश्किल हो गया है. एक बॉडी-बिल्डर को हर दिन भरपूर पौष्टिक आहार और एनर्जी ड्रिंक की जरूरत होती है. इस पर हर महीने दस हजार तक खर्चा आता है. प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रोफेशनल बॉडी-बिल्डर का आहार लेना है तो इसका खर्चा लाखों रुपए तक हो जाता है.

शानदार रहा है महेश का करियर, जीत चुके हैं कई खिताब

महेश नेगी की पढ़ाई दिल्ली में हुई है. यहीं पर उन्होंने बॉडी-बिल्डिंग का प्रशिक्षण लिया. पिता सुंदर सिंह आइटीबीपी में नौकरी करते थे, जिनका कुछ साल पूर्व ही निधन हो गया. उनकी दो बहनें है. महेश ने 2007 में दिल्ली में स्टेट बॉडी-बिल्डिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता. 2010 में फिर से इसी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया. 2010 में गोवा में नॉर्थ इंडिया बॉडी-बिल्डिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता. 2015 में क्लासिक बॉडी-बिल्डिंग चैंपियनशिप का खिताब मिला. 2018 में पानीपत में बॉडी-बिल्डिंग चैंपियनशिप में उन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त किया. 2018 में मिस्टर बोस बॉडी-बिल्डिंग चैंपियनशिप में प्रथम स्थान और 2019 में मिस्टर इंडिया क्लासिक का खिताब भी जीत चुके हैं.

Last Updated : Jul 6, 2020, 4:23 PM IST
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