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शारदीय नवरात्र: कलश यात्रा के साथ शुरू हुई दुर्गा पूजा, नौ दिनों तक लगेगा माता का दरबार

आज से शारदीय नवरात्र का आगाज हो गया है. पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जा रही है. देशभर में श्रद्धालु मंदिरों में देवी मां की पूजा कर रहे हैं. इस बार शारदीय नवरात्र आज से लेकर 7 अक्तूबर तक मनाया जाएगा. 8 अक्तूबर को विजयदशमी का पर्व मनाया जाएगा. इस दौरान नवरात्रों में मां के नौ रूपों की पूजा-अर्चना होती है.

शारदीय नवरात्र.
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Published : Sep 29, 2019, 5:42 PM IST

Updated : Sep 29, 2019, 8:48 PM IST

अल्मोड़ा/पौड़ी/लक्सर: या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:, नवरात्र की नौ रातों में शक्ति की देवी मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्‍वरूपों की आराधना की जाती है. इन नवरात्रों में देवी के शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री रूपों को पूजा जाता है. देवभूमि उत्तराखंड में शारदीय नवरात्र के पहले दिन मंदिरों में खूब धूम रही.

कलश यात्रा के साथ शुरू हुई दुर्गा पूजा.

अल्मोड़ा
शारदीय नवरात्र शुरू होने के अवसर सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में कई जगह देवी के जयकारों की गूंज के साथ दुर्गा महोत्सव का आयोजन किया गया. शहर में जगह-जगह माता के पंडालों को भव्य रूप से सजाया गया. जिसके बाद आज नवरात्र के पहले दिन विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना कर मां दुर्गा की मूर्तियों को स्थापित किया गया.
दुर्गा महोत्सव के पहले दिन पंडालों से भव्य कलश यात्रा का आयोजन किया गया. इस दौरान महिलाओं द्वारा नंगे पैर धूमधाम से कलश यात्रा निकाली गई. आज से शुरू हुई यह पूजा अर्चना पूरे नौ दिनों तक चलेगी.

पढे़ं- नवरात्र विशेष: यहां अश्रुधार से बनी थी झील, शिव-सती के वियोग का साक्षी है ये मंदिर

अल्मोड़ा में 1980 से दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है. शहर में मुख्य रूप से नवरात्र के समय तीन जगहों पर दुर्गा महोत्सव का आयोजन किया जाता था. लेकिन अब धीरे-धीरे कई जगहों पर दुर्गा पूजा का सामूहिक आयोजन किया जाता है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि 80 के दशक से दुर्गा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. वे कहते हैं कि नवरात्र आने से दो महीने पहले ही लोग दुर्गा पूजा की तैयारी में लग जाते हैं. वहीं हर साल मां दुर्गा का नया रूप बनाया जाता है. इस बार अल्मोड़ा में करीब 10 जगहों पर दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है. जिसके बाद दशहरे के दिन पूरे बाजार में मां दुर्गा की शोभा यात्रा निकाल कोसी नदी में विर्सजन किया जाएगा.

पौड़ी
वहीं आज पौड़ी में नवरात्र के पहले दिन शहर के मंदिरों में भक्तों का सुबह से ही तांता लगा रहा. पौड़ी के अछरीखाल के समीप स्थित वैष्णो देवी मंदिर काफी प्रसिद्ध मंदिर है. मान्यता है कि जिस तरह जम्मू स्थित मां वैष्णो देवी के दर्शन करने से फल प्राप्त होता है, उतना ही फल यहां पर पूजा-अर्चना करने भी मिलता है.
आज नवरात्र के पहले दिन वैष्णो देवी मंदिर में सुबह से लोगों की भीड़ लगी रही. यह मंदिर लगभग 200 साल पुराना है. कुछ समय पूर्व स्थानीय लोगों द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाकर यहां स्थित पिंडी को जम्मू के वैष्णो देवी मंदिर से पूजा करवाकर यहां स्थापित किया गया.

पढ़ें- कलश स्थापना के साथ शारदीय नवरात्र पर्व का शुभारंभ, मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

मंदिर के संस्थापक राजेंद्र सिंह रावत ने जानकारी देते हुए बताया कि यह मंदिर लगभग 200 साल पुराना है. सन 2000 में उन्होंने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था. उन्होंने बताया कि जम्मू कश्मीर में स्थित मां वैष्णो देवी से पूजा करवाकर पिंडी को यहां स्थापित किया गया है. उन्होंने बताया कि जिस तरह जम्मू में स्थित वैष्णो देवी के दर्शन कर लोग अपनी मनोकामना मांगते हैं और मां वैष्णो देवी उनकी मनोकामना पूरी करती हैं. उसी तरह यहां पर भी लोग दूर-दूर से आकर सच्चे मन से अपनी मन्नत मांगते हैं और मां वैष्णो देवी उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करती है.

