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पति की हत्यारी मां और बेटे को उम्रकैद, शव ठिकाने लगाने वाले श्रमिक को चार साल की जेल

जिला एवं सत्र न्यायाधीश सिकंद कुमार त्यागी की अदालत ने पिता सतेंद्र सिंह नेगी की हत्या के आरोप में मां-बेटे को उम्रकैद की सजा सुनाई है. जबकि मन बहादुर को सुबूत नष्ट करने के आरोप में चार साल की सजा सुनाई गई है.

मां-बेटे को उम्रकैद की सजा
मां-बेटे को उम्रकैद की सजा
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Published : Sep 16, 2021, 10:41 AM IST

कोटद्वार: जिला एवं सत्र न्यायाधीश सिकंद कुमार त्यागी की अदालत ने पिता की हत्या के आरोप में मां-बेटे को उम्रकैद की सजा सुनाई है. वहीं शव को ठिकाने लगाने वाले नेपाली श्रमिक को 4 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है.

बता दें कि, मामला 14 जनवरी 2011 का है. खंडाह निवासी अनिल रावत की ओर से पौड़ी कोतवाली में ससुर सतेंद्र सिंह नेगी की हत्या के संबंध में तहरीर दी गई थी. तहरीर में कहा गया कि उसके ससुर सतेंद्र सिंह नेगी का शव कट्टे में चौखंभा के नीचे तिमली रोड पर मिला है. जब उन्होंने अपनी सास सुमित्रा देवी को फोन किया तो उनका फोन स्विच ऑफ था. पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी. मामले में पुलिस ने मृतक की पत्नी सुमित्रा देवी और बेटा मोहन सिंह को गिरफ्तार किया था. पूछताछ में सुमित्रा देवी ने बताया कि सतेंद्र शराब पीकर गाली-गलौज व मारपीट करता था. 11 जनवरी को उनका बेटा मोहन देहरादून से घर आया और उसी दिन शाम को शराब पीकर आए सतेंद्र ने घर पर गाली-गलौज व मारपीट शुरू कर दी थी. आए दिन मारपीट से परेशान होकर उसने बेटे के साथ मिलकर सतेंद्र की हत्या कर दी थी.

अगले दिन मोहन देहरादून वापस लौट गया और 13 जनवरी को उन्होंने मन बहादुर के साथ मिलकर शव को कट्टे में रखकर ठिकाने लगा दिया. इसके बाद पुलिस ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी.

पढ़ें: देहरादून में नाबालिग का अपहरण करने वाला आरोपी गिरफ्तार, भेजा गया जेल

जिला शासकीय अधिवक्ता अवनीश नेगी व सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता प्रदीप भट्ट ने बताया कि मामले में 14 गवाह पेश किए गए. तमाम पक्षों को सुनने के बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश सिकंद कुमार त्यागी की अदालत ने सुमित्रा देवी व मोहन सिंह को सतेंद्र की हत्या में दोषी पाया. जबकि मन बहादुर को सुबूतों को नष्ट करने के मामले में दोषी पाया. शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि सुमित्रा व मोहन सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. मन बहादुर को चार वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई.

कोटद्वार: जिला एवं सत्र न्यायाधीश सिकंद कुमार त्यागी की अदालत ने पिता की हत्या के आरोप में मां-बेटे को उम्रकैद की सजा सुनाई है. वहीं शव को ठिकाने लगाने वाले नेपाली श्रमिक को 4 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है.

बता दें कि, मामला 14 जनवरी 2011 का है. खंडाह निवासी अनिल रावत की ओर से पौड़ी कोतवाली में ससुर सतेंद्र सिंह नेगी की हत्या के संबंध में तहरीर दी गई थी. तहरीर में कहा गया कि उसके ससुर सतेंद्र सिंह नेगी का शव कट्टे में चौखंभा के नीचे तिमली रोड पर मिला है. जब उन्होंने अपनी सास सुमित्रा देवी को फोन किया तो उनका फोन स्विच ऑफ था. पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी. मामले में पुलिस ने मृतक की पत्नी सुमित्रा देवी और बेटा मोहन सिंह को गिरफ्तार किया था. पूछताछ में सुमित्रा देवी ने बताया कि सतेंद्र शराब पीकर गाली-गलौज व मारपीट करता था. 11 जनवरी को उनका बेटा मोहन देहरादून से घर आया और उसी दिन शाम को शराब पीकर आए सतेंद्र ने घर पर गाली-गलौज व मारपीट शुरू कर दी थी. आए दिन मारपीट से परेशान होकर उसने बेटे के साथ मिलकर सतेंद्र की हत्या कर दी थी.

अगले दिन मोहन देहरादून वापस लौट गया और 13 जनवरी को उन्होंने मन बहादुर के साथ मिलकर शव को कट्टे में रखकर ठिकाने लगा दिया. इसके बाद पुलिस ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी.

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जिला शासकीय अधिवक्ता अवनीश नेगी व सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता प्रदीप भट्ट ने बताया कि मामले में 14 गवाह पेश किए गए. तमाम पक्षों को सुनने के बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश सिकंद कुमार त्यागी की अदालत ने सुमित्रा देवी व मोहन सिंह को सतेंद्र की हत्या में दोषी पाया. जबकि मन बहादुर को सुबूतों को नष्ट करने के मामले में दोषी पाया. शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि सुमित्रा व मोहन सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. मन बहादुर को चार वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई.

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