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आचार्य बालकृष्ण को भाया पहाड़ी खाना, इन व्यंजनों के हुए मुरीद

आचार्य बालकृष्ण इन दिनों केदरानाथ दौरे पर है. केदारनाथ में उन्होंने एक हवन भी किया था. आजकल वे पहाड़ी व्यजनों को लुत्फ भी उठा रहे हैं.

आचार्य बालकृष्ण
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Published : Oct 8, 2019, 11:33 PM IST

रुद्रप्रयाग: योग गुरू बाबा रामदेव के सहयोगी और पतंजलि आयुर्वेद के सीईओ आचार्य बालकृष्ण इन दिनों उत्तराखंड की पहाड़ियों में पहाड़ी भोजन का स्वाद चख रहे हैं, जो उन्हें काफी पसंद भी आ रहा है. जिसका वे जमकर तारीफ कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पहाड़ी उत्पादों से बने व्यंजन खाने से शरीर स्वस्थ रहता है.

बता दें कि बालकृष्ण कुछ दिनों पहले केदारनाथ आए थे. यहां वे करीब 9 दिनों तक गुफा में रुके थे. इस दौरान उन्होंने एक हवन कर विश्व कल्याण की प्रार्थना की थी. केदारनाथ से लौटने के बाद बालकृष्ण अपने 250 शिष्यों के साथ सोनप्रयाग पहुंचे. यहां वे एक रेस्टोरेंट में गए, जहां उन्होंने पहाड़ी व्यजनों का जमकर लुत्फ उठाया.

पढ़ें- अल्मोड़ा: यहां बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ का संदेश दे रहा लंकापति रावण

इस दौरान उन्होंने मूली का थिचवानी, कंडाली का साग, मंडुवे की पूरी और रोटी, गैथ का फाणा, ककड़ी का रायता, झंगोरे की खीर, चावल और सलाद खाया. इसके अलावा उन्होंने चाय के साथ अरसे, रोटने और दाल के पकौड़े भी चखे. जिसके वे मुरीद हो गए. बालकृष्ण अपने साथ अरसे, रोटने, दाल के पकौड़े, चटनी और गढ़वाली पिसा हुआ नमक भी लेकर गए.

रुद्रप्रयाग: योग गुरू बाबा रामदेव के सहयोगी और पतंजलि आयुर्वेद के सीईओ आचार्य बालकृष्ण इन दिनों उत्तराखंड की पहाड़ियों में पहाड़ी भोजन का स्वाद चख रहे हैं, जो उन्हें काफी पसंद भी आ रहा है. जिसका वे जमकर तारीफ कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पहाड़ी उत्पादों से बने व्यंजन खाने से शरीर स्वस्थ रहता है.

बता दें कि बालकृष्ण कुछ दिनों पहले केदारनाथ आए थे. यहां वे करीब 9 दिनों तक गुफा में रुके थे. इस दौरान उन्होंने एक हवन कर विश्व कल्याण की प्रार्थना की थी. केदारनाथ से लौटने के बाद बालकृष्ण अपने 250 शिष्यों के साथ सोनप्रयाग पहुंचे. यहां वे एक रेस्टोरेंट में गए, जहां उन्होंने पहाड़ी व्यजनों का जमकर लुत्फ उठाया.

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इस दौरान उन्होंने मूली का थिचवानी, कंडाली का साग, मंडुवे की पूरी और रोटी, गैथ का फाणा, ककड़ी का रायता, झंगोरे की खीर, चावल और सलाद खाया. इसके अलावा उन्होंने चाय के साथ अरसे, रोटने और दाल के पकौड़े भी चखे. जिसके वे मुरीद हो गए. बालकृष्ण अपने साथ अरसे, रोटने, दाल के पकौड़े, चटनी और गढ़वाली पिसा हुआ नमक भी लेकर गए.

Intro:पहाड़ी किचन में बने व्यंजनों के मुरीद हुए आचार्य बालकृष्ण
केदारनाथ से लौटने के बाद पहाड़ी किचन का लिया आनंद
रुद्रप्रयाग। पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने सोनप्रयाग स्थित पहाड़ी किचन का लुत्फ उठाया। इस दौरान उन्होंने पहाड़ी व्यंजनों का जमकर लुत्फ उठाया और तारिफ की। उन्होंने कहा कि पहाड़ी उत्पादों से बने व्यंजनों से शरीर स्वस्थ रहता है। देश-विदेश के श्रद्धालुओं को यह व्यंजन काफी पसंद आ रहा है। Body:दरअसल, पतंजलि योगपीठ के महामंत्री बालकृष्ण केदारनाथ धाम गये थे। जहां उन्होंने गुफा की ओर नौ दिनों तक यज्ञ हवन का आयोजन कर विश्व कल्याण की प्रार्थना की। केदारनाथ से लौटने के बाद महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने अपने 250 शिष्यों के साथ सोनप्रयाग पहुंचे। यहां पर वे पहाड़ी किचन में गये और पहाड़ी उत्पादों से बने व्यंजनों को परोसने को कहा। पहाड़ी किचन के मैनेजर मनोज सेमवाल ने आचार्य बालकृष्ण का फूल मालाओं से भव्य स्वागत किया। पहाड़ी किचन में मूली का थिचवानी, कंडाली का साग, मंडुवे की पूरी और रोटी, गैथ का फाणा, ककड़ी का रायता, झंगोरे की खीर, चांवल और सलाद परोसा गया। इसके साथ ही जलपान गृह में अरसे, रोटने, दाल के पकोड़े, चटनी और चाय परोसी गई। आचार्य बालकृष्ण ने पहाड़ी उत्पादों से बने व्यंजनों का स्वाद चखा और वे मुरीद हो गये। वे अपने साथ अरसे, रोटने, दाल के पकोड़े, चटनी और गढ़वाली पिसा हुआ नमक को लेकर गए। इसके अलावा एक रिंगाल की छोटी कंडी में उन्हें कलाऊ के रूप में भेंट किया गया। पहाड़ी किचन के मैनेजर मनोज सेमवाल ने बताया कि आचार्य बालकृष्ण सरल स्वभाव के व्यक्तित्व के धनी हैं। उनका व्यवहार केदारनाथ में काफी पसंद किया गया। विश्व शांति के लिए भगवान केदारनाथ स्थित गुफा में यज्ञ हवन करने के बाद आचार्य बालकृष्ण ने मंगलवार को हरिद्वार के लिए प्रस्थान किया।
Conclusion:
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