रुद्रप्रयागः विश्व विख्यात केदारनाथ धाम में तीसरे दिन भी बारिश जारी (Kedarnath Dham Rainfall) रही. बारिश के बाद धाम में ठंडक बढ़ गई है. बारिश और भारी ठंड के बावजूद भी तीर्थयात्री भारी संख्या में धाम पहुंच रहे हैं और बाबा केदार के दर्शन कर रहे हैं. इन दिनों हर दिन आठ से दस हजार के करीब भक्त बाबा के दरबार में पहुंच रहे हैं. अब तक 11 लाख 98 हजार श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन कर चुके हैं.
बता दें कि केदारनाथ धाम में रूक-रूक कर बारिश हो रही है. मौसम के हाई अलर्ट के बावजूद हजारों की संख्या में भोले के भक्त केदारनाथ धाम (Devotees Visit Kedarnath Dham) पहुंच रहे हैं. इसके अलावा तृतीय केदार तुंगनाथ धाम में भी भक्तों की संख्या बढ़ती जा रही है. केदारनाथ धाम में भक्तों की बढ़ती भीड़ से स्थानीय व्यापारियों के चेहरे खिले हुए हैं. यात्री घोड़े-खच्चर से लेकर पालकी में बाबा के दरबार में पहुंच रहे हैं, जबकि सैकड़ों आस्थावान भक्त पैदल चलकर केदार धाम पहुंच रहे हैं. ठंड से बचाव के लिए तीर्थयात्री अलाव का सहारा ले रहे हैं. साथ ही प्रशासन की ओर से उन्हें गर्म कपड़े, जूतों के साथ अन्य व्यवस्थाएं करके धाम जाने की सलाह दी जा रही है.
राकेश्वरी मंदिर में पौराणिक जागर का समापनः मद्महेश्वर घाटी के ग्रामीणों की आराध्य देवी और रांसी गांव में विराजमान भगवती राकेश्वरी मंदिर में दो माह तक चलने वाले पौराणिक जागरों का समापन हो गया है. समापन मौके पर विभिन्न गांवों के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भगवती राकेश्वरी को ब्रह्मकमल अर्पित किए और मन्नतें मांगी. इस दौरान महिलाओं और नौनिहालों ने विभिन्न धार्मिक भजनों की प्रस्तुतियां दी. जिससे मद्महेश्वर घाटी का वातावरण भक्तिमय बना रहा.
भगवती राकेश्वरी मंदिर में दो माह तक चलने वाले पौराणिक जागरों के गायन में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले ग्रामीणों को ऊखीमठ की सामाजिक संस्था पंच केदार दर्शन ने सम्मानित किया. राकेश्वरी मंदिर समिति के अध्यक्ष जगत सिंह पंवार ने बताया कि श्रावण मास की संक्रांति के पावन अवसर पर पौराणिक जागरों का शुभारंभ होता है. इस दौरान रोजाना शाम 7 बजे से 8 बजे तक पौराणिक जागरों के माध्यम से 33 कोटि देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है. साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का गुणगान किया जाता है. जबकि, दो गते आश्विन को भगवती राकेश्वरी को ब्रह्मकमल अर्पित करने के साथ पौराणिक जागरों का समापन होता है.
उन्होंने बताया कि भगवती राकेश्वरी को अर्पित होने वाले ब्रह्मकमल लगभग 14 हजार फीट की ऊंचाई से लाए जाते हैं. ब्रह्मकमल लाने के लिए कई पौराणिक परंपराओं का निर्वहन करना पड़ता है. केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत (Kedarnath MLA Shaila Rani Rawat) के प्रतिनिधि प्रकाश सेमवाल ने कहा कि पौराणिक जागरों का गायन (Rakeshwari Temple Jagar) हमारी युगों पूर्व की परंपरा है. भविष्य में पौराणिक जागरों के गायन को जीवित रखने के लिए सामूहिक पहल की जाएगी.