रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विख्यात भगवान तुंगनाथ की दिवारा यात्रा कालीमठ घाटी से विदा होकर गुप्तकाशी पहुंच चुकी है. सोमवार को दिवारा यात्रा नारायण कोटी गांव पहुंची. जहां सैकड़ों श्रद्धालु भगवान तुंगनाथ व भगवती काली के अदभुत मिलन के साक्षी बने. मंगलवार को दिवारा यात्रा रात्रि प्रवास के लिए देवसाल गांव पहुंचेगी.
सिद्धपीठ कालीमठ में बह्म बेला पर पंचाग पूजन के तहत तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं का आह्वान कर भगवान तुंगनाथ का रूद्राभिषेक और आरती की गई. जिसके बाद चल विग्रह उत्सव डोली का भव्य श्रृंगार किया गया. इसके बाद भगवान तुंगनाथ की दिवारा यात्रा शुरू हुई. इस दौरान कालीमठ में भगवान तुंगनाथ और माता भगवती के अदभुत मिलन को देखने के लिए सैकड़ों श्रद्धालु लालायित दिखे.
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इस दौरान नर रूप में अवतरित देवताओं ने श्रद्धालुओं को आशीष दिया. भगवान तुंगनाथ की दिवारा यात्रा ने नगर भ्रमण कर ग्रामीणों की कुशलक्षेम पूछी. जिसमें ग्रामीणों ने अनेक प्रकार की पूजा सामग्री बाबा को अर्पित कर मनौतियां मांगी. दिवारा यात्रा के कालीमठ से विदा होते ही महिलाओं की आंखें छलक उठी.
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कालीमठ घाटी के लोगों ने काफी दूर तक दिवारा यात्रा को विदा किया. भगवान तुंगनाथ की दिवारा यात्रा का नारायण कोटी में स्वागत किया गया. लोगों ने फूलों की बारिश करते हुए दिवारा यात्रा का भव्य स्वागत किया.