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नदियों के किनारे धड़ल्ले से होटल और रिसोर्ट का हो रहा निर्माण, प्रशासन बेखर

लैंसडाउन रोड पर नदी-नालों के किनारे कई रिसोर्ट और होटल बनाए जा रहे हैं. जबकि, नदी के मध्य भाग से 100 मीटर की दूरी तक कोई भी निर्माण कार्य करने की अनुमति नहीं है. नदी-नालों के किनारे बने इन होटल और रिजॉर्ट बनने से नदी का बहाव अवरुद्ध हो रहा है. जिससे आने वाले समय में दुगड्डा, फतेहपुर पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है.

illegal construction
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Published : Aug 27, 2019, 8:54 PM IST

Updated : Aug 27, 2019, 9:59 PM IST

कोटद्वारः लैंसडाउन क्षेत्र में नियम कानूनों को ताक में रखकर नदियों और सड़कों के किनारे धड़ल्ले से बहुमंजिलें व्यावसायिक भवन, होटल व रिसोर्ट बनाए जा रहे हैं. बरसात और भूंकप आने की स्थिति में नदी-नालों के किनारे बने इन भवनों से पर्यटकों की जान-माल का खतरा बना हुआ है. वहीं, मामले को लेकर सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि मामला संज्ञान आ गया है. जल्द कार्रवाई की जाएगी.

नदियों के किनारे धड़ल्ले से होटल और रिजॉर्ट का हो रहा निर्माण.

दरअसल, लैंसडाउन रोड पर नदी-नालों के किनारे कई रिसोर्ट और होटल बनाए जा रहे हैं. जबकि, नदी के मध्य भाग से 100 मीटर की दूरी तक कोई भी निर्माण कार्य करने की अनुमति नहीं है. नदी-नालों के किनारे बने इन होटल और रिसोर्ट बनने से नदी का बहाव अवरुद्ध हो रहा है. जिससे आने वाले समय में दुगड्डा, फतेहपुर पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. कई भवन भूंकपरोधी भी नहीं है. साथ ही किसी भी होटल स्वामी के पास पर्याप्त पार्किंग की सुविधा उपलब्ध नहीं है. जिसके चलते आए दिन सड़कों पर जाम की स्थिति बनी रहती है.

illegal construction
नदी किनारे अवैध निर्माण.

ये भी पढ़ेंः प्लास्टिक वेस्ट से बनेगा डीजल, IIP के वैज्ञानिकों ने पीएम मोदी के सपने को लगाए पंख

स्थानीय निवासी मुजीब नैथानी का कहना है कि मामले को लेकर वो कई बार शासन-प्रशासन से लेकर एनजीटी से भी शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. साथ ही आरोप लगाते हुए कहा कि लगातार हो रहे निर्माण में अधिकारियों और माफिया की मिलीभगत है. ऐसे में जिला विकास प्राधिकरण और सिंचाई विभाग की ओर से इन होटल और रिसोर्ट को कैसे अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया जा रहा है. जो एक बड़ा सवाल है.

वहीं, मामले पर सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि मामला उनके संज्ञान में आ गया है. मामले पर सूची तैयार की जाएगी. निश्चित रूप से ही होटलियर्स को एनओसी लेनी चाहिए. जिससे उनका फाउंडेशन सुदृढ़ हो सके. साथ ही कहा कि सरकार निश्चित रूप से ठोस कानून भी लाएगी. जिससे नदी-नालों पर अतिक्रमण ना हो सके. ऐसे में होटलियर्स, सिंचाई विभाग से एनओसी लेने के बाद ही कोई भी निर्माण कार्य करें.

ये हैं मानक-
व्यवसायिक भवन के लिए-

  • कबर एरिया 70%- 200 वर्ग मीटर तक
  • कवर एरिया 65%- 200 वर्ग मीटर से अधिक
  • फ्लोर एरिया रेशों-1.8 और 1.7
  • अधिकतम ऊंचाई-12 मीटर

भूतल के साथ दो तल

  • सड़क के बीचे से 40 फीट की दूरी के बाद निर्माण कार्य
  • नदी के मध्य भाग से 100 मीटर की दूरी

कोटद्वारः लैंसडाउन क्षेत्र में नियम कानूनों को ताक में रखकर नदियों और सड़कों के किनारे धड़ल्ले से बहुमंजिलें व्यावसायिक भवन, होटल व रिसोर्ट बनाए जा रहे हैं. बरसात और भूंकप आने की स्थिति में नदी-नालों के किनारे बने इन भवनों से पर्यटकों की जान-माल का खतरा बना हुआ है. वहीं, मामले को लेकर सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि मामला संज्ञान आ गया है. जल्द कार्रवाई की जाएगी.

