नरेंद्र नगर: टिहरी जिले के दूसरे सबसे बड़े अस्पतालों में शुमार सुमन चिकित्सालय नरेंद्र नगर जिसका निर्माण आजादी से पूर्व हुआ था तथा जहां किसी समय में डॉक्टरों की कमी नहीं थी लेकिन आज बदहाली की कगार पर पहुंच गया है. हैरत की बात यह है कि नरेंद्र नगर सुमन अस्पताल जो टिहरी जिले के नई टिहरी के बाद सबसे बड़ा दूसरा अस्पताल माना जाता है लेकिन अस्पताल के डॉक्टर डेंगू की पुष्टि कर पाने में भी सक्षम नहीं हैं. जी हां कुछ इसी तरह का मामला सामने आया है.
जानकारी के अनुसार स्थानीय रहवासी धर्मेंद्र रावत के मित्र के पुत्र को कुछ दिनों पहले बुखार आया तो उन्होंने सुमन अस्पताल में बच्चे को भर्ती कराया. 3 दिन तक वह सुमन अस्पताल के डॉक्टरों की देखरेख में रहा. बुखार से पीड़ित बालक पर चिकित्सकों ने लगातार परीक्षण किए किंतु वे साफ तौर पर यह नहीं बता पाए कि बुखार किस कारण से है.
बाद में बुखार ठीक न होने के कारण चिंतित बालक के पिता ने बच्चे को सुमन अस्पताल नरेंद्र नगर से डिस्चार्ज कर ऋषिकेश के निर्मल अस्पताल में भर्ती कराया जहां डॉक्टरों के परीक्षण के बाद बालक डेंगू से पीड़ित बताया गया.
अब बच्चे का इलाज निर्मल अस्पताल ऋषिकेश में चल रहा है. ऐसे में नरेंद्र नगर सरकारी अस्पताल की लापारवाही काफी भारी पड़ सकती थी. यदि उन्होंने समय रहते सरकारी अस्पताल से बच्चे को डिस्चार्ज न कराया होता तो स्थिति काफी खतरनाक हो सकती थी.
डॉक्टरों की कमी की मार को झेल रहा यह चिकित्सालय दूरवर्ती क्षेत्रों के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प था लेकिन आलम कुछ इस प्रकार है कि अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के कारण स्थानीय लोगों को इलाज के लिए देहरादून एवं ऋषिकेश को जाना पड़ता है.
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आज चिकित्सालय का भवन तो भव्य बन गया है उपकरण भी मुहैया कराये गए हैं लेकिन डॉक्टरों एवं अन्य विशेषज्ञों की कमी के चलते मरीजों को परेशानी हो रही है. लोगों का कहना कि यह अस्पताल महज रेफर सेंटर बनकर रह गया है अर्थात मरीजों का मामूली उपचार कर हायर सेंटर रेफर कर दिया जाता है.
इतना ही नहीं पहले भी कई मरीजों के साथ यहां स्टाफ नर्सों व डॉक्टरों के खिलाफ लापरवाही के मामले सामने आते रहे हैं. बाजार लाइन नरेन्द्र नगर में स्थानीय दुकान दार की महज 18 साल की बेटी, जो मामूली बुखार के चलते अस्पताल में भर्ती हुई थी उसे अस्पताल की लापरवाही का खामियाजा अपनी जान गंवाकर देना पड़ा.