रुद्रप्रयाग: केदारनाथ आपदा में लापता हुए लोगों के नर कंकालों की खोज के लिए गई दस टीमों में नौ टीमें वापस लौट आई हैं. चार दिनों तक चले इस सर्च ऑपरेशन में अभी तक किसी भी टीम को को एक भी नर कंकाल नहीं मिला है. वहीं, रामबाड़ा के ऊपरी क्षेत्र में गई टीम के अभियान को एक दिन के लिए और बढ़ाया गया है. यह टीम रामबाड़ा से गरूड़चट्टी के मध्य क्षेत्र में पहाड़ी के दोनों तरफ नर कंकालों की खोज कर रही है. रविवार को टीम की वापसी के बाद ही इस पर पूरी स्थिति साफ हो पाएगी.
बता दें कि 16-17 जून 2013 की केदारनाथ आपदा में लापता हुये हजारों यात्रियों का आज भी सुराग नहीं लगा है. अभी तक स्पष्ट आंकड़ा नहीं है कि इस विनाशकारी आपदा में कितने लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. केदारनाथ में आई आपदा के समय हजारों लोग अपनी जान बचाने के लिये जंगलों की ओर भागे थे. जंगलों में भूख-प्यास से भटकते-भटकते हजारों यात्रियों की मौत हो गई थी, जबकि हजारों यात्रियों का आज भी पता नहीं चल पाया है. पूर्व में भी जंगलों से कुछ नर कंकाल बरामद हुये हैं.
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नर कंकालों की ढूंढखोज को लेकर पुलिस और एसडीआरफ की टीम ने 16 सितम्बर से सर्च अभियान शुरू किया था. इन टीमों ने केदारनाथ के आस-पास सहित अन्य इलाकों की खाक छान मारी, मगर अभी तक एक भी नर कंकाल टीम को नहीं मिला है. विशेष सर्च अभियान के लिए गठित दस टीमों में से नौ टीमें वापस लौट आई हैं. रामबाड़ा के ऊपरी क्षेत्र में गई टीम के अभियान को एक दिन के लिए बढ़ाया गया है.
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यह टीम रामबाड़ा से गरूड़चट्टी के मध्य क्षेत्र में पहाड़ी के दोनों तरफ नर कंकालों की खोज कर रही है. रविवार को टीम के वापस आने पर पूरी स्थिति साफ हो पाएगी. बता दें हाईकोर्ट के आदेश पर बीते 16 सितंबर को पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह के नेतृत्व में दस टीमों द्वारा गौरीकुंड-केदारनाथ, रामबाड़ा का ऊपरी क्षेत्र, बेस कैंप का ऊपरी क्षेत्र, कालीमठ-चैमासी-खाम-केदारनाथ, त्रियुगीनाराण-केदारनाथ आदि रूटों पर नर कंकालों की खोज के लिए चार दिवसीय अभियान शुरू किया गया था.
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16/17 जून 2013 की केदारनाथ आपदा में हजारों की संख्या में यात्री लापता हो गए थे. इन लोगों के मृत शरीर व नर कंकाल की खोज के लिए बीते छह वर्षों में सर्च अभियान चलाए गए हैं, जिसमें 600 से अधिक नर कंकाल बरामद हुए थे. साल 2016 में तो हिटो केदार अभियान के दौरान त्रियुगीनारायण-केदारनाथ ट्रैक पर ट्रेकिंग दल को 50 से अधिक कंकाल मिले थे. इसके बाद बीते चार वर्षों से हर साल सर्च अभियान चलाया जा रहा है.