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कड़वी हकीकतः मजबूरी का फायदा उठा रहे बिचौलिए, प्रवासी मजदूरों के घर जाने का रेट किया तय

कोरोना वायरस महामारी के दौरान आम आदमी अपनी जिंदगी बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है तो वहीं दूसरी ओर समाज में ऐसे भी लोग हैं जो दूसरे की मजबूरी का फायदा उठाने से भी नहीं चूक रहे हैं. कोटद्वार में बिहार और झारखंड के मजदूरों को उनके घर भेजने के नाम पर लाखों रुपए की वसूली की जा रही है.

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Published : May 25, 2020, 5:21 PM IST

Updated : May 25, 2020, 8:43 PM IST

कोटद्वार: कोरोना वायरस महामारी के दौरान आम आदमी अपनी जिदगी बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है तो वहीं दूसरी ओर समाज में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो दूसरे की मजबूरी का फायदा उठाने से बाज नहीं आ रहे हैं. मामला कोटद्वार का है. जहां झारखंड और बिहार के मजदूरों को उनके घर भेजने के एवज में मोटी रकम वसूली जा रही है. कैसे चल रहा है ये गोरखधन्धा, जानिए...

बस मालिक बिरेन्द्र का कहना है कि वह 30 मजदूरों को लेकर बिहार गया था, जिसमें उसे तीन हजार रूपये प्रति सवारी के हिसाब से एक बिचौलिये द्वारा किराया दिया गया. जबकि मजदूरों से पांच हजार रुपये प्रति सवारी के हिसाब से वसूला गया. जब बस मालिक ने इस बात की जानकारी बिचौलिया से पूछी तो उसने उसकी बस को अगले चक्कर में भेजने से ही मना कर दिया. जिसके बाद हरिद्वार से बस मंगाकर मजदूरों को झारखंड और बिहार भेजा गया. बस मालिक के अनुसार, अभी तक यह बिचौलिया साथ से आठ बसों को झारखंड और बिहार भेज चुका है.

प्रवासी मजदूरों के घर जाने का रेट किया तय

महिला बताई जा रही है वो बिचौलिया

बिरेन्द्र ने बताया कि जो बस आज बिहार और झारखंड गयी है, उसमें 37 मजदूर भेजे गये हैं. प्रत्येक मजदूर से 5000 रुपए किराए के तौर पर वसूले गये हैं. कुल 37 यात्रियों से 1,85,000 रुपये वसूले गये. लेकिन बस मालिक को सिर्फ 95,000 रुपए दिए गये. उसने बताया कि बिचौलिया कोई महिला है जो खुद को एक टीवी चैनल की पत्रकार बताती है. उसने पहले भी मेरी बस से मजदूरों को बिहार और झारखंड भेजा था. उसके एवज में मुझे 85000 रुपए दिए. जब मैंने पैसे बढ़ाने की बात की तो मेरी बस दोबारा भेजने से ही मना कर दिया.

इस मामले में एक मजदूर कन्हैया ने बताया कि हम यहां पर भूखे तो नहीं मरना चाहते. सरकार ने हमे पूरे लॉकडाउन में दो बार राशन दिया. फैक्ट्री मालिक ने हमारी कॉलोनी की बिजली और पानी काट दी. हम पानी के लिए तरस गए हैं, अब यहां पर कैसे रहें? अगर जब कभी लॉकडाउन खत्म होता है और फैक्ट्रियां दोबारा से चालू होती है तो हम जरूर काम पर लौटेंगे.

पढ़े: प्रवासियों की वापसी से राज्य में फूटा 'कोरोना बम', सरकार बोली- हर चुनौती के लिये तैयार

झारखंड के रहने वाले कन्हैया का कहना है कि एक ड्राइवर से मालूम हुआ कि 3000 रुपए प्रति सवारी के हिसाब से बस हमें लेकर बिहार और झारखंड जा रही हैं, पर हम से एक महिला जो अपने आपको एक टीवी चैनल की मैडम बताती हैं, ने 5000 रुपए के हिसाब से किराया लिया.