लक्सर
शारदीय नवरात्र की शुरुआत होते ही मंदिरों में ढोल-नगाड़ों की आवाज गूंजने लगी हैं. दुर्गा पूजा के लिये भव्य पंडाल सजाये गये हैं. वहीं पूजा-अर्चना के लिए मंदिरों में श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं. वहीं, हरिद्वार जिले के लक्सर और आसपास के क्षेत्रों में नवरात्र का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. कई श्रद्धालु पूरे नौ दिनों तक व्रत रखते हैं. वैसे तो नवरात्र पर घरों में तैयार की जाने वाली सांझी की मूर्ति बनाने की परंपरा अब लगभग खत्म हो गई है. बाजार में बनाई गई कई मटेरियल की मां दुर्गा की मूर्ति आ गई हैं.

बता दें कि पहले ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं आज भी शारदीय नवरात्र प्रारंभ होने से पहले तालाबों, पोखरों और नदियों के आस-पास से चिकनी मिट्टी निकाल कर ले आती हैं. जिसके बाद देवी मां की मूर्ति के स्वरूप की सांझी बनाई जाती थी. इसके बाद पितृ अमावस्या के दिन सांझी घरों में स्थापित की जाती थी. वहीं श्रद्धालुओं का कहना है कि नवरात्र में सच्चे दिल से पूजा-अर्चना करने से माता रानी उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं.

अल्मोड़ा/पौड़ी/लक्सर: या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:, नवरात्र की नौ रातों में शक्ति की देवी मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्‍वरूपों की आराधना की जाती है. इन नवरात्रों में देवी के शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री रूपों को पूजा जाता है. देवभूमि उत्तराखंड में शारदीय नवरात्र के पहले दिन मंदिरों में खूब धूम रही.

कलश यात्रा के साथ शुरू हुई दुर्गा पूजा.

अल्मोड़ा
शारदीय नवरात्र शुरू होने के अवसर सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में कई जगह देवी के जयकारों की गूंज के साथ दुर्गा महोत्सव का आयोजन किया गया. शहर में जगह-जगह माता के पंडालों को भव्य रूप से सजाया गया. जिसके बाद आज नवरात्र के पहले दिन विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना कर मां दुर्गा की मूर्तियों को स्थापित किया गया.
दुर्गा महोत्सव के पहले दिन पंडालों से भव्य कलश यात्रा का आयोजन किया गया. इस दौरान महिलाओं द्वारा नंगे पैर धूमधाम से कलश यात्रा निकाली गई. आज से शुरू हुई यह पूजा अर्चना पूरे नौ दिनों तक चलेगी.

पढे़ं- नवरात्र विशेष: यहां अश्रुधार से बनी थी झील, शिव-सती के वियोग का साक्षी है ये मंदिर

अल्मोड़ा में 1980 से दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है. शहर में मुख्य रूप से नवरात्र के समय तीन जगहों पर दुर्गा महोत्सव का आयोजन किया जाता था. लेकिन अब धीरे-धीरे कई जगहों पर दुर्गा पूजा का सामूहिक आयोजन किया जाता है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि 80 के दशक से दुर्गा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. वे कहते हैं कि नवरात्र आने से दो महीने पहले ही लोग दुर्गा पूजा की तैयारी में लग जाते हैं. वहीं हर साल मां दुर्गा का नया रूप बनाया जाता है. इस बार अल्मोड़ा में करीब 10 जगहों पर दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है. जिसके बाद दशहरे के दिन पूरे बाजार में मां दुर्गा की शोभा यात्रा निकाल कोसी नदी में विर्सजन किया जाएगा.

पौड़ी
वहीं आज पौड़ी में नवरात्र के पहले दिन शहर के मंदिरों में भक्तों का सुबह से ही तांता लगा रहा. पौड़ी के अछरीखाल के समीप स्थित वैष्णो देवी मंदिर काफी प्रसिद्ध मंदिर है. मान्यता है कि जिस तरह जम्मू स्थित मां वैष्णो देवी के दर्शन करने से फल प्राप्त होता है, उतना ही फल यहां पर पूजा-अर्चना करने भी मिलता है.
आज नवरात्र के पहले दिन वैष्णो देवी मंदिर में सुबह से लोगों की भीड़ लगी रही. यह मंदिर लगभग 200 साल पुराना है. कुछ समय पूर्व स्थानीय लोगों द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाकर यहां स्थित पिंडी को जम्मू के वैष्णो देवी मंदिर से पूजा करवाकर यहां स्थापित किया गया.

