ETV Bharat / state

अलकनंदा में गाद आने से संकट में जलीय जीव, वैज्ञानिकों ने जताई चिंता

मानसून खत्म होने के बावजूद अलकनंदा नदी में गाद आने का सिलसिला जारी है. जिससे जलीय जीव पर खतरा मंडराने लगा है. वहीं. नवंबर माह में अलकनंदा नदी में गाद आने को लेकर वैज्ञानिकों ने चिंता जाहिर की है.

Etv Bharat
गाद आने से संकट में जलीय जीव
author img

By

Published : Nov 16, 2022, 5:45 PM IST

श्रीनगर: नवंबर महीने में भी अलकनंदा नदी में गाद (silt in alaknanda river) का बहना जलीय जंतुओं के लिए संकट बना हुआ है. मानसून के दौरान नदी में मिट्टी, सिल्ट का बहना आम बात है, लेकिन नवंबर माह में इस तरह नदी के स्वरूप के बदल जाने से वैज्ञानिकों ने भी चिंता जताई है. वहीं, स्थानीय भी नवंबर माह में नदी में गाद को देखकर हैरत में है.

अलकनंदा नदी में इन दिनों भी गाद बह रही है, जिससे अलकनंदा नदी बिल्कुल मटमैली नजर आ रही है. हालांकि, मानसून में नदियों में गाद, मिट्टी का बहना और नदी का मटमैला होना आम बात है, लेकिन नवंबर महीने में भी अलकनंदा नदी में इस तरह गाद बहने पर वैज्ञानिकों ने चिंता व्यक्त की है.

अलकनंदा में गाद आने से संकट में जलीय जीव

गढ़वाल विश्वविद्यालय (Garhwal University) के हिमालयन एक्वेटिक विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो जसपाल राणा ने कहा नदी में रहने वाले जीव-जंतुओं का प्रजनन और माइग्रेसन को लेकर एक निर्धारित समय रहता है. ऐसे में पानी के साफ न रहने, नदी में मिट्टी, सिल्ट की मात्रा बढ़ने से जहं एक जलीय जीव जंतुओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वहीं कई ऐसे जीव जंतु हैं, जो विलुप्ती की कगार पर पहुंच रहे हैं. क्योंकि उन्हें प्रजनन के लिए उपयुक्त वातावरण नहीं मिल पा रहा है. साथ ही गाद आने से नदी के प्रवाह पर भी प्रभाव पड़ता है. पानी की गुणवत्ता में भी कमी देखी जा रही है.
ये भी पढ़ें: ट्रेकिंग करने गए थे बिहार सरकार के ऑफिसर, एक PCS अधिकारी की हार्ट अटैक से मौत

समाजसेवी भोपाल सिंह चौधरी ने कहा कि गंगा नदी को जीवित प्राणी का दर्जा सुप्रीम कोर्ट ने दिया है, लेकिन इसके बाद भी नदी में विकास के नाम पर मलबा फेंका जा रहा है. जिसका परिणाम है कि नवंबर माह में भी इतनी सिल्ट नदी में दिख रही है. उन्होंने कहा गंगा पर ठोस कानून बनाये जाने की जरूरत है.

श्रीनगर: नवंबर महीने में भी अलकनंदा नदी में गाद (silt in alaknanda river) का बहना जलीय जंतुओं के लिए संकट बना हुआ है. मानसून के दौरान नदी में मिट्टी, सिल्ट का बहना आम बात है, लेकिन नवंबर माह में इस तरह नदी के स्वरूप के बदल जाने से वैज्ञानिकों ने भी चिंता जताई है. वहीं, स्थानीय भी नवंबर माह में नदी में गाद को देखकर हैरत में है.

अलकनंदा नदी में इन दिनों भी गाद बह रही है, जिससे अलकनंदा नदी बिल्कुल मटमैली नजर आ रही है. हालांकि, मानसून में नदियों में गाद, मिट्टी का बहना और नदी का मटमैला होना आम बात है, लेकिन नवंबर महीने में भी अलकनंदा नदी में इस तरह गाद बहने पर वैज्ञानिकों ने चिंता व्यक्त की है.

अलकनंदा में गाद आने से संकट में जलीय जीव

गढ़वाल विश्वविद्यालय (Garhwal University) के हिमालयन एक्वेटिक विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो जसपाल राणा ने कहा नदी में रहने वाले जीव-जंतुओं का प्रजनन और माइग्रेसन को लेकर एक निर्धारित समय रहता है. ऐसे में पानी के साफ न रहने, नदी में मिट्टी, सिल्ट की मात्रा बढ़ने से जहं एक जलीय जीव जंतुओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वहीं कई ऐसे जीव जंतु हैं, जो विलुप्ती की कगार पर पहुंच रहे हैं. क्योंकि उन्हें प्रजनन के लिए उपयुक्त वातावरण नहीं मिल पा रहा है. साथ ही गाद आने से नदी के प्रवाह पर भी प्रभाव पड़ता है. पानी की गुणवत्ता में भी कमी देखी जा रही है.
ये भी पढ़ें: ट्रेकिंग करने गए थे बिहार सरकार के ऑफिसर, एक PCS अधिकारी की हार्ट अटैक से मौत

समाजसेवी भोपाल सिंह चौधरी ने कहा कि गंगा नदी को जीवित प्राणी का दर्जा सुप्रीम कोर्ट ने दिया है, लेकिन इसके बाद भी नदी में विकास के नाम पर मलबा फेंका जा रहा है. जिसका परिणाम है कि नवंबर माह में भी इतनी सिल्ट नदी में दिख रही है. उन्होंने कहा गंगा पर ठोस कानून बनाये जाने की जरूरत है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.