कोटद्वारः लैंसडाउन क्षेत्र में नियम कानूनों को ताक में रखकर नदियों और सड़कों के किनारे धड़ल्ले से बहुमंजिलें व्यावसायिक भवन, होटल व रिसोर्ट बनाए जा रहे हैं. बरसात और भूंकप आने की स्थिति में नदी-नालों के किनारे बने इन भवनों से पर्यटकों की जान-माल का खतरा बना हुआ है. वहीं, मामले को लेकर सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि मामला संज्ञान आ गया है. जल्द कार्रवाई की जाएगी.
दरअसल, लैंसडाउन रोड पर नदी-नालों के किनारे कई रिसोर्ट और होटल बनाए जा रहे हैं. जबकि, नदी के मध्य भाग से 100 मीटर की दूरी तक कोई भी निर्माण कार्य करने की अनुमति नहीं है. नदी-नालों के किनारे बने इन होटल और रिसोर्ट बनने से नदी का बहाव अवरुद्ध हो रहा है. जिससे आने वाले समय में दुगड्डा, फतेहपुर पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. कई भवन भूंकपरोधी भी नहीं है. साथ ही किसी भी होटल स्वामी के पास पर्याप्त पार्किंग की सुविधा उपलब्ध नहीं है. जिसके चलते आए दिन सड़कों पर जाम की स्थिति बनी रहती है.
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स्थानीय निवासी मुजीब नैथानी का कहना है कि मामले को लेकर वो कई बार शासन-प्रशासन से लेकर एनजीटी से भी शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. साथ ही आरोप लगाते हुए कहा कि लगातार हो रहे निर्माण में अधिकारियों और माफिया की मिलीभगत है. ऐसे में जिला विकास प्राधिकरण और सिंचाई विभाग की ओर से इन होटल और रिसोर्ट को कैसे अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया जा रहा है. जो एक बड़ा सवाल है.
वहीं, मामले पर सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि मामला उनके संज्ञान में आ गया है. मामले पर सूची तैयार की जाएगी. निश्चित रूप से ही होटलियर्स को एनओसी लेनी चाहिए. जिससे उनका फाउंडेशन सुदृढ़ हो सके. साथ ही कहा कि सरकार निश्चित रूप से ठोस कानून भी लाएगी. जिससे नदी-नालों पर अतिक्रमण ना हो सके. ऐसे में होटलियर्स, सिंचाई विभाग से एनओसी लेने के बाद ही कोई भी निर्माण कार्य करें.
ये हैं मानक-
व्यवसायिक भवन के लिए-
- कबर एरिया 70%- 200 वर्ग मीटर तक
- कवर एरिया 65%- 200 वर्ग मीटर से अधिक
- फ्लोर एरिया रेशों-1.8 और 1.7
- अधिकतम ऊंचाई-12 मीटर
भूतल के साथ दो तल
- सड़क के बीचे से 40 फीट की दूरी के बाद निर्माण कार्य
- नदी के मध्य भाग से 100 मीटर की दूरी