नदियों के किनारे धड़ल्ले से होटल और रिजॉर्ट का हो रहा निर्माण.

दरअसल, लैंसडाउन रोड पर नदी-नालों के किनारे कई रिसोर्ट और होटल बनाए जा रहे हैं. जबकि, नदी के मध्य भाग से 100 मीटर की दूरी तक कोई भी निर्माण कार्य करने की अनुमति नहीं है. नदी-नालों के किनारे बने इन होटल और रिसोर्ट बनने से नदी का बहाव अवरुद्ध हो रहा है. जिससे आने वाले समय में दुगड्डा, फतेहपुर पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. कई भवन भूंकपरोधी भी नहीं है. साथ ही किसी भी होटल स्वामी के पास पर्याप्त पार्किंग की सुविधा उपलब्ध नहीं है. जिसके चलते आए दिन सड़कों पर जाम की स्थिति बनी रहती है.

illegal construction
नदी किनारे अवैध निर्माण.

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स्थानीय निवासी मुजीब नैथानी का कहना है कि मामले को लेकर वो कई बार शासन-प्रशासन से लेकर एनजीटी से भी शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. साथ ही आरोप लगाते हुए कहा कि लगातार हो रहे निर्माण में अधिकारियों और माफिया की मिलीभगत है. ऐसे में जिला विकास प्राधिकरण और सिंचाई विभाग की ओर से इन होटल और रिसोर्ट को कैसे अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया जा रहा है. जो एक बड़ा सवाल है.

वहीं, मामले पर सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि मामला उनके संज्ञान में आ गया है. मामले पर सूची तैयार की जाएगी. निश्चित रूप से ही होटलियर्स को एनओसी लेनी चाहिए. जिससे उनका फाउंडेशन सुदृढ़ हो सके. साथ ही कहा कि सरकार निश्चित रूप से ठोस कानून भी लाएगी. जिससे नदी-नालों पर अतिक्रमण ना हो सके. ऐसे में होटलियर्स, सिंचाई विभाग से एनओसी लेने के बाद ही कोई भी निर्माण कार्य करें.

ये हैं मानक-
व्यवसायिक भवन के लिए-

  • कबर एरिया 70%- 200 वर्ग मीटर तक
  • कवर एरिया 65%- 200 वर्ग मीटर से अधिक
  • फ्लोर एरिया रेशों-1.8 और 1.7
  • अधिकतम ऊंचाई-12 मीटर

भूतल के साथ दो तल

  • सड़क के बीचे से 40 फीट की दूरी के बाद निर्माण कार्य
  • नदी के मध्य भाग से 100 मीटर की दूरी
Intro:summary यूं तो उत्तराखंड प्रदेश में तमाम नियम कानून समय-समय पर बनते रहते है, लेकिन उन नियम कानूनों का पाठ जनता को पढ़ाने वाले अधिकारी कर्मचारी ऑफिस में बैठकर चैन की नींद सो रहे हैं, नदियों की जगह पर होटल और रिजल्ट धड़ल्ले से बन रहे हैं इसके कारण ही दिन प्रतिदिन बाढ़ का खतरा बढ़ता जा रहा है।

intro पौड़ी जिले के लैंसडाउन रोड पर नियम कानूनों को ताक में रखकर नदियों और सड़कों के किनारे कई मंजिले व्यवसायिक भवन होटल रिजॉर्ट बनाये जा रहे है, जबकि लैंसडौन पूर्ण रूप से पहाड़ी क्षेत्र है अगर कभी भूकंप आता है तो बहुत बड़ी जान माल की हानि हो सकती है क्योंकि बने हुए भवन भूकंप रोधी नहीं हैं साथ ही किसी भी होटल स्वामी के पास पर्याप्त पार्किंग की सुविधा उपलब्ध नहीं है जिसके चलते ही आए दिन सड़कों पर जाम की स्थिति बनी रहती है, वर्तमान में भी लैंसडौन रोड पर कई रिजॉर्ट और होटल निर्माण कार्य चल रहा है। यही नहीं नदी की जगह में होटल और रिसॉर्ट बनाने से नदी का बहाव अवरुद्ध हो रहा है जिससे कि आने वाले समय में दुगड्डा फतेहपुर पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।