इस पूरे मामले में उपजिलाधिकारी योगेश मेहरा का कहना है कि अभी तक कोई लिखित शिकायत नहीं आई है. ये मामला सोशल मीडिया के माध्यम से संज्ञान में आया है. अगर कोई लिखित शिकायत मिलती है तो निश्चित ही आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

कोटद्वार: कोरोना वायरस महामारी के दौरान आम आदमी अपनी जिदगी बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है तो वहीं दूसरी ओर समाज में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो दूसरे की मजबूरी का फायदा उठाने से बाज नहीं आ रहे हैं. मामला कोटद्वार का है. जहां झारखंड और बिहार के मजदूरों को उनके घर भेजने के एवज में मोटी रकम वसूली जा रही है. कैसे चल रहा है ये गोरखधन्धा, जानिए...

बस मालिक बिरेन्द्र का कहना है कि वह 30 मजदूरों को लेकर बिहार गया था, जिसमें उसे तीन हजार रूपये प्रति सवारी के हिसाब से एक बिचौलिये द्वारा किराया दिया गया. जबकि मजदूरों से पांच हजार रुपये प्रति सवारी के हिसाब से वसूला गया. जब बस मालिक ने इस बात की जानकारी बिचौलिया से पूछी तो उसने उसकी बस को अगले चक्कर में भेजने से ही मना कर दिया. जिसके बाद हरिद्वार से बस मंगाकर मजदूरों को झारखंड और बिहार भेजा गया. बस मालिक के अनुसार, अभी तक यह बिचौलिया साथ से आठ बसों को झारखंड और बिहार भेज चुका है.

प्रवासी मजदूरों के घर जाने का रेट किया तय

महिला बताई जा रही है वो बिचौलिया

बिरेन्द्र ने बताया कि जो बस आज बिहार और झारखंड गयी है, उसमें 37 मजदूर भेजे गये हैं. प्रत्येक मजदूर से 5000 रुपए किराए के तौर पर वसूले गये हैं. कुल 37 यात्रियों से 1,85,000 रुपये वसूले गये. लेकिन बस मालिक को सिर्फ 95,000 रुपए दिए गये. उसने बताया कि बिचौलिया कोई महिला है जो खुद को एक टीवी चैनल की पत्रकार बताती है. उसने पहले भी मेरी बस से मजदूरों को बिहार और झारखंड भेजा था. उसके एवज में मुझे 85000 रुपए दिए. जब मैंने पैसे बढ़ाने की बात की तो मेरी बस दोबारा भेजने से ही मना कर दिया.

इस मामले में एक मजदूर कन्हैया ने बताया कि हम यहां पर भूखे तो नहीं मरना चाहते. सरकार ने हमे पूरे लॉकडाउन में दो बार राशन दिया. फैक्ट्री मालिक ने हमारी कॉलोनी की बिजली और पानी काट दी. हम पानी के लिए तरस गए हैं, अब यहां पर कैसे रहें? अगर जब कभी लॉकडाउन खत्म होता है और फैक्ट्रियां दोबारा से चालू होती है तो हम जरूर काम पर लौटेंगे.

पढ़े: प्रवासियों की वापसी से राज्य में फूटा 'कोरोना बम', सरकार बोली- हर चुनौती के लिये तैयार

झारखंड के रहने वाले कन्हैया का कहना है कि एक ड्राइवर से मालूम हुआ कि 3000 रुपए प्रति सवारी के हिसाब से बस हमें लेकर बिहार और झारखंड जा रही हैं, पर हम से एक महिला जो अपने आपको एक टीवी चैनल की मैडम बताती हैं, ने 5000 रुपए के हिसाब से किराया लिया.

इस पूरे मामले में उपजिलाधिकारी योगेश मेहरा का कहना है कि अभी तक कोई लिखित शिकायत नहीं आई है. ये मामला सोशल मीडिया के माध्यम से संज्ञान में आया है. अगर कोई लिखित शिकायत मिलती है तो निश्चित ही आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

Last Updated : May 25, 2020, 8:43 PM IST
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