पिथौरागढ़: नंदा देवी ईस्ट से रेस्क्यू किये गए 7 पर्वतारोहियों के शवों में से 6 की पहचान नहीं हो पाई है. पर्वतारोहियों के चेहरे और शरीर के कई हिस्से गल गए हैं. जिस कारण शवों की शिनाख्त करना मुश्किल हो रहा है. इन शवों में से एक शव आईएमएफ के लाइजनिंग ऑफिसर चेतन पांडे का है, जिनकी पहचान परिजनों के आधार पर की गई है.
नंदा देवी ईस्ट के बेस कैंप 2 से 7 पर्वतारोहियों के शवों को आज वायुसेना के हेलीकॉप्टर के जरिये पिथौरागढ़ मुख्यालय लाया गया. नैनी-सैनी एयरपोर्ट में ही पर्वतारोहियों के शवों के पंचनामे की कार्रवाई की गई. नंदा देवी ईस्ट में लंबे समय तक बर्फ में पड़े शवों के चेहरे और शरीर के हिस्से गल गए हैं. जिस कारण शवों की शिनाख्त नहीं हो पाई है.
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वहीं, आईएमएफ के जवान चेतन पांडे की पहचान परिजनों के आधार पर की गई है. प्रशासन का कहना है कि इन शवों में से एक शव महिला का है, जो ऑस्ट्रेलियन पर्वतारोही हो सकती है. लेकिन चेहरा गलने के कारण उसकी भी शिनाख्त नहीं हो पाई है.
पुलिस प्रशासन द्वारा जो पंचनामा भरा गया है, उसमें 6 शवों को अज्ञात बताया गया है. फिलहाल इन शवों की पहचान के लिए विदेशी दूतावास से संपर्क किया गया है. फिलहाल, प्रशासन ने शवों को पोस्टमार्टम और प्रिजर्वेशन के लिए हल्द्वानी सुशीला तिवारी अस्पताल भेज दिया है.
बता दें कि नंदा देवी ईस्ट अभियान के दौरान एवलांच की चपेट में आने से ब्रिटेन निवासी मार्टिन मोरिन, रिचर्ड प्याने, रूपर्ट वेवैल, जोन चार्लीस मैकलर्न, अमेरिका के रोनाल्ड बीमेल, एंथोनी सुडेकम, ऑस्ट्रेलिया की महिला पर्वतारोही रुथ मैकन्स और आईएमएफ के लाइजनिंग ऑफिसर चेतन पांडे की मौत हो गयी थी.