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धारचूला पुल खुलने से सीमांत क्षेत्र के लोगों को राहत, नेपाल के लिए रवाना हुए 150 परिवार

धारचूला में भारत-नेपाल बॉर्डर पर स्थित अंतरराष्ट्रीय झूला पुल सीमांत क्षेत्र के लोगों के लिए खोल दिया गया है. जिसके बाद नेपाल के 150 से ज्यादा परिवार धारचुला-गर्ब्यांग होते हुए सीतापुल से नेपाल स्थित गांव छांगरू और तिंकर के लिए निकल गए हैं.

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धारचूला पुल
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Published : May 22, 2020, 3:55 PM IST

Updated : May 23, 2020, 12:01 PM IST

पिथौरागढ़: धारचूला में इंटरनेशनल झूला पुल खुलने के बाद सीमांत क्षेत्र के लोगों ने राहत की सांस ली है. पुल खुलने पर छांगरू और तिंकर के ग्रामीणों ने जानवरों के साथ भारत में प्रवेश किया. साथ ही दो महीनों से नेपाल में फंसे 40 भारतीय परिवारों की स्वदेश वापसी हुई है. इसके अलावा 150 के ज्यादा नेपालियों को भी भेजा गया है.

अंतरराष्ट्रीय झूला पुल से आवाजाही.

एक ओर नेपाल ने भारतीय इलाके को अपने नक्शे में शामिल कर आपसी रिश्तों में खटास डालने की कोशिश की है. वहीं दूसरी ओर भारत ने उच्च हिमालयी क्षेत्रों में रहने वाले नेपाली नागरिकों को माईग्रेशन के लिए भारतीय सरजमीं से रास्ता खोल दिया है. गृह मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद बृहस्पतिवार को झूलापुल खोला गया. इसके बाद वहां से लोगों ने अपने मवेशियों के साथ भारत में प्रवेश किया.

ये भी पढ़ेंः कालापानी और लिपुलेख पर नेपाल का दावा झूठा, सरकारी दस्तावेज दे रहे गवाही

इस साल कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन में झूला पुल के गेट बंद होने से ये परिवार माइग्रेशन पर नहीं जा पा रहे थे. बीते दिनों नेपाल में फंसे इन परिवारों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था. ये सभी नेपाली परिवार धारचुला-गर्ब्यांग होते हुए सीतापुल से नेपाल स्थित गांव छांगरू और तिंकर के लिए निकल गए हैं. नेपाल में उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित गांवों तक आवागमन के लिए पैदल रास्ता तक नहीं है. ये परिवार पहले से भारतीय क्षेत्र से होकर आवाजाही करते हैं.

पिथौरागढ़: धारचूला में इंटरनेशनल झूला पुल खुलने के बाद सीमांत क्षेत्र के लोगों ने राहत की सांस ली है. पुल खुलने पर छांगरू और तिंकर के ग्रामीणों ने जानवरों के साथ भारत में प्रवेश किया. साथ ही दो महीनों से नेपाल में फंसे 40 भारतीय परिवारों की स्वदेश वापसी हुई है. इसके अलावा 150 के ज्यादा नेपालियों को भी भेजा गया है.

अंतरराष्ट्रीय झूला पुल से आवाजाही.

एक ओर नेपाल ने भारतीय इलाके को अपने नक्शे में शामिल कर आपसी रिश्तों में खटास डालने की कोशिश की है. वहीं दूसरी ओर भारत ने उच्च हिमालयी क्षेत्रों में रहने वाले नेपाली नागरिकों को माईग्रेशन के लिए भारतीय सरजमीं से रास्ता खोल दिया है. गृह मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद बृहस्पतिवार को झूलापुल खोला गया. इसके बाद वहां से लोगों ने अपने मवेशियों के साथ भारत में प्रवेश किया.

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इस साल कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन में झूला पुल के गेट बंद होने से ये परिवार माइग्रेशन पर नहीं जा पा रहे थे. बीते दिनों नेपाल में फंसे इन परिवारों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था. ये सभी नेपाली परिवार धारचुला-गर्ब्यांग होते हुए सीतापुल से नेपाल स्थित गांव छांगरू और तिंकर के लिए निकल गए हैं. नेपाल में उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित गांवों तक आवागमन के लिए पैदल रास्ता तक नहीं है. ये परिवार पहले से भारतीय क्षेत्र से होकर आवाजाही करते हैं.

Last Updated : May 23, 2020, 12:01 PM IST
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