रुद्रप्रयाग: इस बार केदारनाथ धाम के रास्ते में तीर्थयात्रियों को बर्फ नहीं दिखेगी. गर्मी बढ़ते ही केदारनाथ मंदिर परिसर सहित आस-पास के क्षेत्रों में बर्फ पिघल गई है. लेकिन केदारनाथ के यात्रा मार्गों पर अभी भी बर्फ जमी है. गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग पर यात्रियों को ग्लेशियरों के बीच से होकर आवाजाही करनी पड़ेगी. पैदल यात्रा मार्ग पर अभी भी बड़े-बड़े ग्लेशियर हैं. जिला प्रशासन की ओर से डेंजर ग्लेशियर प्वाइंट्स को भी चिन्हित किया जा रहा है. जिससे तीर्थयात्रियों को खतरा न हो.
केदारनाथ धाम की यात्रा शुरू होने में अब मात्र एक माह का समय शेष है. छह मई को बाबा के द्वार भक्तों के लिये खोल दिये जाएंगे. यात्रा से जुड़ी सभी तैयारियां शुरू हो गई हैं. केदारनाथ धाम पैदल मार्ग में अभी भी बड़े-बड़े ग्लेशियर को काटकर पैदल रास्ता तैयार किया जा रहा है. फिलहाल एक फीट रास्ता तैयार करके केदारनाथ में संचार, पेयजल, विद्युत आदि व्यवस्थाएं जुटाई जा रही हैं. धाम में घोड़े-खच्चरों से सामान ढोना शुरू हो गया है. बदरी-केदार मंदिर समिति की टीम भी कुछ दिनों बाद केदारनाथ में व्यवस्थाएं जुटाने के लिए रवाना हो जाएगी.
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गर्मी बढ़ते ही केदारनाथ धाम में बर्फ पिघलना शुरू हो गई है. पिछले सप्ताह तक केदारनाथ मंदिर परिसर में बर्फ जमी थी, लेकिन अब मंदिर परिसर सहित आस-पास के क्षेत्रों में बर्फ नहीं है. हालांकि गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर बड़े-बड़े ग्लेशियर हैं. पैदल मार्ग के भैरव गदेरा, कुबेर गदेरा, लिनचैली सहित अन्य स्थानों पर बड़े-बड़े ग्लेशियर हैं. यहां पर ग्लेशियरों को काटकर रास्ता तैयार किया गया है, जबकि खतरनाक ग्लेशियरों को पूरी तरह काटा जा रहा है. जिससे तीर्थयात्रियों को यात्रा के समय किसी परेशानी से ना जूझना पड़े.
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केदारनाथ पैदल मार्ग इस बार भी तीर्थयात्रियों को ग्लेशियरों के बीच से होकर आवाजाही करनी पड़ेगी. जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि पैदल मार्ग पर अभी भी मजदूर कार्य करने में लगे हैं. लिनचैली के निकट बहुत बड़े ग्लेशियर है, जिन्हें काटने का कार्य जारी है. ग्लेशियर को पूरी तरह से काटकर सुरक्षित रास्ता तैयार किया जा रहा है.