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नरेंद्र नगरः यहां खुद 'बीमार' है अस्पताल, लापरवाही मरीजों पर पड़ रही भारी - नरेंद्र नगर न्यूज

टिहरी जिले का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल सुमन चिकित्सालय इन दिनों बदहाली के दौर से गुजर रहा है.अस्पताल में डॉक्टरों की भारी कमी है.

सरकारी अस्पताल
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Published : Sep 5, 2019, 12:47 PM IST

नरेंद्र नगर: टिहरी जिले के दूसरे सबसे बड़े अस्पतालों में शुमार सुमन चिकित्सालय नरेंद्र नगर जिसका निर्माण आजादी से पूर्व हुआ था तथा जहां किसी समय में डॉक्टरों की कमी नहीं थी लेकिन आज बदहाली की कगार पर पहुंच गया है. हैरत की बात यह है कि नरेंद्र नगर सुमन अस्पताल जो टिहरी जिले के नई टिहरी के बाद सबसे बड़ा दूसरा अस्पताल माना जाता है लेकिन अस्पताल के डॉक्टर डेंगू की पुष्टि कर पाने में भी सक्षम नहीं हैं. जी हां कुछ इसी तरह का मामला सामने आया है.

सुमन चिकित्सालय बदहाल.

जानकारी के अनुसार स्थानीय रहवासी धर्मेंद्र रावत के मित्र के पुत्र को कुछ दिनों पहले बुखार आया तो उन्होंने सुमन अस्पताल में बच्चे को भर्ती कराया. 3 दिन तक वह सुमन अस्पताल के डॉक्टरों की देखरेख में रहा. बुखार से पीड़ित बालक पर चिकित्सकों ने लगातार परीक्षण किए किंतु वे साफ तौर पर यह नहीं बता पाए कि बुखार किस कारण से है.

बाद में बुखार ठीक न होने के कारण चिंतित बालक के पिता ने बच्चे को सुमन अस्पताल नरेंद्र नगर से डिस्चार्ज कर ऋषिकेश के निर्मल अस्पताल में भर्ती कराया जहां डॉक्टरों के परीक्षण के बाद बालक डेंगू से पीड़ित बताया गया.

अब बच्चे का इलाज निर्मल अस्पताल ऋषिकेश में चल रहा है. ऐसे में नरेंद्र नगर सरकारी अस्पताल की लापारवाही काफी भारी पड़ सकती थी. यदि उन्होंने समय रहते सरकारी अस्पताल से बच्चे को डिस्चार्ज न कराया होता तो स्थिति काफी खतरनाक हो सकती थी.

डॉक्टरों की कमी की मार को झेल रहा यह चिकित्सालय दूरवर्ती क्षेत्रों के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प था लेकिन आलम कुछ इस प्रकार है कि अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के कारण स्थानीय लोगों को इलाज के लिए देहरादून एवं ऋषिकेश को जाना पड़ता है.

यह भी पढ़ेंः शर्मनाक! बच्चे जान जोखिम में डालकर ले रहे आखर ज्ञान, क्या ऐसे बनेगा भारत महान ?

आज चिकित्सालय का भवन तो भव्य बन गया है उपकरण भी मुहैया कराये गए हैं लेकिन डॉक्टरों एवं अन्य विशेषज्ञों की कमी के चलते मरीजों को परेशानी हो रही है. लोगों का कहना कि यह अस्पताल महज रेफर सेंटर बनकर रह गया है अर्थात मरीजों का मामूली उपचार कर हायर सेंटर रेफर कर दिया जाता है.

इतना ही नहीं पहले भी कई मरीजों के साथ यहां स्टाफ नर्सों व डॉक्टरों के खिलाफ लापरवाही के मामले सामने आते रहे हैं. बाजार लाइन नरेन्द्र नगर में स्थानीय दुकान दार की महज 18 साल की बेटी, जो मामूली बुखार के चलते अस्पताल में भर्ती हुई थी उसे अस्पताल की लापरवाही का खामियाजा अपनी जान गंवाकर देना पड़ा.

नरेंद्र नगर: टिहरी जिले के दूसरे सबसे बड़े अस्पतालों में शुमार सुमन चिकित्सालय नरेंद्र नगर जिसका निर्माण आजादी से पूर्व हुआ था तथा जहां किसी समय में डॉक्टरों की कमी नहीं थी लेकिन आज बदहाली की कगार पर पहुंच गया है. हैरत की बात यह है कि नरेंद्र नगर सुमन अस्पताल जो टिहरी जिले के नई टिहरी के बाद सबसे बड़ा दूसरा अस्पताल माना जाता है लेकिन अस्पताल के डॉक्टर डेंगू की पुष्टि कर पाने में भी सक्षम नहीं हैं. जी हां कुछ इसी तरह का मामला सामने आया है.

सुमन चिकित्सालय बदहाल.

जानकारी के अनुसार स्थानीय रहवासी धर्मेंद्र रावत के मित्र के पुत्र को कुछ दिनों पहले बुखार आया तो उन्होंने सुमन अस्पताल में बच्चे को भर्ती कराया. 3 दिन तक वह सुमन अस्पताल के डॉक्टरों की देखरेख में रहा. बुखार से पीड़ित बालक पर चिकित्सकों ने लगातार परीक्षण किए किंतु वे साफ तौर पर यह नहीं बता पाए कि बुखार किस कारण से है.

