श्रीनगर: चारधाम यात्रा के मुख्य पड़ाव श्रीनगर में कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था ना होने के कारण अलकनन्दा नदी के बगल में शहर भर का कूड़ा डंप किया जा रहा है. यहां हर दिन पूरे शहर से करीब 11 टन कूड़ा डंप किया जाता है, जिसे बाद में आग के हवाले कर दिया जाता है, जिसके बदबूदार धुएं से आपसास के लोग परेशान तो होते ही हैं, साथ ही गंभीर बीमारियां फैलने का भी खतरा है. आवारा जानवर भी इस कूड़े को खाकर बीमार पड़ जाते हैं. ऐसा करना एनजीटी (National Green Tribunal Act) के नियमों के खिलाफ है.
चारधाम यात्रा का मुख्य पड़ाव होने के कारण पर्यटक बड़ी संख्या में अलकनन्दा नदी किनारे घूमने आते हैं लेकिन जब इस कूड़े की तरफ उनका ध्यान जाता है, तो प्रदेश की छवि परभी इससे गहरा आघात होता है. स्थानीय निवासियों का कहना है कि बार-बार नगर निगम से इस बात को लेकर शिकायत की जाती है लेकिन इस ओर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है.
वहीं, पूर्व सभासद अनूप बहुगुणा का कहना है कि नगर पालिका अब नगर निगम बन चुकी है. इसलिए इसका क्षेत्र भी बड़ा हो गया है. इसलिये जल्द से जल्द नगर निगम प्रशासन को इस तरफ ध्यान देते हुए नए ट्रेंचिंग ग्राउंड का निर्माण करना चाहिए.
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श्रीनगर नगर उपायुक्त रोहिताश शर्मा (City Deputy Commissioner Rohitash Sharma) का कहना है कि ट्रेंचिंग ग्राउंड को लेकर शासन स्तर में फाइल भेजी गई है. जैसे ही इसके निर्माण की स्वीकृति मिलती है. नया ट्रेंचिंग ग्राउंड गिरिगांव में बनाया जाएगा. साथ ही अलकनन्दा नदी के बगल से कूड़ा उठाने का भी काम शुरू किया जाएगा. उन्होंने इस बात को लेकर सफाई दी कि मीथेन गैस के कारण कूड़े में आग लग जाती है. कोई इस कूड़े में आग नहीं लगाता. अगर कोई ऐसा करते हुए पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
NGT ने लगाया है प्रतिबंध: पर्यावरण संरक्षण को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कई प्राविधान किए हैं, जिसमें नदियों के 100 मीटर के दायरे में प्लास्टिक, थर्माकोल से बनी थैलियां, गिलास, पत्तल, दोने आदि फेंकने पर प्रतिबंध है. ऐसा करने पर जुर्माने का भी प्रावधान किया है.