पिथौरागढ़: उत्तराखंड में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का दावा करने वाली राज्य सरकार की पोल एक बार फिर खुल गई है. उत्तराखंड के बदहाल स्वास्थ्य सिस्टम के आगे डीआरडीओ के वैज्ञानिक की पत्नी की जान ले ली है. मामला उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ का है. इस मामले को लेकर बुधवार को पिथौरागढ़ में एनएसयूआई ने कार्यकर्ताओं ने सरकार का पुतला भी फूंका.
सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के कारण डीआरडीओ के वैज्ञानिक की गर्भवती पत्नी काव्या (24 वर्ष) की मौत हो गयी है. जानकारी के मुताबिक नैनी-सैनी की रहने वाली काव्या गर्भवती थी. सोमवार को उसे प्रसव पीड़ा हुई तो परिजन उसे जिला महिला अस्पताल लेकर गए. यहां डॉक्टरों ने उसे भर्ती कर लिया.
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ऑपरेशन के बाद काव्या ने स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया. लेकिन डिलीवरी के कुछ देर बाद ही उसकी तबियत बिगड़ गई. इसके बाद डॉक्टरों ने सोमवार शाम 5 बजे उसे हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया, लेकिन दन्या के पास काव्या ने दम तोड़ दिया.
काव्या की मौत से जहां परिवार में कोहराम मचा हुआ है, वहीं जिले के एकमात्र महिला अस्पताल की व्यवस्थाओं पर भी सवाल उठ रहे हैं. काव्या के पति नीरज सिंह महर डीआरडीओ देहरादून में वैज्ञानिक हैं.
वहीं इस मामले में जिला अस्पताल के पीएमएस डॉ केसी भट्ट ने बताया कि डिलीवरी के बाद महिला का यूरीन आउटपुट बंद हो गया था. इस कारण किडनी ने काम करना बंद कर दिया. नेफ्रोलॉजिस्ट का इंतजाम न होने पर सर्जन और अन्य चिकित्सकों की सलाह पर महिला को हायर सेंटर रेफर करना पड़ा, लेकिन रास्ते में उसकी मौत हो गयी.