Body:वीओ1- बता दे कि लैंसडाउन रोड पर नदी नालों के किनारे बन रहे रिजॉर्ट और होटल नियम कानूनों को ताक में रखकर बनाए गए हैं जबकि नदी के मध्य भाग से 100 मीटर की दूरी तक कोई भी निर्माण कार्य करने का नियम नहीं है ऐसे में जिला विकास प्राधिकरण और सिंचाई विभाग के द्वारा इन होटल और रिजॉर्ट को कैसे अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया जा रहा है यह स्वयं एक बहुत बड़ा सवाल है। नदी नालों के किनारे बने इन होटल और रिजॉर्ट से पर्यटकों की जान और माल का खतरा भी बना रहता, साथ ही कई गांव पर बाढ़ का खतरा, लेकिन जिला प्रशासन इस ओर ध्यान देने के बजाय चैन की नींद सो रहा है।

वीओ2- स्थानीय निवासी मुजीब नैथानी का कहना है कि हम इस मामले को एनजीटी तक भी लेकर गए हैं इसमें यह नियम है कि नदी के मध्य भाग से 100 मीटर दूर तक कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकता चाहे भूमि किसी की भी हो इसका अनुपालन पौड़ी जिले में नहीं हो रहा है इसमें अधिकारियों की मिलीभगत है जो पौड़ी जिले का विकास प्राधिकरण है इसमें सिंचाई विभाग से एनओसी भी अनिवार्य हमने करवाई है तो सिंचाई विभाग कैसे अनुमति दे रहा है और कैसे प्राधिकरण देख रहा हैं यह देखने वाला मामला है जबकि जिला विकास प्राधिकरण ने इसमें नदी नालों के किनारे बने व्यवसायिक भवनों से एनओसी मांगी हुई है तो बिना एनओसी के निर्माण कार्य हो रहे हैं या फिर गलत एनओसी सिंचाई विभाग जिला विकास प्राधिकरण को दे रहा है जांच का विषय है जो दुगड्डा के पास सिंचाई विभाग की भूमि पर निर्माण कार्य हो रहा है उसे सिंचाई विभाग को हटाना चाहिए लेकिन सिंचाई विभाग जिला विकास प्राधिकरण को पत्र लिखकर कह रहा है कि वह निर्माण कार्य अवैध है वैसे तो सिंचाई विभाग को अपनी जमीन पर हो रहे अतिक्रमण और निर्माण कार्य को स्वयं हटाना चाहिए सिंचाई विभाग की नहर और गुलो पर भी माफियाओं के द्वारा अतिक्रमण किया गया है यह सब अधिकारियों की और माफियाओं की मिलीभगत से हो रहा है सरकार में बैठे मंत्रियों को भी इस संबंध में सब कुछ पता है लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हो रही है
बाइट मुजीब नैथानी ।

वीओ3- वहीं पूरे मामले पर सिंचाई मंत्री श्री सतपाल महाराज का कहना है कि निश्चित रूप से मेरे संज्ञान में भी या बात आई है हम इसकी सूची बनायेगे, निश्चित रूप से ही होटलियर्स को एनओसी लेनी चाहिए जिससे कि उनका फाउंडेशन और सारा कुछ सुदृढ़ हो सके, सरकार इसमें निश्चित रूप से ठोस कानून भी लाएगी जिससे कि नदी नालों पर अतिक्रमण ना हो सके हम चाहते हैं कि होटलियर्स सिंचाई विभाग से एनओसी ले और उसके बाद निर्माण कार्य करें।
बाइट सतपाल महाराज।


यह नियम कानून
व्यवसायिक भवन के लिए
कबर एरिया 70% 200 वर्ग मीटर तक
कवर एरिया 65% -200 वर्ग मीटर से अधिक
फ्लोर एरिया रेशों 1.8,1.7
अधिकतम ऊंचाई 12 मीटर
भूतल के साथ दो तल
सड़क के मध्य से 40 फीट की दूरी के बाद निर्माण कार्य
नदी के मध्य भाग से 100 मीटर की दूरी



Conclusion:
Last Updated : Aug 27, 2019, 9:59 PM IST
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