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भगवान तुंगनाथ के कपाट कल होंगे बंद, शीतकाल में मक्कूमठ में देंगे दर्शन

तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट बुधवार यानी कल को पूरे विधि विधान के साथ बंद कर दिया जाएगा. कपाट बंद करने के लिए देवस्थानम् बोर्ड ने सभी तैयारियां पूरी कर ली है.

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तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ
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Published : Nov 3, 2020, 6:40 PM IST

रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विख्यात भगवान तुंगनाथ के कपाट बुधवार यानी कल शुभ लगनानुसार साढ़े ग्यारह बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे. कपाट बंद करने के लिए देवस्थानम् बोर्ड ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं.

तुंगनाथ धाम के प्रबंधक प्रकाश पुरोहित ने बताया कि विद्वान आचार्यों, हक-हकूकधारियों तथा वेदपाठियों द्वारा भगवान तुंगनाथ के स्वयंभू लिंग की विशेष पूजा अर्चना कर जलाभिषेक कर आरती उतारी जाएगी. साथ ही दस बजे सुबह से भगवान तुंगनाथ के स्वयंभू लिंग को चन्दन, भस्म, भृंगराज, पुष्प, अक्षत्र से समाधि दी जाएगी. उन्होंने बताया कि 11 बजकर 30 मिनट पर भगवान तुंगनाथ के कपाट पौराणिक परंपरा के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे.

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भगवान तुंगनाथ शीतकाल में मक्कूमठ में देंगे दर्शन.

ये भी पढ़ें : प्रकृति ने बर्फ से किया बाबा केदार का श्रृंगार, धाम श्रद्धालुओं से है गुलजार

उन्होंने बताया कि भगवान तुंगनाथ के कपाट बंद होने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली धाम से रवाना होकर विभिन्न यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी. पांच नवंबर को चोपता से प्रस्थान कर बनियाकुण्ड, दुगलबिट्टा, पवधार, मक्कूबैण्ड, डूण्डू, वनातोली होते अंतिम रात्रि प्रवास के लिए भनकुण्ड पहुंचेगी. उन्होंने बताया कि 6 नवंबर को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली भनकुण्ड से रवाना होगी और शुभ लगनानुसार अपने शीतकालीन गद्दीस्थल मार्कडेय तीर्थ तुंगनाथ मंदिर मक्कूमठ में विराजमान होगी.

रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विख्यात भगवान तुंगनाथ के कपाट बुधवार यानी कल शुभ लगनानुसार साढ़े ग्यारह बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे. कपाट बंद करने के लिए देवस्थानम् बोर्ड ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं.

तुंगनाथ धाम के प्रबंधक प्रकाश पुरोहित ने बताया कि विद्वान आचार्यों, हक-हकूकधारियों तथा वेदपाठियों द्वारा भगवान तुंगनाथ के स्वयंभू लिंग की विशेष पूजा अर्चना कर जलाभिषेक कर आरती उतारी जाएगी. साथ ही दस बजे सुबह से भगवान तुंगनाथ के स्वयंभू लिंग को चन्दन, भस्म, भृंगराज, पुष्प, अक्षत्र से समाधि दी जाएगी. उन्होंने बताया कि 11 बजकर 30 मिनट पर भगवान तुंगनाथ के कपाट पौराणिक परंपरा के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे.

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भगवान तुंगनाथ शीतकाल में मक्कूमठ में देंगे दर्शन.

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उन्होंने बताया कि भगवान तुंगनाथ के कपाट बंद होने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली धाम से रवाना होकर विभिन्न यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी. पांच नवंबर को चोपता से प्रस्थान कर बनियाकुण्ड, दुगलबिट्टा, पवधार, मक्कूबैण्ड, डूण्डू, वनातोली होते अंतिम रात्रि प्रवास के लिए भनकुण्ड पहुंचेगी. उन्होंने बताया कि 6 नवंबर को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली भनकुण्ड से रवाना होगी और शुभ लगनानुसार अपने शीतकालीन गद्दीस्थल मार्कडेय तीर्थ तुंगनाथ मंदिर मक्कूमठ में विराजमान होगी.

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