बाद में बुखार ठीक न होने के कारण चिंतित बालक के पिता ने बच्चे को सुमन अस्पताल नरेंद्र नगर से डिस्चार्ज कर ऋषिकेश के निर्मल अस्पताल में भर्ती कराया जहां डॉक्टरों के परीक्षण के बाद बालक डेंगू से पीड़ित बताया गया.

अब बच्चे का इलाज निर्मल अस्पताल ऋषिकेश में चल रहा है. ऐसे में नरेंद्र नगर सरकारी अस्पताल की लापारवाही काफी भारी पड़ सकती थी. यदि उन्होंने समय रहते सरकारी अस्पताल से बच्चे को डिस्चार्ज न कराया होता तो स्थिति काफी खतरनाक हो सकती थी.

डॉक्टरों की कमी की मार को झेल रहा यह चिकित्सालय दूरवर्ती क्षेत्रों के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प था लेकिन आलम कुछ इस प्रकार है कि अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के कारण स्थानीय लोगों को इलाज के लिए देहरादून एवं ऋषिकेश को जाना पड़ता है.

यह भी पढ़ेंः शर्मनाक! बच्चे जान जोखिम में डालकर ले रहे आखर ज्ञान, क्या ऐसे बनेगा भारत महान ?

आज चिकित्सालय का भवन तो भव्य बन गया है उपकरण भी मुहैया कराये गए हैं लेकिन डॉक्टरों एवं अन्य विशेषज्ञों की कमी के चलते मरीजों को परेशानी हो रही है. लोगों का कहना कि यह अस्पताल महज रेफर सेंटर बनकर रह गया है अर्थात मरीजों का मामूली उपचार कर हायर सेंटर रेफर कर दिया जाता है.

इतना ही नहीं पहले भी कई मरीजों के साथ यहां स्टाफ नर्सों व डॉक्टरों के खिलाफ लापरवाही के मामले सामने आते रहे हैं. बाजार लाइन नरेन्द्र नगर में स्थानीय दुकान दार की महज 18 साल की बेटी, जो मामूली बुखार के चलते अस्पताल में भर्ती हुई थी उसे अस्पताल की लापरवाही का खामियाजा अपनी जान गंवाकर देना पड़ा.

Intro:नरेंद्र नगर:- टिहरी जिले के दूसरे स्थान के सबसे बड़े अस्पतालों में शुमार सुमन चिकित्सालय नरेंद्र नगर जिसका निर्माण आजादी से पूर्व हुआ था तथा जहाॅ किसी समय में डाॅक्टरों की कमी नहीं थी आज बदहाली की कगार पर पहुच गया है हैरत की बात यह है कि नरेंद्र नगर सुमन अस्पताल जो टिहरी जिले का नई टिहरी के बाद सबसे बड़ा दूसरा अस्पताल माना जाता है, अस्पताल के डॉक्टर डेंगू की पुष्टि नहीं कर पाए।बीते बृहस्पतिवार को धर्मेंद्र रावत के पुत्र को बुखार की शिकायत हुई तो उन्होंने स्थानीय अस्पताल नामी-गिरामी चिकित्सालय सुमन अस्पताल में बृहस्पतिवार को ही बच्चे को भर्ती कराया।
बृहस्पतिवार से लेकर शनिवार तक 3 दिन धर्मेंद्र रावत का पुत्र सुमन अस्पताल के डॉक्टरों की देखरेख में रहा,बुखार से पीड़ित बालक पर चिकित्सकों ने लगातार परीक्षण किए किंतु वे साफ तौर पर यह नहीं बता पाए कि बुखार किस कारण से है,बुखार ठीक ना होने के कारण चिंतित बालक के पिता धर्मेंद्र ने बच्चे को सुमन अस्पताल नरेंद्र नगर से डिस्चार्ज कर ऋषिकेश निर्मल अस्पताल में भर्ती कराया डॉक्टरों के परीक्षण के बाद बालक डेंगू से पीड़ित बताया गया
अब बच्चे का इलाज निर्मल अस्पताल ऋषिकेश में चल रहा है।Body:नरेंद्र नगर सरकारी अस्पताल की खस्ता हालतConclusion:यहाॅ पर डाॅक्टरों की कमी की मार को झेल रहा यह चिकित्सालय दूरवर्ती क्षेत्रों के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प था लेकिन आलम कुछ इस प्रकार है कि अस्पताल में डाॅक्टरों की कमी के कारण स्थानीय लोगों को इलाज के लिए देहरादून एवं ऋषिकेश को जाना पडता है आज चिकित्सालय का भवन तो भव्य बन गया है उपकरण मुहया कराये गयें है लेकिन डाॅक्टरों ,क्रर्मिको एवं उपकरण चालकों की कमी के कारण
उसको प्रथामिक करके रैॅफर कर दिया जाता है
इतना ही नही पहले भी कई मरीजो के साथ यहाँ स्टाफ नर्सो व् डॉक्टरो के खिलाफ लापरवाही के मामले सामने आते रहे है बाज़ार लाइन नरेन्द्रनगर में स्थानीय दूकान दार की महज 18 साल की बेटी जो मामूली बुखार के चलते अस्पताल में भर्ती हुई थी उसे अस्पताल की लापरवाही का खामियाजा अपनी जान गंवाकर देना पड़ा
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