पढ़ें- कलश स्थापना के साथ शारदीय नवरात्र पर्व का शुभारंभ, मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

मंदिर के संस्थापक राजेंद्र सिंह रावत ने जानकारी देते हुए बताया कि यह मंदिर लगभग 200 साल पुराना है. सन 2000 में उन्होंने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था. उन्होंने बताया कि जम्मू कश्मीर में स्थित मां वैष्णो देवी से पूजा करवाकर पिंडी को यहां स्थापित किया गया है. उन्होंने बताया कि जिस तरह जम्मू में स्थित वैष्णो देवी के दर्शन कर लोग अपनी मनोकामना मांगते हैं और मां वैष्णो देवी उनकी मनोकामना पूरी करती हैं. उसी तरह यहां पर भी लोग दूर-दूर से आकर सच्चे मन से अपनी मन्नत मांगते हैं और मां वैष्णो देवी उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करती है.

लक्सर
शारदीय नवरात्र की शुरुआत होते ही मंदिरों में ढोल-नगाड़ों की आवाज गूंजने लगी हैं. दुर्गा पूजा के लिये भव्य पंडाल सजाये गये हैं. वहीं पूजा-अर्चना के लिए मंदिरों में श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं. वहीं, हरिद्वार जिले के लक्सर और आसपास के क्षेत्रों में नवरात्र का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. कई श्रद्धालु पूरे नौ दिनों तक व्रत रखते हैं. वैसे तो नवरात्र पर घरों में तैयार की जाने वाली सांझी की मूर्ति बनाने की परंपरा अब लगभग खत्म हो गई है. बाजार में बनाई गई कई मटेरियल की मां दुर्गा की मूर्ति आ गई हैं.

बता दें कि पहले ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं आज भी शारदीय नवरात्र प्रारंभ होने से पहले तालाबों, पोखरों और नदियों के आस-पास से चिकनी मिट्टी निकाल कर ले आती हैं. जिसके बाद देवी मां की मूर्ति के स्वरूप की सांझी बनाई जाती थी. इसके बाद पितृ अमावस्या के दिन सांझी घरों में स्थापित की जाती थी. वहीं श्रद्धालुओं का कहना है कि नवरात्र में सच्चे दिल से पूजा-अर्चना करने से माता रानी उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं.

Intro:लोकेशन--- लक्सर उत्तराखंड
संवाददाता--- कृष्णकांत शर्मा लक्सर
सलग--- शारदीय नवरात्र
एंकर-शारदीय नवरात्री  की शुरुआत होते ही लक्सर के मंदिरो में  ढोल नगाड़ो की आवाज़ गूजने लगी साथ ही माँ दुर्गा पूजा के लिये भव्य पंडाल सजाये गये हैं जहां दुर्गा पूजा के लिये कलश स्थापना पूजा आराम्भ हो चुकी है वहीं पूजा अर्चना के लिए मंदिरों में श्रद्धालु  पहुचने लगे है Body:लक्सर  व आसपास के क्षेत्र में नवरात्री का त्यौहार बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है श्रद्धालु पुरे नो दिन श्रद्धा से व्रत रहते है और प्रेम भाव से सभी पूजा अर्चना करते है यू तो  पूरा देश नवरात्रीे त्यौहार के रंग में रगा है वही बाजारों में भी रौनक बनी हुई है दुर्गा की मूर्तियां बिक रही है वैसे तो नवरात्र पर घरों में तैयार की जाने वाली सांझी की मूर्ति बनाने की परंपरा अब खत्म हो गई है बाजार में बनाई गई विभिन्न मटेरियल की मां दुर्गा की मूर्ति आ गई है शारदीय नवरात्र प्रारंभ होने से पहले ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं तालाबों पोखरो नदियों के आस-पास से चिकनी मिट्टी निकाल कर लाती थी और नवरात्रों से पहले ही मां देवी की मूर्ति का स्वरूप की सांझी बनाया करती थी इसके बाद पित्र अमावस्या के दिन सांझी घरों में स्थापित की जाति थी अब मिट्टी से निर्मित यह सांझी बाजार में उपलब्ध होने लगी है वही तालाबों क
पर अतिक्रमण होने से भी मिट्टी नहीं मिल पाती इस कारण लोग बाजार में बिक रही सांझी ही घर में स्थापित करते है लक्सर में नवरात्री का पर्व बड़ी ही धूम धाम से मनाया जा रहा है

कलश स्थापना को लेकर आज लक्सर में श्रद्धालु ढोल-नगाड़ों के साथ भक्ति में झूमते नजर आए मंदिर को सजाया गया Conclusion: वही श्रद्धालुओं का कहना है कि नवरात्रि में सच्चे दिल से पूजा करने पर माता रानी उनकी मनोकामना पूर्ण करती हैं  जगह जगह पर सभी मंदिरों में नगर चौराहे पर मंदिरों की सजावट देखने को मिली वही पूरा शहर भक्ति के रंग में डूबा नजर आये


 बाईट  स्थानीय निवासी


बाईट स्थानीय निवासी

Last Updated : Sep 29, 2019, 8:48 PM IST
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